Pakistan ISI spy Network busted in Russia: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) अपनी नापाक हरकतों में विफल हुई है. इस बार उसने रूस में घुसकर खुफिया जानकारी चुराने की कोशिश की, लेकिन पुतिन की सीक्रेट एजेंसियों ने उसे धर दबोचा है. रूस ने एक पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिस पर आरोप है कि उसने रूस की एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी चोरी करने की कोशिश की. सेंट पीटर्सबर्ग में एक रूसी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है, जिसका संबंध आईएसआई से बताया गया है. इस नेटवर्क के निशाने पर सैन्य हेलिकॉप्टर और वायु रक्षा प्रणालियों से जुड़ी गोपनीय दस्तावेज थे. यह नेटवर्क ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कुछ महीनों बाद उजागर हुआ है. आईएसआई ने कथित तौर पर रूस द्वारा निर्मित उन्नत वायु रक्षा प्रणाली से जुड़ी तकनीक की तस्करी की कोशिश की.
इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक काउंटर-एस्पियोनेज (गुप्तचर विरोधी अभियान) के दौरान एक रूसी नागरिक को गिरफ्तार किया गया, जो सैन्य हेलिकॉप्टर तकनीक और एयर डिफेंस सिस्टम से संबंधित दस्तावेजों की तस्करी करने की कोशिश कर रहा था. यह जानकारी Mi8AMTShV और MI8 AMTShV (VA) जैसे मिलिट्री ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टरों से जुड़ी थी.
कहां इस्तेमाल होती हैं तकनीक?
Mi8AMTShV एक आधुनिक रूसी सैन्य परिवहन और अटैक हेलिकॉप्टर है, जो Mi8AMTSh ‘Terminator’ का अपग्रेडेड संस्करण है. वहीं MI8 AMTShV (VA) इसका आर्कटिक संस्करण है, जिसे ध्रुवीय इलाकों में काम करने के लिए बनाया गया है. इसमें विशेष हीटिंग सिस्टम, बेहतर इंसुलेशन और लंबी दूरी की ईंधन क्षमता दी गई है.
भारत-रूस सैन्य गठजोड़ से भयभीत है पाकिस्तान
आईएसआई ने पहले भी उन्नत एयर डिफेंस तकनीक की तस्करी करने की कोशिश की थी. हालांकि वह उस समय भी नाकाम रही थी. पाकिस्तान रूस की सैन्य क्षमताओं परेशानी में है, क्योंकि भारत के पास अधिकतर सैन्य हथियार मॉस्को की तकनीक पर ही आधारित हैं. विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना पूरी तरह लाचार नजर आई थी, जब रूस में निर्मित S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने भारत के लिए गेमचेंजर का काम किया था. ऐसे में पाकिस्तान लगातार रूस के ऊपर खुफिया मिशन में लगा हुआ है. भारत भविष्य में पांच और S-400 सिस्टम खरीदने की योजना बना रहा है.
रूस पिछले कुछ समय से पाकिस्तान को लताड़ रहा है. पिछले सप्ताह, इस्लामाबाद में रूसी दूतावास ने पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार The Frontier Post को रूस विरोधी नैरेटिव फैलाने के लिए फटकार लगाई थी.
चोरी से बनाया था परमाणु हथियार
पाकिस्तान के ऊपर अपने परमाणु हथियारों को भी चोरी की फाइल से बनाने का आरोप है. 1971 में भारत से मिली हार के बाद पाकिस्तान ने देश को परमाणु ताकत बनाने का निर्णय लिया.पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक कहे जाने वाले अब्दुल कादिर खान (ए.क्यू. खान), उस समय नीदरलैंड की यूरेनको कंपनी में काम करते थे. उन्हीं ने 1974–75 के आसपास ए.क्यू. खान ने यूरेनिको से सेंट्रीफ्यूज से जुड़ी संवेदनशील योजनाएँ चुराईं और पाकिस्तान ले गए. खान विदेश से जुटाए गए उपकरणों को छिपाकर देश में लाया और एक प्रयोगशाला स्थापित की, जो बाद में खान रिसर्च सेंटर के नाम से जानी गई. चुराई हुई योजना और समुचित सामग्री के चलते पाकिस्तान को समृद्ध यौगिक यूरेनियम प्राप्त हुआ और आगे के कदम तेज हुए.
अगले चरण में बम के निर्माण के लिए तकनीकी सहयोग की जरूरत पड़ी और इस सिलसिले में चीन की मदद मिली. भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सहायता करने के लिए चीन ने हामी भर दी. रिपोर्टों के मुताबिक चीन ने डिजाइन, ट्रिगर हिस्सों (जैसे रिंग मैग्नेट) और मिसाइल टेक्नोलॉजी मुहैय्या कराई. दशकों तक चलने वाली इन गतिविधियों के बाद पाकिस्तान ने 1998 में अपने परमाणु परीक्षण किए और आज यह एक परमाणु संपन्न मुस्लिम बहुल देश के रूप में जाना जाता है. जिसके कार्यक्रम में कई अंतरराष्ट्रीय तकनीकी योगदान भी शामिल थे.
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