India slams Pakistan at UN: भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान की घरेलू राजनीतिक स्थिति की कड़ी आलोचना की. भारत ने इस दौरान इस्लामाबाद को पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल में डालने और 27वें संविधान संशोधन के जरिए अपनी सशस्त्र सेनाओं को संवैधानिक तख्तापलट करने की छूट देने पर घेरा. इस संशोधन के तहत पाकिस्तान के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज जनरल असीम मुनीर को आजीवन प्रतिरक्षा (लाइफटाइम इम्युनिटी) दी गई है.
UNSC में शांति के लिए नेतृत्व विषय पर खुली बहस के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत हरीश पर्वतनैनी ने पाकिस्तान के लोकतांत्रिक संकट का जिक्र करते हुए कहा कि इस्लामाबाद के पास “अपने लोगों की इच्छा का सम्मान करने का एक अनोखा तरीका” है. उन्होंने इमरान खान की कैद, सत्तारूढ़ राजनीतिक दल पर प्रतिबंध और सेना को अत्यधिक शक्ति दिए जाने की ओर इशारा किया.
पाकिस्तान का इच्छा सम्मान का अनोखा तरीका
पर्वतनैनी ने कहा, “पाकिस्तान, बेशक, अपने लोगों की इच्छा का सम्मान करने का एक अनोखा तरीका रखता है. एक प्रधानमंत्री को जेल में डालकर, सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लगाकर और 27वें संशोधन के जरिए अपनी सशस्त्र सेनाओं को संवैधानिक तख्तापलट करने की छूट देकर तथा अपने चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज को आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान करके.” ये टिप्पणियां जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के दावों को भारत द्वारा व्यापक रूप से खारिज किए जाने का हिस्सा थीं, जिन्हें नई दिल्ली ने ‘अनावश्यक’ बताया. इसे भारत को नुकसान पहुंचाने पर इस्लामाबाद के ‘सनकी जुनून’ की परछाई करार दिया.
इमरान खान पर भारत और UN ने भी जताई चिंता
भारतीय राजदूत पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की कैद का जिक्र कर रहे थे, जो अगस्त 2023 से 190 मिलियन यूरो के भ्रष्टाचार मामले में सजा काट रहे हैं. इसके अलावा, उन पर 9 मई 2023 के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े मामलों में आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एंटी-टेररिज्म एक्ट) के तहत भी मुकदमे चल रहे हैं. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टर एलिस जिल एडवर्ड्स की ‘यातना पर हालिया रिपोर्ट’ पर गंभीर चिंता जताई है. इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि पार्टी संस्थापक को अदियाला जेल में कैद के दौरान अपमानजनक और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है.
27वें संविधान संशोधन विधेयक ने न्यायपालिका पर चोट
राजदूत पर्वतनैनी ने हाल ही में पारित 27वें संविधान संशोधन विधेयक का भी उल्लेख किया, जिसे देश की सैन्य और न्यायिक व्यवस्थाओं के पुनर्गठन के उद्देश्य से एक व्यापक सुधार कदम के तौर पर पेश किया गया है. पिछले महीने पारित इस विधेयक में 59 धाराएं शामिल थीं, जिनके जरिए सैन्य कमान संरचना और न्यायपालिका में बड़े बदलाव किए गए. इनमें एक संघीय संवैधानिक न्यायालय (Federal Constitutional Court- FCC) की स्थापना भी शामिल है, जो विशेष रूप से संवैधानिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट के साथ अधिकार साझा करेगा.
आजीवन फील्ड मार्शल और CDF बने रहेंगे मुनीर
इस कानून के तहत पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ अब पाकिस्तान के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का पद संभालेंगे, जबकि फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ द एयर फोर्स और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे मानद पद आजीवन बने रहेंगे. FCC में सभी प्रांतों से समान प्रतिनिधित्व के साथ न्यायाधीश शामिल होंगे और इसे संवैधानिक याचिकाओं पर स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लेने का अधिकार होगा. इस अधिनियम में कुछ परिस्थितियों में राष्ट्रपति की प्रतिरक्षा पर सीमाएं भी लगाई गई हैं और न्यायाधीशों की नियुक्ति व स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार न्यायिक आयोग के ढांचे का पुनर्गठन किया गया है.
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