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Sudan Darfur El Fashir war: दारफुर का अल फशीर बना मौत का कैम्प, बमबारी, भूख और लाशों से पट गईं सड़कें!

Sudan Darfur El Fashir war: अल फशीर, दारफुर का कभी रौनक से भरा शहर, आज मौत, भूख और तबाही का प्रतीक बन चुका है. RSF और सूडानी सेना की लड़ाई ने इसे खौफ के गढ्ढे में धकेल दिया है. भूख, बीमारी और बमबारी से जूझते नागरिक मदद की पुकार कर रहे हैं.

Sudan Darfur El Fashir war: सूडान के दारफुर इलाके का एक बड़ा शहर है अल फशीर (El Fashir). कभी ये इलाका कारोबार, रौनक और लोगों की चहल-पहल के लिए जाना जाता था. लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि यहां भूख, लाशें और बमबारी ही दिखाई देती है. सूडान की सेना और Rapid Support Forces (RSF) के बीच जारी लड़ाई ने इस शहर को खौफ और तबाही के गढ्ढे में धकेल दिया है. आम लोग न तो घर छोड़ पा रहे हैं और न ही जिंदा रहने के लिए जरूरी चीजें जुटा पा रहे हैं.

हर तरफ मौत है

वाशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी ने कहा कि हालत बेहद खौफनाक है. हर तरफ मौत बिखरी पड़ी है. सड़कों पर मलबा और लाशें पड़ी हैं. लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे. खाना खत्म हो रहा है, दवाएं गायब हैं और अस्पताल पनाहगाह बन चुके हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि 15 सितंबर को सिर्फ एक पैरामिलिट्री हमले में 70 से ज्यादा लोगों की जान गई. अस्पताल घायल लोगों से भरे पड़े हैं लेकिन दवाइयों का स्टॉक खत्म होने की कगार पर है और डराने वाली बात ये है कि इनमें से कई हत्याएं जातीय आधार पर की गईं. यानी यहां की हिंसा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जातीय नफरत से भी भरी है.

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UN की चेतावनी – युद्ध अपराध की कगार पर हालात

संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक सूडान में इस साल नागरिक मौतों में तेज इजाफा हुआ है. औरतें और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. UN रिपोर्ट कहती है कि आम नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, और यह युद्ध अपराध हो सकता है. मानवीय मदद (Humanitarian Aid) पहुंच नहीं पा रही. राहत सामग्री की गाड़ियां रास्ते में ही अटक रही हैं. नतीजा यह है कि भुखमरी और कुपोषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं. डॉक्टर और राहतकर्मी बता रहे हैं कि कॉलरा और दूसरी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. पानी और सफाई की व्यवस्था टूट चुकी है. अस्पतालों में इलाज से ज्यादा लोग शरण ले रहे हैं.

वाशिंगटन पोस्ट से एक और शख्स ने कहा कि आप घर से बाहर नहीं निकल सकते. हर गली गोलीबारी के निशाने पर है. लोग भूख से मर रहे हैं. बच्चे बिलख रहे हैं. अस्पतालों के पास अब संभालने की ताकत नहीं बची. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने साफ कहा है कि लड़ाई को अब रुकना होगा. फौरन युद्धविराम होना चाहिए और राहत सामग्री के लिए सुरक्षित रास्ते खोले जाने चाहिए. लेकिन सेना और RSF के बीच बातचीत की हर कोशिश अब तक नाकाम रही है.

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Sudan Darfur El Fashir war: आने वाले दिन और भयानक होंगे

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर घेराबंदी टूटी नहीं, तो दारफुर में सबसे बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र का एक अधिकारी कहता हैं कि हमें किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. हालात और बिगड़ सकते हैं. अल फशीर के लोगों के सामने आज सिर्फ दो ही रास्ते हैं,  घरों में बंद रहकर भूख और बीमारी से मर जाना, या फिर बाहर निकलकर गोलियों और बमबारी का शिकार होना. सवाल ये है कि क्या दुनिया सिर्फ रिपोर्ट्स और आंकड़ों तक सीमित रहेगी, या सूडान के इस नर्क को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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