Pakistan Saudi Intelligence Deal: कूटनीति और राजनीति की दुनिया में हर समझौते के पीछे एक लंबा खेल छुपा होता है. पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुआ स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट (रणनीतिक आपसी रक्षा समझौता) भी ऐसा ही है. अभी स्याही सूखी भी नहीं थी कि दोनों मुल्कों ने अगला बड़ा कदम उठा लिया. अब इस्लामाबाद और रियाद मिलकर संयुक्त खुफिया तंत्र (Joint Intelligence Mechanism) बनाने जा रहे हैं.
Pakistan Saudi Intelligence Deal: खुफिया तंत्र क्या करेगा?
नेटवर्क एटिन के अनुसार, इस तंत्र के तहत एक जॉइंट इंटेलिजेंस कमिटी बनेगी. ये कमिटी राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी कदमों और राजनीतिक, सैन्य तथा वैज्ञानिक संपत्तियों की सुरक्षा पर नजर रखेगी. इसका सबसे बड़ा फोकस होगा कि उच्च अधिकारियों और सैन्य कमांडरों को संभावित खतरों से बचाना. आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों की रियल टाइम जानकारी साझा करना. खतरों का आकलन और उसके मुताबिक तुरंत कार्रवाई करना. इसके लिए पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और सऊदी अरब की जनरल इंटेलिजेंस प्रेसीडेंसी (GID) अपने-अपने मुख्यालयों में खास सेल बनाएंगे.
Pakistan Saudi Intelligence Deal in Hindi: इंटेलिजेंस हॉटलाइन और ट्रेनिंग प्रोग्राम
दोनों देशों के बीच एक इंटेलिजेंस हॉटलाइन भी बनाई जाएगी. मतलब, सूचना का लेन-देन बिना देरी के सीधा और सुरक्षित. इसके अलावा, खुफिया अधिकारियों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे. ये ट्रेनिंग और सूचनाओं का आदान-प्रदान आतंकवाद-रोधी लड़ाई को और धारदार बनाएगा.
रणनीतिक साझेदारी की गहराई दिखाते हुए सूत्रों ने कहा है कि अक्टूबर में सऊदी अरब का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान का दौरा करेगा. इस दौरे का एजेंडा होगा, समझौते की प्रगति की समीक्षा करना. खुफिया सहयोग के ढांचे पर चर्चा करना और नवगठित समिति की पहलों को ज़मीन पर उतारने की रूपरेखा तय करना.
पाकिस्तान–सऊदी रिश्तों का नया आयाम
ये फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हाल ही में रियाद गए थे. वहां उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के साथ इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. अधिकारियों का कहना है कि खुफिया सहयोग उसी डील का सीधा नतीजा है, जो दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को संस्थागत करने की बड़ी कोशिश का हिस्सा है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने भी इस पूरे मामले पर नजरें गड़ाई हुई हैं. विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सोमवार को स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट पर प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी गहरी हुई है. हमें उम्मीद है कि यह साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखेगी.
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को भी कहा कि सरकार देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और समग्र सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी. उन्होंने साफ किया कि हमने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते की खबरें देखी हैं. सरकार को पहले से पता था कि यह डील, जो पहले से मौजूद व्यवस्था को औपचारिक रूप देती है, विचाराधीन थी. भारत ने ये भी जोड़ा कि इस समझौते के असर का अध्ययन किया जाएगा, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में.
टाइमिंग क्यों अहम है?
एक और दिलचस्प बात यह है कि ये डिफेंस डील ऐसे वक्त पर आई है, जब कतर में हमास नेतृत्व पर इजरायल ने हमला किया था. यानी पूरी दुनिया की नजर इस बात पर भी है कि इस नई साझेदारी का असर खाड़ी से लेकर दक्षिण एशिया तक की राजनीति और सुरक्षा समीकरण पर कैसे पड़ेगा.

