Vladimir Putin in India: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन गुरुवार को भारत दौरे पर पहुंचे. चार साल बाद हो रहे इस दौरे को दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को नई गति देने वाली महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर स्वयं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का स्वागत किया. यह कदम सामान्य प्रोटोकॉल से हटकर था और दोनों देशों के बीच भरोसे और निकटता को प्रतिबिंबित करता है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन दो दिनों के राजकीय दौरे पर भारत आए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर स्वयं पुतिन का स्वागत किया और गर्मजोशी से गले लगाकर दोनों देशों की घनिष्ठ साझेदारी का संदेश दिया. हालांकि रूसी राष्ट्रपति का जहाज दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड होने के बाद लगभग 40 मिनट तक खड़ा रहा, उसके बाद पुतिन जहाज से उतरे. लेकिन ऐसा क्यों हुआ?
रूस के राष्ट्रपति का जहाज दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर 6.35 मिनट पर लैंड हुआ. लेकिन इसका दरवाजा लगभग 40 मिनट बाद खुला. एक पॉडकास्ट पर भारतीय सेना के पूर्व कर्नल मयंक चौबे ने कहा कि पुतिन साहब जो है कितने इंपॉर्टेंट है भारत के लिए, आखिर वो 40 मिनट तक प्लेन में क्या कर रहे थे? जिस तरीके से वो आए खुशी में लहराते हुए और दौड़ते हुए उस लैडर से वो बहुत ही बहुत सारी चीजें बयान कर रही थी. ये खबरें जो हैं दुनिया के लिए बड़ी इंडिकेटिव खबरें होती हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि जी कुछ कमी रह गई भारत में तो इसलिए पुतिन साहब अटके रह गए. लेकिन जिस तरीके से वह दौड़ते हुए नीचे उतरे ऐसा लगा, जैसे क्लास में बच्चा अगर देर से आए तो क्लास टीचर के सामने बड़ी खिसियाई हुई हंसी हंसता है और दौड़ते हुए क्लास के अंदर एंटर करता है. ये सीन मुझे आज पुतिन साहब का देख के लग रहा था.
उन्होंने आगे कहा कि मोदी साहब भी दो कदम आगे लेके उनकी अगवानी करते हैं कि आइए आइए कोई बात नहीं. लेट हो गए तो कोई बात नहीं आइए. फिर दोनों गले मिलते हैं और गले मिलना उनका गर्म जोशी में कोई कमी नहीं थी. तो दो दोस्त मिले और फिर एक ही गाड़ी में बैठकर रवाना होते हैं. इसमें इंपॉर्टेंट मुझे यह लगा कि जो उन्होंने प्राइम मिनिस्टर मोदी में फेथ दिखाया है.

पुतिन ने मोदी में फेथ रीइंपोज किया है
उन्होंने कहा कि देखिए आप जब एसइओ समिट हुआ था तब प्राइम मिनिस्टर मोदी पुतिन साहब की गाड़ी में बैठ के जाते हैं. उसकी खबरें आई थी उसकी फोटोग्राफ्स लीक हुई थी, दोनों नेताओं के बीच में उस समय 50 मिनट में बात हुई थी. इस समय भी प्रधानमंत्री मोदी उसी गाड़ी में बैठे हैं जिसमें कि पुतिन बैठे हैं. बल्कि पुतिन साहब उस गाड़ी में बैठे हैं जिसमें प्राइम मिनिस्टर मोदी थे. दोनों जो है अपने जाने के रास्ते में सात लोक कल्याण मार्ग के रास्ते में जाते हैं और क्या बात करते हैं वो किसी को मालूम नहीं होगा. तो एक तरीके से फेथ जो है वो रीइंपोज किया है पुतिन साहब ने. मोदी साहब में जो कि मोदी जी ने पुतिन साहब में रीइंपोज किया था एससीओ के दौरान.
‘पुतिन ने सोचा दोस्त ठंड में न खड़ा रहे’
कर्नल चौबे ने आगे कहा कि तो यहां एक म्यूचुअल ट्रस्ट और म्यूचुअल फेथ का वहां पर सिग्नल देखने को मिला. उनका सीढ़ियों से उतरना जो था वो इस चीज का द्योतक लग रहा था कि वो कितना इपॉर्टेंस देते हैं मोदी साहब की मीटिंग को और एक तरीके से वो यह चाह रहे थे कि मेरा दोस्त जो है वो इस ठंड में बाहर खड़ा ना रहे. मैं झटपट उसके पास पहुंचू और फिर हम दोनों आपस में बात करते हुए अपने गंतव्य की ओर बढ़ जाए. ऐसा देखने को मिल रहा था. आप कर्नल चौबे की बातचीत का वीडियो यहां क्लिक करके देख सकते हैं.
वैसे राष्ट्रपति पुतिन का भारत में यह राजकीय दौरा तीन साल बाद हो रहा है. हालांकि इस समय की देरी को प्रभात खबर पुष्ट नहीं करता. हालांकि दुर्लभ, उच्च-सुरक्षा या भारी प्रोटोकॉल वाली परिस्थितियों में प्लेन लैंड होने के बाद समय 20–30 मिनट तक लग सकता है, लेकिन ऐसा तभी होता है जब, मौसम के कारण ग्राउंड स्टाफ को देरी हो, अंतिम समय में प्रोटोकॉल से जुड़े बदलाव करने पड़ें, आगमन क्षेत्र की सुरक्षा जांच जारी हो या जेट ब्रिज या सीढ़ियों में कोई समस्या आ जाए. वैश्विक नेताओं के दूसरे देश के दौरे पर इस तरह की सिक्योरिटी लेयर रहती ही है कि जब तक वह क्लियर न हो जाए तब तक प्लेन का दरवाजा नहीं खोला जाता. ऐसे में पुतिन के लिए 40 मिनट की देरी कोई नई बात नहीं रही होगी.
भारत रूस मुलाकात के बड़े संदेश
वहीं पुतिन के स्वागत के बाद भारतीय पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन एक ही वाहन में प्रधानमंत्री आवास पहुंचे, जहां रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में निजी रात्रिभोज का आयोजन किया गया.यह खास कूटनीतिक पहल भारत और रूस के गहरे रिश्तों को दर्शा रही थी. पुतिन का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब रूस पश्चिमी देशों से दूरी बढ़ने के बावजूद दुनिया में अपना प्रभाव बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. यह यात्रा यह भी दर्शाती है कि वैश्विक शक्ति संतुलन के बीच भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखते हुए रूस के साथ मजबूत साझेदारी जारी रखे हुए है.
रक्षा समेत कई मुद्दों पर होगा सहयोग
इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, ऊर्जा आपूर्ति, परमाणु परियोजनाओं, व्यापार संतुलन और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है. विशेष रूप से, कुदनकुलम परमाणु संयंत्र की प्रगति और हेलीकॉप्टर, मिसाइल प्रणालियों तथा तकनीकी सहयोग को लेकर कई अहम निर्णय लिए जा सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों देशों की दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा प्रदान करेगी.
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