Why Astronauts Land Ocean: स्पेसएक्स के ‘ड्रैगन ग्रेस’ नामक अंतरिक्ष यान ने भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद अब धरती पर वापसी की ओर अग्रसर है. यह यान 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल से अनडॉक हो गया और अब यह प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन (पानी में लैंडिंग) के लिए रवाना हो चुका है.
कहां और कब होगा स्प्लैशडाउन? (Why Astronauts Land Ocean)
ड्रैगन कैप्सूल का स्प्लैशडाउन आज यानी मंगलवार को दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) दक्षिणी कैलिफोर्निया के पास प्रशांत महासागर में होगा. पानी में लैंडिंग के तुरंत बाद रिकवरी टीम का जहाज मौके पर पहुंचेगा और अंतरिक्ष यात्रियों को प्राथमिक स्वास्थ्य जांच के बाद ह्यूस्टन भेजा जाएगा, जहां वे लगभग 10 दिनों तक पृथ्वी पर रीहैब और क्वारंटीन में रहेंगे.
स्प्लैशडाउन क्या होता है? (Why Astronauts Land Ocean)
स्प्लैशडाउन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत अंतरिक्ष यान को समुद्र या किसी बड़े जलस्रोत में उतारा जाता है. जब कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी गति कई हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इतनी तेज गति के कारण अत्यधिक घर्षण और गर्मी उत्पन्न होती है, जिससे यान को नुकसान हो सकता है. इसे रोकने के लिए अंतरिक्ष यानों को विशेष हीट शील्ड से कवर किया जाता है और धीरे-धीरे पैराशूट की मदद से उनकी रफ्तार को कम किया जाता है.
पानी में क्यों की जाती है लैंडिंग? (Why Astronauts Land Ocean)
पानी एक प्राकृतिक कुशन की तरह काम करता है. जब स्पेसक्राफ्ट पानी में उतरता है तो उसकी गति पहले से काफी कम हो चुकी होती है लगभग 15-20 मील प्रति घंटे और पानी की सतह उसे जमीन की तुलना में अधिक सॉफ्ट लैंडिंग देती है. समुद्र में उतरने का एक फायदा यह भी होता है कि अगर लैंडिंग जोन से कुछ किलोमीटर इधर-उधर हो जाए तो भी कोई खास खतरा नहीं होता, जबकि जमीन पर उतरते समय पहाड़, पेड़ या असमान सतह जानलेवा साबित हो सकती है.
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स्प्लैशडाउन के फायदे (Why Astronauts Land Ocean)
सॉफ्ट इम्पैक्ट: समुद्र की सतह स्पेसक्राफ्ट को ज्यादा झटका नहीं देती, जिससे यात्रियों और उपकरणों को कम नुकसान होता है.
सेफ्टी इन मार्जिन: समुद्र का बड़ा क्षेत्र होने से लैंडिंग में थोड़ी चूक भी गंभीर नहीं बनती.
सतह की समानता: जमीन की तुलना में समुद्र में कोई रफ या ऊबड़-खाबड़ सतह नहीं होती.
क्या स्प्लैशडाउन पूरी तरह सुरक्षित है?
हालांकि यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन इसके अपने जोखिम हैं. समुद्र में खराब मौसम, ऊंची लहरें, स्पेसक्राफ्ट में पानी भर जाने की आशंका या फिर रिस्क एरिया से बाहर लैंडिंग जैसी स्थितियां खतरे बढ़ा सकती हैं.
इतिहास से सबक
1962 में Aurora 7 मिशन लैंडिंग जोन से 250 मील दूर गिरा था और अंतरिक्ष यात्री स्कॉट कारपेंटर को तीन घंटे तक लाइफ राफ्ट में इंतजार करना पड़ा था.
1961 में Liberty Bell 7 मिशन के दौरान कैप्सूल का हैच समय से पहले खुल गया था, जिससे अंतरिक्ष यात्री गस ग्रिसोम लगभग डूब ही गए थे.
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जमीन-पानी में कौन बेहतर?
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जमीन पर लैंडिंग भी उतनी ही सुरक्षित हो सकती है, बशर्ते लैंडिंग स्थल समतल हो और टेक्नोलॉजी उन्नत हो. रॉकेट द्वारा नियंत्रित लैंडिंग (जैसे कि रूस के सोयुज कैप्सूल करता है) एक वैकल्पिक मॉडल है. लेकिन समुद्र में लैंडिंग की बड़ी जगह, सॉफ्ट इम्पैक्ट और कम लॉजिस्टिकल बाधाएं इसे अब भी पसंदीदा विकल्प बनाती हैं.
स्पेसएक्स ने दी स्प्लैशडाउन को नई दिशा
2 अगस्त, 2020 को स्पेसएक्स ने आधुनिक युग की पहली क्रू स्प्लैशडाउन सफलता के साथ इतिहास रच दिया था. नासा के दो पायलट फ्लोरिडा के पास समुद्र में सुरक्षित उतरे थे. उसके बाद 2022 में मानवरहित ओरियन मिशन का स्प्लैशडाउन भी सफल रहा. स्प्लैशडाउन आधुनिक अंतरिक्ष यात्रा का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. यह एक संतुलित विज्ञान, तकनीक और सुरक्षा का मिश्रण है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पृथ्वी पर लौटाने में मदद करता है.