Donald Trump Tariff Dividend 2000 US Dollar to American: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी नीति के गुणगान करते नहीं थक रहे. उन्होंने रविवार को अपनी टैरिफ (शुल्क) नीति का बचाव करते हुए इसके विरोधियों को मूर्ख कहा. उन्होंने यह भी दावा किया कि शुल्कों ने अमेरिका को दुनिया का सबसे अमीर और सबसे सम्मानित देश बना दिया है, जहां लगभग कोई मुद्रास्फीति नहीं है. उन्होंने स्टॉक मार्केट की तेजी का भी जिक्र किया और साथ ही अमीरों को छोड़कर हर अमेरिकी को 2,000 डॉलर का लाभांश देने का वादा भी कर दिया, जो भारतीय रुपयों में 1,77,358 रुपये के लगभग है. ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब सुप्रीम कोर्ट में उनके ग्लोबल टैरिफ के खिलाफ सुनवाई चल रही है.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “जो लोग टैरिफ के खिलाफ हैं, वे मूर्ख हैं! अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर, सबसे सम्मानित देश बन गया है, जहां लगभग कोई महंगाई नहीं है और शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर है. 401k (सेवानिवृत्ति निवेश योजना) अपने सर्वोच्च स्तर पर है.” उन्होंने दावा किया कि अमेरिका “टैरिफ से खरबों डॉलर कमा रहा है,” जिससे वह जल्द ही “अपने 37 ट्रिलियन डॉलर के भारी कर्ज का भुगतान शुरू कर सकेगा.”
ट्रंप ने यह भी कहा कि “देश में रिकॉर्ड निवेश आ रहा है, हर जगह नए प्लांट और फैक्ट्रियां बन रही हैं.” उन्होंने यह भी दोहराया कि “कम से कम 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति का लाभांश दिया जाएगा (उच्च आय वाले लोगों को छोड़कर).” हालांकि इस प्रस्तावित भुगतान के बारे में कोई अतिरिक्त विवरण नहीं दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट में ग्लोबल टैरिफ लगाने पर चल रही सुनवाई
ट्रंप की ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर से उन ग्लोबल टैरिफों पर सुनवाई शुरू की है, जो ट्रंप के कार्यकाल के दौरान लगाए गए हैं. यह मामला उनकी नीतियों की कानूनी वैधता पर चल रही जांच है. ट्रंप ने लगभग सभी प्रमुख देशों पर टैरिफ की चोट की है. इस समय भारत और चीन सबसे ज्यादा टैरिफ की मार झेल रहे हैं. भारत पर 25% टैरिफ लगा है, जबकि 25% अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल आयात करने के कारण लगाया गया है. ट्रंप की नीति की वजह से भारत को नुकसान हुआ. भारतीय निर्यातों में लगभग 37.5% की गिरावट देखी गई है.
भारत को टैरिफ के कारण झेलना पड़ रहा नुकसान
वहीं चीन के खिलाफ 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, हालांकि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के बाद इसे रोक दिया गया है. भारत को सबसे बड़ा नुकसान टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, चमड़ा और सी फूड में हुआ है. टैरिफ की वजह से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हुए और उन्हें बाजार में प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा है. भारत में ऑर्डर भी कैंसल हो गए हैं, लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है. भारत को व्यापार घाटा भी झेलना पड़ सकता है, इसके साथ ही भारत की जीडीपी पर भी असर पड़ सकता है. वहीं अमेरिका में टैरिफ से वसूला गया पैसा ही ट्रंप लोगों में डिविडेंट की तरह बांटने की बात कह रहे हैं. हालांकि यह सारा पैसा अमेरिकी जनता से ही वसूला गया है, क्योंकि बढ़े हुए दाम पर सभी चीजों की खरीद अमेरिकी जनता ने ही किया है.
सुप्रीम कोर्ट में पूछे जा रहे तीखे सवाल
वहीं ट्रंप के टैरिफ का यह मामला पिछले कई वर्षों में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने वाला सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक मामला माना जा रहा है, जिसमें न्यायाधीश यह तय कर रहे हैं कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति ने बड़े पैमाने पर वैश्विक व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाते समय कानूनी रूप से कार्य किया था. ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश से टैरिफ की घोषणा कर दी. उन्होंने इस दौरान आपातकाल में प्रयोग किए जाने वाले अधिकार का उपयोग किया. सामान्य समय में यह अधिकार सीनेट के पास है. इस मामले में तीन निचली अदालतों ने ट्रंप सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था. वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, ट्रंप के वकीलों को न्यायाधीशों एमी कोनी बैरेट, नील गोरसच और ब्रेट कैवनॉ के कड़े प्रश्नों का सामना करना पड़ा.
जस्टिस बैरेट ने प्रशासन द्वारा एक संघीय कानून का उपयोग कर अधिक शुल्क लगाने पर सवाल उठाया और पूछा कि “सभी देशों पर ‘पारस्परिक टैरिफ’ क्यों लागू किए गए.” वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट भी सुनवाई में मौजूद थे और उन्होंने कहा कि प्रशासन इस स्थिति को “आर्थिक आपातकाल” के रूप में देख रहा है. हालांकि ट्रंप सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इस साल लगभग हर मामले में क्लीन चिट मिल गई है. बीते दिनों पासपोर्ट में केवल दो लिंगों को मान्यता देने वाले उनके फैसले पर इसी कोर्ट ने मुहर लगाई थी.
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