Made In India: प्रयागराज के शैलेंद्र गौर ने ऐसा इंजन तैयार किया है जो ऑटोमोबाइल जगत में नयी क्रांति की शुरुआत कर सकता है. करीब 18 वर्षों की अथक मेहनत और प्रयोगों के बाद बना यह छह-स्ट्रोक इंजन देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. दावा है कि यह इंजन 176 से 200 किलोमीटर प्रति लीटर तक का माइलेज देने में सक्षम है. अगर यह आंकड़े प्रमाणित होते हैं तो ईंधन दक्षता की परिभाषा ही बदल जाएगी.
माइलेज का जादू
गौर का इंजन फिलहाल प्रोटोटाइप स्तर पर है, लेकिन इसके प्रदर्शन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. आमतौर पर दो-स्ट्रोक और चार-स्ट्रोक इंजन ही बाजार में चलते हैं, लेकिन छह-स्ट्रोक डिजाइन ने ईंधन की खपत को बेहद कम करने का दावा किया है. यही वजह है कि लोग इसे भविष्य की ऑटोमोबाइल क्रांति मान रहे हैं.
मल्टी-फ्यूल क्षमता
इस इंजन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधनों पर भी चल सकता है. इससे न केवल ईंधन पर निर्भरता घटेगी बल्कि उपभोक्ताओं को लचीलापन भी मिलेगा. ऊर्जा संकट के दौर में यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है.
प्रदूषण पर वार
गौर का दावा है कि इंजन से निकलने वाले उत्सर्जन बेहद कम हैं. अगर यह तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है तो प्रदूषण की समस्या पर भी काबू पाया जा सकता है. पर्यावरण के अनुकूल यह पहल भारत को हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाने वाली साबित हो सकती है.
संघर्ष और सफलता की कहानी
शैलेंद्र गौर ने बिना बड़े निवेश और कॉर्पोरेट समर्थन के लगभग दो दशक तक लगातार प्रयोग किये. उनकी यह यात्रा बताती है कि जुनून और धैर्य से कोई भी व्यक्ति दुनिया को बदलने वाली तकनीक दे सकता है. यह इंजन सिर्फ मशीन नहीं, बल्कि भारतीय आत्मनिर्भरता और नवाचार की मिसाल है.
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