India US Defense Deal MH-60R Sea Hawk: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भारत दौरे पर तीन साल बाद आ रहे हैं. उनके दौरे से चंद घंटे पहले ही भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बड़ा रक्षा समझौता किया है. नई दिल्ली ने भारतीय नौसेना के MH-60R सीहॉक हेलिकॉप्टर बेड़े के लिए एक स्थायित्व (सस्टेनमेंट) पैकेज पर हस्ताक्षर किए. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने लगभग 7,995 करोड़ रुपये (करीब 946 मिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य के इस अनुबंध को मंजूरी दी है. इससे भारत की नेवी (Indian Navy) को मजबूती मिलेगी. मंत्रालय ने यह समझौता अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ किया है. इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा निर्मित 24 MH-60R हेलिकॉप्टरों के रखरखाव और समर्थन को मजबूत करना है.
MH-60R समुद्र का बाज माना जाता है.अपनी ताकत की वजह से यह दुनिया भर की नेवी की पहली पसंद है. इसे रोमियो भी कहते हैं. भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता लंबे समय तक परिचालन क्षमता बढ़ाने, अमेरिकी सेनाओं के साथ इंटरऑपरेबिलिटी मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए किया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “भारत के साथ हमारे रक्षा संबंधों के लिए यह बेहतरीन खबर है. भारत के रक्षा मंत्रालय ने लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित 24 MH-60R सीहॉक हेलिकॉप्टरों के लिए 946 मिलियन डॉलर का सस्टेनमेंट पैकेज साइन किया है…”
भारत को इससे क्या होगा फायदा?
भारत ने इन हेलिकॉप्टरों को 2020 में विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) समझौते के तहत खरीदा था और अब तक लगभग 15 हेलिकॉप्टर शामिल किए जा चुके हैं. MH-60R सीहॉक एक मल्टी-रोल समुद्री हेलिकॉप्टर है, जो पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतह पर लक्ष्य भेद, खोज एवं बचाव, निगरानी और जहाज आधारित मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है. यह बेहतरीन राडार, सोनार, मिसाइल और टॉरपीडो से लैस रहता है.
इसे सबसे पहले सिकोरस्की नामक कंपनी ने बनाया था. हालांकि अब यह लॉकहीड मार्टिन का हिस्सा है. अक्सर “रोमियो” कहलाने वाला यह MH-60R सीहॉक हेलिकॉप्टर अमेरिकी नौसेना और कई साझेदार देशों द्वारा उपयोग में लाया जाता है और निगरानी, खोज एवं बचाव, चिकित्सा निकासी और युद्धपोत आधारित मिशनों के लिए एक बहुउद्देश्यीय प्लेटफॉर्म के रूप में काम करता है.
2021 में स्थापित की गई थी स्क्वॉड्रन
लॉन्ग-रेंज सेंसरों और संगत हथियारों से लैस MH-60R भारत की पनडुब्बियों का पता लगाने, समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को समर्थन देने और समुद्री खतरों का जवाब देने की क्षमता को बढ़ाता है. इसे 2021 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और पहली स्क्वाड्रन INAS 334 कोचीन स्थित आईएनएस गरुड़ में स्थापित की गई थी.
सतही अभियानों के लिए यह हेलिकॉप्टर AGM-114 हेलफायर मिसाइलें, हल्के टॉरपीडो, मशीन गन और उन्नत राडार एवं इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम ले जा सकता है, जिससे दुश्मन के सतही लक्ष्यों की पहचान और उन पर सटीक हमला संभव होता है. इसके पनडुब्बी रोधी युद्ध उपकरणों में डिपिंग सोनार, सोनोबॉय, मल्टी-मोड राडार और Mk-54 टॉरपीडो शामिल हैं.
भारत को समुद्री अभियानों में मिलेगी अहम मदद
भारत और अमेरिका के बीच यह नया सस्टेनमेंट पैकेज, हेलिकॉप्टरों की उपलब्धता बढ़ाने और रखरखाव के समय को कम करने में मदद करेगा. अब इससे तटीय ठिकानों और नौसैनिक जहाजों दोनों से अधिक प्रभावी ढंग से संचालित किए जा सकेंगे. इसके साथ ही यह पैकेज भारत को स्थानीय रखरखाव अवसंरचना विकसित करने, विदेशी सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता घटाने और हेलिकॉप्टरों को समुद्री अभियानों में बेहतर तरीके से एकीकृत करने में भी मदद करेगा. इस सौदे से MH-60R सी-हॉक के स्पेयर पार्ट्स, रिपेयर टेक्निकल सपोर्ट, ट्रेनिंग और लंबे समय तक ऑपरेशन रेडीनेस को पुख्ता किया गया है.
भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता पुतिन के दौरे से बस कुछ घंटे पहले किया गया है. 4-5 दिसंबर तक रूसी राष्ट्रपति के भारतीय प्रवास के दौरान इंडिया और रूस के बीच भी बड़े रक्षा सौदे की उम्मीद है.
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