Pakistan halts Jaffar Express: पाकिस्तान ने बलूच विद्रोहियों का सबसे खास निशाना जाफर एक्सप्रेस को रोकने का फैसला किया है. पाकिस्तान रेलवे ने क्वेटा और पेशावर के बीच चलने वाली जाफर एक्सप्रेस सेवा को चार दिनों (9 से 12 नवंबर) के लिए अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है. इसके लिए पाक रेलवे ने सुरक्षा चिंताओं और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता का हवाला दिया है. यह निर्णय सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया विभागों द्वारा की गई समीक्षा और सिफारिशों के बाद लिया गया है. यह एक ऐसी ट्रेन है, जिस पर पिछले 12 महीने में कई बार हमले हुए हैं.
जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान रेलवे की प्रमुख यात्री ट्रेनों में से एक है, जो बलूचिस्तान को खैबर पख्तूनख्वा से जोड़ती है. जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान की सबसे व्यस्त लंबी दूरी की ट्रेनों में से एक है. यह ट्रेन यात्रियों, व्यापारियों और प्रांतीय यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन कड़ी के रूप में कार्य करती है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जाफर एक्सप्रेस आतंकवादी हमलों का लगातार निशाना बनती रही है, जिससे कई लोगों की जान गई है और रेलवे संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है. इन घटनाओं ने इस मार्ग को अत्यंत संवेदनशील बना दिया है, जिसके चलते अधिकारियों ने बढ़ते खतरे के समय अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्णय लिया है.
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, सेवा 9 नवंबर से 12 नवंबर तक निलंबित रहेगी. अधिकारियों ने बताया, “यह निलंबन यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और रेलवे संपत्ति को संभावित खतरों से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से किया गया है.” केवल इस साल ही जाफर एक्सप्रेस पर सात बार हमले हो चुके हैं, जिनमें कम से कम 30 नागरिकों की मौत और 35 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है.
विद्रोहियों के निशाने पर जाफर एक्सप्रेस
पिछले 12 महीनों में जाफर एक्सप्रेस विशेष रूप से प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का निशाना रही है. इसी साल मार्च में, BLA के उग्रवादियों ने ट्रेन का अपहरण कर लिया था, जिसमें 380 यात्री सवार थे. यह घटना एक पहाड़ी सुरंग में दो दिन तक चली मुठभेड़ में बदल गई. सुरक्षा बलों के बचाव अभियान में 26 यात्रियों की मौत हुई, जबकि 350 से अधिक यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया. अधिकारियों के अनुसार, 33 उग्रवादी भी मारे गए.
इसके बाद कई और हमले हुए. अक्टूबर में, सिंध क्षेत्र में एक विस्फोट से पांच बोगियां पटरी से उतर गईं और 7 यात्री घायल हुए. सितंबर में, मस्तुंग में ट्रैक पर हुए धमाके से छह कोच पलट गए, जिसमें 12 लोग घायल हुए. अगस्त में, एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से विस्फोट हुआ, जिससे छह डिब्बे पटरी से उतर गए. कुछ दिन पहले, एक पायलट इंजन पर गोलियां चलाई गईं. जुलाई और जून में, सिंध में दो अलग-अलग धमाकों ने कई कोचों को नुकसान पहुंचाया. वहीं पिछले साल के अंत में, क्वेटा स्टेशन पर एक आत्मघाती हमलावर ने कम से कम 26 लोगों की जान ले ली.
बढ़ता खतरा और ढहती सुरक्षा व्यवस्था
शिकारपुर के डिप्टी कमिश्नर शकील अबरो ने प्रकाशन को बताया कि “सुबह 8:15 बजे सुल्तान कोट रेलवे स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर दूर रेल ट्रैक पर विस्फोट हुआ था.” सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि विद्रोही समूह अब रेलवे को निशाना बनाकर राज्य की क्षमता को चुनौती दे रहे हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि सरकार महत्वपूर्ण परिवहन ढांचे की रक्षा नहीं कर पा रही है. बार-बार होने वाले इन हमलों की वजह से सुरक्षा नियंत्रण का पतन दिखता है खासकर बलूचिस्तान के रेल कॉरिडोर में. प्रांतीय राजनीतिक नेताओं ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की है.
चार मोर्चों पर जूझता पाकिस्तान
पाकिस्तान पिछले कई वर्षों में अपनी सबसे खतरनाक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है. सिर्फ BLA ही नहीं, बल्कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISK) और सीमा पार के आतंकियों ने भी हमले तेज कर दिए हैं. ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में इस वर्ष आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में 45% की वृद्धि हुई है. राजनयिक स्तर पर भी हालात बेहतर नहीं हैं. इस हफ्ते पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता इस्तांबुल में बिना किसी समझौते के टूट गई और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाया.
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