North Korea Tested New Hypersonic Missiles: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं. गुरुवार (23 अक्टूबर 2025) को देश की सरकारी एजेंसी कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) ने बताया कि उत्तर कोरिया ने नई हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण किया है. सरकार का कहना है कि ये टेस्ट परमाणु युद्ध के खिलाफ देश की रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए किए गए हैं. यानी साफ है कि किम जोंग उन फिर से दुनिया को यह याद दिलाना चाहते हैं कि उत्तर कोरिया अब किसी का मोहताज नहीं है.
North Korea Tested New Hypersonic Missiles: कई मिसाइलों के दागे जाने का पता लगाया
दक्षिण कोरिया की सेना ने बताया कि उसने राजधानी प्योंगयांग के दक्षिण में एक इलाके से कई मिसाइलों के दागे जाने का पता लगाया. ये मिसाइलें करीब 350 किलोमीटर तक उत्तर-पूर्व दिशा में उड़ीं और जमीन पर जाकर गिरीं. सेना के मुताबिक, यह उत्तर कोरिया का नया हाइपरसोनिक सिस्टम हो सकता है. इन मिसाइलों की खासियत है कि ये बहुत तेज गति से उड़ती हैं और हवा में दिशा भी बदल सकती हैं.
दुनिया के बड़े नेताओं की मीटिंग से ठीक पहले
ये मिसाइल परीक्षण ऐसे समय में हुए हैं जब कुछ ही दिन बाद दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की बड़ी बैठक होने वाली है. इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत दुनिया के कई नेता आने वाले हैं. यानि, जब सबकी निगाहें सियोल पर हैं, तभी प्योंगयांग ने अपनी ताकत का डेमो शो कर दिया है.
KCNA की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
KCNA ने कहा कि परीक्षणों में दो हाइपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र शामिल थे, जिन्होंने देश के उत्तरी इलाके में जमीन पर बने लक्ष्य को सटीकता से हिट किया. रिपोर्ट में कहा गया कि ये रणनीतिक मिसाइलें हैं यानी इन्हें परमाणु हथियारों से लैस करने के लिए तैयार किया गया है. हालांकि, एजेंसी ने इस नई मिसाइल प्रणाली का नाम नहीं बताया. इससे पहले अक्टूबर की शुरुआत में प्योंगयांग में एक बड़ी सैन्य परेड हुई थी. इस परेड में किम जोंग उन ने अपनी सेना के कुछ नए हथियार दिखाए थे. इनमें एक छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली भी थी, जिसमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल लगे थे. अब उसी सिस्टम का असली टेस्ट कर दिखाया गया है.
क्या हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें?
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो होती हैं जो आवाज की गति से पांच गुना से भी तेज उड़ सकती हैं. यानी एक सेकंड में सैकड़ों मीटर का फासला तय कर लेती हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये मिसाइल डिफेंस सिस्टम को धोखा देकर निकल सकती हैं, क्योंकि उड़ान के बीच में दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं. हालांकि, कई विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया की मिसाइलें वास्तव में इतनी तेज हैं या नहीं यह अब तक साबित नहीं हुआ है. बुधवार के परीक्षण में किम के साथ उनके शीर्ष सैन्य अधिकारी पाक जोंग चोन भी मौजूद थे. उन्होंने इस नई तकनीक की तारीफ करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया अपनी रक्षा और युद्ध निवारक क्षमता को और मजबूत करेगा.
सबसे ताकतवर मिसाइल का भी खुलासा
10 अक्टूबर की परेड के दौरान किम ने एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) भी दिखाई थी. सरकारी मीडिया के मुताबिक, यह अब तक की सबसे शक्तिशाली परमाणु मिसाइल है, जिसकी रेंज इतनी है कि यह अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंच सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया इस मिसाइल का परीक्षण आने वाले हफ्तों में कर सकता है. शायद 2026 की शुरुआत में होने वाले सत्तारूढ़ दल के सम्मेलन से पहले, जहां किम अमेरिका के खिलाफ नई नीति की घोषणा कर सकते हैं.
किम जोंग उन ने 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ परमाणु वार्ता की थी. लेकिन यह बातचीत आर्थिक प्रतिबंधों के मुद्दे पर टूट गई. इसके बाद से किम ने मिसाइल परीक्षणों की रफ्तार और बढ़ा दी. अब लगभग हर कुछ महीनों में उत्तर कोरिया कोई न कोई नई मिसाइल टेस्ट कर रहा है.
दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति के लिए मुश्किल दौर
यह परीक्षण दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे म्युंग के लिए बड़ी चुनौती है. ली ने जून में पद संभालते समय कहा था कि वे कोरियाई प्रायद्वीप में शांति बहाल करेंगे. लेकिन किम जोंग उन ने अब तक उनकी बातचीत की पेशकश ठुकरा दी है. किम का कहना है कि जब तक अमेरिका उत्तर कोरिया को परमाणु मुक्त करने के अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ता, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परीक्षण तकनीक दिखाने से ज्यादा राजनीतिक संदेश है.
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