Benjamin Netanyahu Faces Qatargate Allegations: इजरायली राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के करीबी माने जाने वाले लोगों पर लगे गंभीर आरोपों ने सत्ता के गलियारों में भूचाल ला दिया है. ‘कतरगेट’ नाम से सामने आए इस विवाद ने न केवल सरकार की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि देश के भीतर राष्ट्रीय सुरक्षा और वफादारी जैसे संवेदनशील मुद्दों को भी केंद्र में ला दिया है. इजरायल में राजनीतिक संकट उस वक्त और गहरा गया, जब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और प्रवासी मामलों के मंत्री अमिचाई चिकली ने ‘कतरगेट’ प्रकरण की पूरी और निष्पक्ष जांच की मांग कर दी. वह प्रधानमंत्री नेतन्याहू की मौजूदा कैबिनेट के पहले ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने खुले तौर पर इन आरोपों की तह तक जाने की बात कही है.
चिकली ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इसकी कोई सफाई नहीं दी जा सकती. यह बेहद चौंकाने वाला मामला है और इसकी आखिरी सिरे तक जांच होनी चाहिए.” उनका कहना था कि सामने आई जानकारियों से ऐसा प्रतीत होता है कि इन कथित गतिविधियों से कतर को आर्थिक और राजनीतिक लाभ पहुंचा, जिससे पूरा मामला बेहद संदिग्ध नजर आता है. इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने इस पूरे प्रकरण को “इजरायल के इतिहास में देशद्रोह का सबसे गंभीर मामला” करार दिया है. उनका कहना है कि यह मामला किसी हाशिये पर खड़े लोगों से नहीं, बल्कि सत्ता के सबसे प्रभावशाली और ताकतवर वर्ग से जुड़ा हुआ है, जिससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है.
कतरगेट क्या है?
‘कतरगेट’ उन आरोपों को दिया गया नाम है, जिनमें कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कुछ शीर्ष सहयोगियों ने इजरायल के भीतर कतर की छवि सुधारने और उसके हितों को आगे बढ़ाने के लिए धन स्वीकार किया. यह धन कथित तौर पर एक अमेरिकी लॉबिस्ट के माध्यम से पहुंचाया गया. मीडिया रिपोर्टों में जिन नामों का उल्लेख हुआ है, उनमें नेतन्याहू के मीडिया सलाहकार जोनाथन उरिच और उनके पूर्व प्रवक्ता एली फेल्डस्टीन शामिल हैं. आरोप है कि सत्ता के बेहद नजदीकी पदों पर रहते हुए उन्होंने कतर के पक्ष में अनुकूल संदेशों को बढ़ावा दिया. रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपियों के बीच हुई बातचीत में झूठी जानकारियां गढ़ने और नेतन्याहू समर्थक एक मीडिया संस्थान के पत्रकार के साथ मिलकर प्रकाशित खबरों को अपने पक्ष में मोड़ने के संकेत भी मिले हैं.

बिल्ड लीक में भी फंस रहे हैं फेल्डस्टीन
कतरगेट के साथ एक और बड़ा विवाद भी सामने आया है, जिसे ‘बिल्ड लीक’ कहा जा रहा है. इस मामले में एली फेल्डस्टीन पर आरोप है कि उन्होंने सितंबर 2024 में गाजा युद्ध के दौरान बंधकों की रिहाई से जुड़ी बातचीत को प्रभावित करने के लिए जर्मन टैब्लॉयड ‘बिल्ड’ को इजरायल की गोपनीय खुफिया जानकारी लीक की. फेल्डस्टीन ने स्वीकार किया है कि उन्होंने यह जानकारी लीक की थी और उनका मकसद प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर बढ़ते राजनीतिक दबाव को कम करना था. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने यह दावा भी किया कि नेतन्याहू को इस लीक की जानकारी पहले से थी और बाद में उन्होंने इसे मंजूरी दे दी थी.
नेतन्याहू की सफाई
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए उन्हें निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा, “श्रुलिक आइन्हॉर्न और एली फेल्डस्टीन कभी भी प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा नहीं रहे.” उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों पर लगे गलत कामों के आरोपों को सिरे से नकार दिया. नेतन्याहू ने नफ्ताली बेनेट पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे दूसरे कानूनी मामलों से ध्यान भटकाने के लिए झूठे आरोप फैला रहे हैं. उनका दावा है कि अदालतें पहले ही कतरगेट को “कतर-फर्जी” बता चुकी हैं और इसमें किसी अपराध का आधार नहीं है. भले ही इस मामले ने अभी कोई तूफान न खड़ा किया हो, लेकिन कतरगेट ने इजरायल की राजनीति में एक नया और गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है, जिसकी गूंज आने वाले समय में और तेज होने की संभावना है.
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