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इतने Followers वाले Influencers अब माने जाएंगे Celebrity, जानिए किसने बदली परिभाषा

ASCI Guidelines - मशहूर हस्तियों को किसी ब्रांड का समर्थन करने के लिए 'साइन अप' करने से पहले उचित परिश्रम करके आवश्यकताओं का पालन करना होता है और एएससीआई द्वारा बुलाए जाने पर इसका सबूत भी पेश करना होता है और निषिद्ध वस्तुओं की बिक्री नहीं करनी होती है.

ASCI Guidelines : विज्ञापन उद्योग की स्वनियामक इकाई भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने सेलिब्रिटी की परिभाषा को और व्यापक कर दिया है. इसके तहत पांच लाख से ज्यादा फॉलोअर और 40 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय वाले ‘इनफ्लूएंसर’ को विज्ञापनों के लिए मशहूर हस्ती (सेलिब्रिटी) माना जाएगा. सोशल मीडिया मंचों पर अपने विचारों से दर्शकों या श्रोताओं के विचारों को प्रभावित करने वाले लोगों को ‘इनफ्लूएंसर’ कहा जाता है.

मशहूर हस्तियों को किसी ब्रांड का समर्थन करने के लिए ‘साइन अप’ करने से पहले उचित परिश्रम करके आवश्यकताओं का पालन करना होता है और एएससीआई द्वारा बुलाए जाने पर इसका सबूत भी पेश करना होता है और निषिद्ध वस्तुओं की बिक्री नहीं करनी होती है.

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एएससीआई के हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि परिभाषा की समीक्षा जरूरी हो गई थी क्योंकि हाल के वर्षों में सोशल मीडिया ‘इनफ्लूएंसर’ ने बड़े पैमाने पर प्रभाव के नये केंद्र बनाये हैं. इसमें कहा गया है कि ऐतिहासिक रूप से, मशहूर हस्तियां जो ब्रांडों को विश्वसनीयता प्रदान कर सकती हैं और बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर सकती हैं, उनमें बड़े पैमाने पर लोकप्रिय अभिनेता और खेल हस्तियां शामिल हैं. एएससीआई ने कहा कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन आम बात है, और मानदंडों के बावजूद, वित्त वर्ष 2013 में मशहूर हस्तियों के 500 से अधिक भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई की गई.

स्वास्थ्य उत्पादों के विज्ञापन में हस्तियों को करना होगा खुलासा

दूसरी ओर, सरकार ने कहा है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों या चिकित्सकों के रूप में किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करते समय मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसर के लिए अपनी मूल स्थिति के बारे में ‘खुलासा या घोषणा’ करना जरूरी है.

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उपभोक्ता मंत्रालय की तरफ से जारी नये दिशानिर्देशों के मुताबिक, मान्यता-प्राप्त संस्थानों से प्रमाण-पत्र पाने वाले चिकित्सकों, स्वास्थ्य एवं फिटनेस विशेषज्ञों को भी जानकारी साझा करते समय या उत्पादों या सेवाओं का प्रचार करने या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय यह ‘खुलासा’ करना जरूरी है कि वे प्रमाणित स्वास्थ्य या फिटनेस विशेषज्ञ और चिकित्सक हैं.

मंत्रालय ने कहा, अतिरिक्त दिशानिर्देशों का उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, निराधार दावों से निपटना और स्वास्थ्य और कल्याण समर्थन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. ये दिशानिर्देश नौ जून, 2022 को भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के संबंध में जारी दिशानिर्देशों का ही विस्तार हैं.

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मंत्रालय ने कहा, खुद को स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सक के तौर पर पेश करने वाली हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसर को कोई भी जानकारी साझा करते समय, उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापन या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय एक स्पष्ट घोषणा देनी होगी ताकि दर्शक उनकी राय को पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में न देखें.

इन निर्देशों को स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के साथ चर्चा के बाद जारी किया गया है.

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खाद्य पदार्थों और पौष्टिक उत्पादों से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ, बीमारी की रोकथाम, उपचार या इलाज, चिकित्सा स्थितियों या प्रतिरक्षा बढ़ाने आदि जैसे मुद्दों पर बात या दावे करते समय यह यह ‘खुलासा या घोषणा’ जरूरी है.

इसके मुताबिक, यह खुलासा या घोषणा किसी उत्पाद या सेवा के समर्थन, प्रचार या स्वास्थ्य संबंधी दावे करने के किसी भी अवसर पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही मंत्रालय ने स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सक के रूप में पेश होते समय हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसर को अपनी निजी राय और पेशेवर सलाह के बीच स्पष्ट अंतर रखने और ठोस तथ्यों के बगैर खास तरह के स्वास्थ्य दावे करने से बचने की नसीहत भी दी है.

इस दिशानिर्देश में पेशेवर चिकित्सकीय सलाह और उत्पादों या सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी के लिए दर्शकों को स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श करने के लिए प्रोत्साहित करने की हमेशा सिफारिश की गई है.

हालांकि, सामान्य देखभाल और स्वास्थ्य से जुड़ी उन सलाहों को इन प्रावधानों से छूट दी गई है जो खास उत्पादों या सेवाओं से संबंधित नहीं हैं. इनमें ‘पानी पिएं और तरोताजा रहें’, ‘नियमित रूप से व्यायाम करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें’, ‘स्क्रीन टाइम कम करें’, ‘पर्याप्त अच्छी नींद लें’ जैसी सलाह शामिल हो सकती हैं.

उपभोक्ता मामलों का विभाग इन दिशानिर्देशों पर सक्रिय निगरानी रखने के साथ इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा. इनका उल्लंघन होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है.

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