Bangladesh Sheikh Hasina: 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश अचानक छोड़कर भागना पड़ा. उनके खिलाफ स्टूडेंट आंदोलन की वजह से जान का खतरा था, जिसे टालने के लिए पिछले साल हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ 5 अगस्त को दोपहर के बाद 2.25 बजे अपना देश छोड़कर भारत आ गईं. लेकिन उनके खिलाफ साजिश के तहत यह आंदोलन करवाया गया, जिसमें अमेरिका के क्लिंटन परिवार और एक अमेरिकी एजेंसी शामिल थी. यह आरोप लगाया है, शेख हसीना की कैबिनेट में रहे पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने. उन्होंने रशिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि यूएसएआईडी (USAID) और पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित एनजीओ कई वर्षों से नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के साथ मिलकर हसीना सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 2024 में हुए उस विद्रोह में ये सभी शामिल थे, जिसके चलते बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को सत्ता से हटना पड़ा था.
रशिया टुडे को दिए इंटरव्यू में, हसीना की कैबिनेट में मंत्री रहे मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा किया कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) और नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के बीच गहरा गठजोड़ था. चौधरी के अनुसार, USAID और कुछ पश्चिम समर्थित एनजीओ 2018 से ही हसीना सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे थे. उन्होंने कहा, “कुछ एनजीओ की गतिविधियाँ, विशेष रूप से अमेरिका से जुड़ी संस्थाएँ, जैसे कि USAID या इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टिट्यूट काफी समय से हमारी सरकार के खिलाफ अभियान चला रही थीं.”
‘सावधानी से रची गई साजिश’
पूर्व मंत्री का दावा है कि हसीना की सरकार को गिराने वाले विरोध प्रदर्शन स्वतःस्फूर्त नहीं थे, बल्कि उन्हें ‘सावधानी से योजनाबद्ध’ और वित्तपोषित किया गया था. चौधरी ने आगे कहा कि 2024 का विद्रोह ‘सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध’ अभियान था, जिसे पश्चिमी हितों का समर्थन प्राप्त था और इसका संबंध यूनुस और क्लिंटन परिवार के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों से था. उन्होंने कहा कि एनजीओ को गुप्त रूप से धन मुहैया करवाया जा रहा था, ताकि शेख हसीन सरकार गिराई जा सके. उनका मकसद बांग्लादेश सत्ता को बदलना था.
चौधरी ने आरोप लगाया, “यह रिश्ता इस बात की ओर इशारा करता है कि क्लिंटन फाउंडेशन और यूनुस मिलकर बांग्लादेश में लोकतंत्र और विकास के नाम पर शासन परिवर्तन (रिजीम चेंज) की कोशिश कर रहे थे.” उन्होंने आगे कहा, “क्लिंटन परिवार और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के बीच बहुत पुराने समय से गठजोड़ है. गुप्त रूप से एनजीओ को फंडिंग दी जा रही थी ताकि हसीना सरकार को अस्थिर किया जा सके.”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि USAID के फंड का इस्तेमाल कैसे हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि IRI सक्रिय था, USAID की फंडिंग का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं है. वह पैसा आखिर गया कहाँ? वह तो सत्ता परिवर्तन की गतिविधियों के लिए ही था. इस पैसे से एक अराजकता को योजनाबद्ध ढंग से तैयार किया गया, और फिर उस अराजकता को बड़े दंगे में बदल दिया गया. इसके कारण दंगा हुए और सत्ता परिवर्तन हुआ.
हसीना का सत्ता से पतन
ये बयान उस घटना के एक साल से भी अधिक समय बाद आए हैं. शेख हसीना के खिलाफ यह तब हुआ जब नौकरी आरक्षण (जॉब कोटा) के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुआ आंदोलन देशव्यापी हिंसा में बदल गया. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के अनुसार, इस दौरान 700 से अधिक लोग मारे गए.
शेख हसीना का आरोप
शेख हसीना ने भी मोहम्मद यूनुस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने “देश को अमेरिका के हाथ बेच दिया.” हसीना ने दावा किया कि उन्होंने और उनके दिवंगत पिता दोनों ने ही अमेरिका के उस प्रयास को अस्वीकार किया था, जिसमें वह बंगाल की खाड़ी में स्थित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सेंट मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण पाना चाहता था.
शेख हसीना 15 वर्षों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं. प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके आवास पर धावा बोलने से ठीक पहले वे देश छोड़कर चली गईं. इसके बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया. RT की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस के सत्ता संभालने के बाद, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ संबंध मजबूत करने और भारत से दूरी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते 1971 के युद्ध के बाद से ही तनावपूर्ण रहे हैं. इस दौरान पाकिस्तान के ऊपर बांग्लादेशियों के नरसंहार के आरोप लगे थे. लाखों स्त्रियों का बलात्कार किया गया था और लाखों लोग मारे गए थे. आखिरकार त्रस्त आकर बांग्लादेश ने संघर्ष का रास्ता अपनाकर स्वतंत्रता हासिल की थी.
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