Mohammad Bakri Palestinian Actor Director: फिलिस्तीनी सिनेमा और रंगमंच की दुनिया से एक अहम आवाज खामोश हो गई है. अपनी फिल्मों और मंचीय प्रस्तुतियों के जरिए फिलिस्तीनी पहचान, पीड़ा और जटिलताओं को बेबाकी से सामने रखने वाले मशहूर निर्देशक-अभिनेता मोहम्मद बकरी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की है. अरबी और हिब्रू, दोनों भाषाओं में समान प्रभाव से काम करने वाले मोहम्मद बकरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान 2003 में आई उनकी डॉक्यूमेंट्री ‘जेनिन, जेनिन’ से मिली. यह फिल्म दूसरे फिलिस्तीनी इंतिफादा के दौरान वर्ष 2002 में वेस्ट बैंक के जेनिन शहर में हुए इजरायली सैन्य अभियान की पृष्ठभूमि पर आधारित थी. इसमें स्थानीय फिलिस्तीनी आबादी की तबाही और मानवीय त्रासदी को दिखाया गया था, जिसके चलते इजरायल में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बुधवार को दिल और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के कारण उनका निधन हुआ. उनके चचेरे भाई राफिक बकरी ने अरबी समाचार वेबसाइट अल-जर्मक से कहा कि मोहम्मद बकरी आजीवन फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रबल समर्थक रहे और अपनी कला के जरिए अपने लोगों के पक्ष में आवाज उठाते रहे. अपने करियर के दौरान बकरी ने कई ऐसी फिल्मों का निर्माण और अभिनय किया, जिनमें फलस्तीनी अनुभवों के विविध और जटिल पहलुओं को दर्शाया गया. उन्होंने हिब्रू भाषा में भी अभिनय किया और तेल अवीव स्थित इजराइल के राष्ट्रीय थिएटर में मंच पर प्रस्तुति दी. इसके अलावा, 1980 और 1990 के दशक की कई चर्चित इजराइली फिल्मों में भी उनका काम देखा गया.
फिलिस्तीनी पहचान के संघर्ष और भावनात्मक उलझनों को दर्शाया
उत्तरी इजरायल में जन्मे और इजरायली नागरिकता रखने वाले बकरी फिल्म और थिएटर, दोनों माध्यमों में सक्रिय रहे. उनका 1986 का एकल मंचन ‘द पेसऑप्टिमिस्ट’, दोहरी इजरायली और फिलिस्तीनी पहचान के संघर्ष और भावनात्मक उलझनों को दर्शाता है. यह फिलिस्तीनी लेखक एमिल हबीबी की रचनाओं से प्रेरित था. अपने लंबे करियर में मोहम्मद बकरी हिब्रू भाषा में अभिनय करने वाले चुनिंदा फिलिस्तीनी कलाकारों में शामिल थे और तेल अवीव स्थित इजरायल के राष्ट्रीय थिएटर में भी मंच पर उतरे. 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कई चर्चित इजरायली फिल्मों में भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने तेल अवीव विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी.

बकरी ने रूढ़ छवियों को तोड़ा
1980 के दशक में बकरी ने मुख्यधारा की इजरायली फिल्मों में ऐसे किरदार निभाए, जिनसे फिलिस्तीनी पहचान को मानवीय दृष्टि से देखा जाने लगा. इनमें ‘बियॉन्ड द वॉल्स’ जैसी चर्चित फिल्म शामिल है, जो जेल में बंद इजरायलियों और फिलिस्तीनियों की कहानी कहती है. यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर राया मोराग के मुताबिक, इन भूमिकाओं में उन्होंने रूढ़ छवियों को तोड़ा और एक फिलिस्तीनी किरदार को इजरायली समाज में नायक के रूप में स्वीकार किए जाने का रास्ता बनाया.
‘जेनिन, जेनिन’ में ऐसा क्या था कि इजरायल को लगाना पड़ा बैन?
हालांकि, इजरायली कलाकारों के साथ उनके सहयोग को लेकर उन्हें फिलिस्तीनी समाज के भीतर भी आलोचना झेलनी पड़ी. ‘जेनिन, जेनिन’ के बाद बकरी को इजरायल में लगभग दो दशकों तक कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा. 2022 में इजरायल के सुप्रीम कोर्ट ने इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि इससे इजरायली सैनिकों की मानहानि होती है और बकरी को एक सैन्य अधिकारी को हर्जाना देने का आदेश दिया. इस फिल्म के बाद बकरी इजरायल में एक विवादास्पद चेहरा बन गए और उन्होंने मुख्यधारा के इजरायली सिनेमा से दूरी बना ली. हालांकि तमाम दबावों के बावजूद वह अपने विचारों के प्रति ईमानदार रहे और उनकी आवाज कभी बदली नहीं.
2025 में बेटों के साथ बनाई थी फिल्म
साल 2025 में मोहम्मद बाकरी नाटकीय फिल्म ‘ऑल दैट्स लेफ्ट ऑफ यू’ में भी नजर आए. यह फिल्म 76 वर्षों से अधिक समय में एक फलस्तीनी परिवार के जीवन, संघर्ष और बदलावों की कहानी कहती है. इस फिल्म में उनके बेटे एडम बाकरी और सालेह बाकरी ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, वे दोनों खुद भी अभिनेता हैं. इस फिल्म को अकादमी अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए नामांकित किया गया था.
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