Hanuman Chalisa English Translation: कभी सोचा है कि 16वीं सदी का भक्ति ग्रंथ हनुमान चालीसा अब दुनिया भर के लोग अंग्रेजी में गा सकेंगे? मंगलवार को IILM कैंपस में इसका अनुभव हुआ, जब कवि-राजनयिक अभय कुमार का नया गायन योग्य और लिरिकल अंग्रेजी अनुवाद लॉन्च किया गया. इस मौके पर मंच पर बैठे थे प्रो. राजेंद्र श्रीवास्तव, पूर्व डीन, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, जिन्होंने अभय के के साथ चालीसा की आध्यात्मिक और प्रबंधन दृष्टि पर गहरी बातचीत की.
Hanuman Chalisa English Translation: बचपन से जुड़े रिश्ते और प्रेरणा
अभय के ने लॉन्च इवेंट में बताया कि उनका हनुमान चालीसा से परिचय बचपन में उनके माता-पिता के माध्यम से हुआ. यह परंपरा उन्होंने जीवनभर निभाई. उन्होंने साझा किया कि यह अनुवाद उनकी उस प्रेरणा से जन्मा, जब उन्होंने भारतीय डायस्पोरा के ऐसे लोगों से मुलाकात की, जो चालीसा गाना चाहते थे लेकिन देवनागरी पढ़ नहीं पाते थे.
“मेरी रचना कई परतों वाली और गहन है. इसे अलग-अलग स्तरों पर पढ़ा जा सकता है. यह सिर्फ भक्तों के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिज्ञों, राजनयिकों और प्रबंधन विशेषज्ञों के लिए भी जरूरी है. हनुमान चालीसा के केंद्र में है हनुमान की विनम्रता. अपनी शक्ति के बावजूद वह श्री राम के सेवक, कुशल गठबंधनकर्ता और भरोसेमंद मित्र बने रहते हैं,” उन्होंने कहा.
प्रो श्रीवास्तव ने हनुमान के नेतृत्व को लेकर कहा कि प्रबंधन समुदाय के लिए भी उनसे सीखने लायक बहुत कुछ है. हनुमान का तरीका है “पीछे से नेतृत्व करना”, यानी वह सामने तो नहीं रहते, लेकिन हर चुनौती का समाधान निकालते हैं और भरोसेमंद साथी बनते हैं.
सितारों भरी मौजूदगी और चालीसा की चर्चा
इस मौके पर शामिल थे अम्बेसडर सैंग वू लिम, दक्षिण कोरिया के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन; नौ बार यूरोपीय संसद के सदस्य हर्वे जुविन; IILM बोर्ड चेयरमैन अनिल राय; वरिष्ठ फैकल्टी और समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोग. उन्होंने अपनी पसंदीदा चौपाइयां साझा कीं और चालीसा की आज भी प्रासंगिकता पर चर्चा की.
द्विभाषी अनुवाद: हिंदू संस्कृति का ग्लोबल पुल
अभय के का अनुवाद द्विभाषी है, जिससे हिंदी न जानने वाले भी हनुमान चालीसा के मूल भाव विनम्रता और भक्ति से जुड़ सकें. प्रतीकात्मक अंदाज में, प्रवैग डायनेमिक्स और कुटनिति के सह-संस्थापक राम दिवेदी ने अपने पिता के फ्रेंच अनुवाद से कुछ पढ़कर लेखक को पुस्तक भेंट की.
ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा प्रकाशित यह किताब 16वीं सदी के भक्तिपूर्ण क्लासिक को वैश्विक पाठक वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास करती है. हनुमान चालीसा अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में अलग-अलग संस्कृतियों और पीढ़ियों के पाठकों के लिए उपलब्ध होगी.

