US’s CIA secretly dropped modified poppy seeds in Afghanistan: अफगानिस्तान अपने इतिहास में हमेशा से युद्ध क्षेत्र रहा है. दुनिया भर की असीम ताकत वाली शक्तियां इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लेना चाहती हैं. इसी तरह अमेरिका ने 1989 में रूस के जाने के बाद अपना प्रभाव बढ़ाया. हालांकि सितंबर 2001 में ट्विन टावर में हुए हमले के बाद उसने अपनी नीति बदली और आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन के नाम पर अफगानिस्तान में लगभग 20 साल तक इस देश में अपना अड्डा बनाए रखा. हालांकि इस दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कई ऐसे काम किए, जिसका खुलासा अब हो रहा है. ऐसा ही एक अभियान अफीम की खेती को लेकर हुआ था, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता था.

1. अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध के दौरान अमेरिका ने मिसाइल और बमों के साथ-साथ चुपके से अरबों संशोधित अफीम के बीज भी आसमान से गिराए. इन बीजों का उद्देश्य अफगानिस्तान की अफीम उत्पादन क्षमता को कमजोर करना था. यह गुप्त ऑपरेशन इतने लंबे समय तक चला कि दशकों तक इसकी जानकारी किसी को नहीं थी.

2. द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, CIA एक दशक से अधिक समय तक अफीम की फसल को नुकसान पहुँचाने के लिए अत्यंत गुप्त मिशन चला रही थी. इस मिशन का मकसद अफगानिस्तान की उस फसल को निशाना बनाना था, जो दुनिया के लिए हेरोइन का सबसे बड़ा स्रोत मानी जाती है. यह कार्यक्रम अब तक पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हुआ था.

3. इस मिशन के हिस्से के रूप में अफगान खेतों में ऐसे विशेष संशोधित बीज गिराए गए, जिनसे पैदा होने वाले पौधों में हेरोइन बनाने वाले रसायन लगभग समाप्त थे. इन पौधों ने धीरे-धीरे प्राकृतिक अफीम की शक्ति कम कर दी. यह सीक्रेट प्रोजेक्ट अफगानिस्तान में 2001 से 2021 तक के अमेरिकी युद्ध का एक अनकहा अध्याय है.

4. इस गुप्त कार्यक्रम की पुष्टि 14 ऐसे लोगों ने की, जो इसके संचालन से परिचित थे. वे सभी नाम न छापने की शर्त पर बोले. यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब नशीले पदार्थों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई फिर से तेज हो रही है. दो दशक पहले अमेरिका ने अफीम के खिलाफ यह गुप्त जंग शुरू की थी.

5. 2000 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान का तेजी से बढ़ता अफीम व्यापार अमेरिका की सुरक्षा रणनीति को कमजोर कर रहा था. अफीम से होने वाली कमाई तालिबान को हथियार उपलब्ध करवाती थी. साथ ही अफगान सरकार और प्रांतों में भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देती थी, जिससे अमेरिकी मिशन प्रभावित हो रहा था.

6. अफीम को खत्म करने की रणनीति पर अमेरिकी एजेंसियों में गहरी बहस हुई. कुछ लोग हवाई शाकनाशी छिड़कने के पक्ष में थे, जबकि कुछ अफगान फसल को खरीदकर दवा बनाने के लिए विदेश भेजने की वकालत कर रहे थे. इसी दौरान सीआईए ने गुप्त तरीके से अपना बीज-आधारित उन्मूलन अभियान शुरू किया.

7. इस कार्यक्रम की शुरुआत 2004 की सर्दियों में हुई और यह करीब 2015 तक चला. शुरुआत में ब्रिटिश C-130 विमान इस्तेमाल किए गए, जो रात में उड़ान भरकर नंगहार और हेलमंद के विशाल अफीम क्षेत्रों में अरबों जीन-एडिटेड बीज गिराते थे. इसका उद्देश्य स्थानीय फसल को धीरे-धीरे अप्रभावी बनाना था.

8. इन बीजों को जीन एडिटिंग और कई वर्षों की क्रॉस-ब्रीडिंग से विकसित किया गया था. इन्हें ऐसे तैयार किया गया कि इनमें हेरोइन बनाने वाले एल्कलॉइड बहुत कम रह जाएँ. लक्ष्य था कि ये पौधे प्राकृतिक अफीम के पौधों के साथ मिलकर एक कमजोर प्रजाति तैयार कर दें, जिससे पूरी फसल की क्षमता घट जाए.

9. कार्यक्रम के कई विवरण अब भी गोपनीय हैं, जैसे कितनी उड़ानें की गईं और इसका वास्तविक असर कितना पड़ा. यह मिशन इतना गुप्त था कि बुश और ओबामा प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इससे अनजान रहे. सीआईए को इसे चलाने के लिए राष्ट्रपति से विशेष सीक्रेट अनुमति लेनी पड़ी थी.

10. रिपोर्ट के अनुसार, इस गुप्त मिशन के बारे में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई या उनकी सरकार को भी शुरुआत में कोई जानकारी नहीं थी. यह स्पष्ट नहीं है कि बाद में उन्हें इसका पता चला या नहीं. मिशन से जुड़े अधिकारी अब भी इसके कई पहलुओं पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह इतिहास का एक अनसुलझा अध्याय बन गया है.
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