Turkey President Erdogan Raised Kashmir Issue: संयुक्त राष्ट्र महासभा का मंच हमेशा से वैश्विक राजनीति की नब्ज दिखाता है. इस साल भी तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यप एर्दोगन ने इसे पूरी तरह अपने अंदाज में इस्तेमाल किया. कश्मीर मुद्दे पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच हाल की तनावपूर्ण स्थिति के बाद हुए सीजफायर से खुश है. साथ ही उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अहमियत पर भी जोर दिया.
Turkey President Erdogan Raised Kashmir Issue: कश्मीरी मुद्दे पर एर्दोगन ने क्या कहा
एर्दोगन ने कहा, “हमें उम्मीद है कि कश्मीर में हमारे भाइयों और बहनों की बेहतरी के लिए कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए.” उनका तर्क था कि संवाद और UN प्रस्तावों के अनुसार समाधान जरूरी है. लेकिन भारत की लाइन बिल्कुल अलग है. भारत लगातार कहता रहा है कि कश्मीर कोई अंतरराष्ट्रीय मामला नहीं है. भारत का कहना है कि मुद्दा केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक सीमित है, और इसे सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाया जाएगा. किसी तीसरे देश या मंच को इसमें दखल नहीं देना चाहिए.
#WATCH | New York | At the 80th session of UNGA, Turkish President Recep Tayyip Erdoğan says, "… We are pleased with the ceasefire achieved following the tensions last April between Pakistan and India, which had escalated into a conflict… The issue of Kashmir should be… pic.twitter.com/YqWx3l5X1C
— ANI (@ANI) September 23, 2025
एर्दोगन का स्टाइल नया नहीं – पहले भी कश्मीर का मुद्दा उठा चुके
यह पहली बार नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर मुद्दा उठाया. 2024 में UNGA में उन्होंने कश्मीर का नाम तक नहीं लिया था. तब यह बदलाव BRICS में शामिल होने की तुर्की की कोशिशों के संदर्भ में देखा गया. वहीं, इस साल उन्होंने पाकिस्तान दौरे के दौरान भी संवाद और UN प्रस्तावों के जरिए समाधान की बात दोहराई थी.
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भारत का जवाब – ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा’
एर्दोगन के बयान के बाद भारत ने तुरंत विरोध जताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. किसी अन्य देश को इसमें टिप्पणी करने का कोई हक नहीं. अगर कुछ होना चाहिए था, तो पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकवाद की नीति को उजागर करना चाहिए था, जो कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर पर बयान देना एर्दोगन के लिए “बेगानी शादी में दीवाना” वाली हरकत ही था. भारत इसे अपने आंतरिक मामले में दखल मानता है और पाकिस्तान की आतंकवाद नीति पर ध्यान केंद्रित करना ज्यादा जरूरी समझता है. इस बार भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत-पाकिस्तान की जद्दोजहद में तीसरे पक्ष का बयान चर्चा का विषय बन गया.
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