Khawaja Asif Aurangzeb India Statement controversy: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का नाम अक्सर विवादित बयानों के साथ जुड़ा रहता है. इस बार उन्होंने फिर एक ऐसा बयान दिया है जो इंटरनेट पर वायरल हो गया है और भारत-पाकिस्तान के बीच भावनाओं को भड़काने वाला बताया जा रहा है. लेकिन क्या है उनकी दलील और इतिहास के सच का हाल इसे समझने के लिए नीचे पढ़िए पूरी मसला है क्या.
भारत की एकता पर विवादित दावे
समा टीवी से बातचीत में ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि “भारत कभी पूरी तरह एकजुट नहीं था, सिवाय औरंगजेब के कुछ समय के.” उनका कहना था कि पाकिस्तान “अल्लाह के नाम पर” बना था और घर में हम जितना भी बहस करें, भारत के साथ लड़ाई में हम एकजुट हो जाते हैं. उन्होंने भारत के साथ संभावित संघर्ष की संभावना भी जताई और इस्लामाबाद को तैयार रहने की सलाह दी.
आसिफ ने कहा, “भारत के साथ युद्ध की संभावनाएं वास्तविक हैं… मैं तनाव नहीं बढ़ाना चाहता, लेकिन जोखिम वास्तविक हैं. अगर युद्ध की नौबत आई, तो इंशाअल्लाह, हम पहले से बेहतर परिणाम हासिल करेंगे.” उनके अनुसार मई में भारत के साथ 12 दिनों तक चले संघर्ष के दौरान तटस्थ देशों का रुख पाकिस्तान के पक्ष में गया और जो भारत का समर्थन कर रहे थे, वे अब चुप हैं.
Khawaja Asif Aurangzeb India Statement controversy: सोशल मीडिया पर और भी तीखा अंदाज
आसिफ का बयान केवल इंटरव्यू तक सीमित नहीं रहा. हाल ही में उन्होंने X (पहले Twitter) पर भी एक पोस्ट शेयर किया था जिसमें उन्होंने भारतीय सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बयान पर तीखा पलटवार किया. पोस्ट में उन्होंने लिखा कि अगर विरोधी फिर कोशिश करेंगे तो “स्कोर पहले से कहीं बेहतर होगा.” इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान के दृढ़ नजरे और ईश्वर पर भरोसा जताते हुए लिखा, “इस बार ईश्वर की इच्छा से, भारत अपने ही विमानों के मलबे में दब जाएगा. अल्लाहु अकबर.”
इतिहास क्या कहता है?
ख्वाजा आसिफ के “सिर्फ औरंगजेब” वाले दावे को इतिहासकारों ने अक्सर विवादित माना है. वास्तविकता यह है कि मुगल काल में भी अकबर के अधीन भारत में अधिक एकता देखी गई थी. इससे पहले और बाद में, भारत ने कई राजनीतिक एकीकरण देखे हैं. उदाहरण के लिए, चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य और अशोक का शासन क्षेत्र आधुनिक अफगानिस्तान से लेकर बंगाल तक फैला हुआ था. यानी, भारत का इतिहास केवल औरंगजेब तक सीमित नहीं है.
ख्वाजा आसिफ का बयान सीधे इतिहास और क्षेत्रीय राजनीति दोनों को छेड़ता है. “भारत कभी एकजुट नहीं था” जैसे दावे भारी विवाद पैदा कर सकते हैं. इसके साथ ही युद्ध की संभावनाओं पर उनके बयान और सोशल मीडिया पर उग्र टिप्पणी क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकती है.
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