Donald Trump defends H-1B Visa at US-Saudi Investment forum: एच-1बी वीजा प्रोग्राम को लेकर अमेरिका में जनता का रुख काफी बंटा हुआ है. जहां प्रगतिशील अमेरिकी उन्हें देश में चाहते हैं, वहीं कुछ धड़े इन्हें लेकर पूरी तरह सख्ती की मांग कर रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पहले इस पर कड़ा रुख अपनाया था, लेकिन अब वे इसमें ढिलाई बरत रहे हैं. लेकिन उनका ही सपोर्टर ग्रुप यानी MAGA उनके पीछे पड़ गया. हालांकि ट्रंप ने बिल्कुल कड़ाई से उनका सामना किया. अब एक बार फिर उन्होंने H-1B Visa के बारे में सकारात्मक टिप्पणी की है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को यूएस–सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में बोलते हुए कहा कि वह अपने रूढ़िवादी दोस्तों और MAGA से प्यार करते हैं, लेकिन H-1B वीजा का बचाव करते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि कंपनियां “अरबों-खरबों डॉलर की लागत से एक विशाल कंप्यूटर चिप फैक्ट्री खोलें” और “बेरोजगारों की लाइन से लोगों को उठाकर उसे चलाने” लग जाएँ. उन्होंने कहा कि विदेशी कर्मचारी अमेरिका आकर अमेरिकी लोगों को स्किल सिखा सकते हैं और फिर वापस अपने देश लौट सकते हैं. ट्रंप ने कहा, “आप अरबों-खरबों डॉलर की लागत से, जैसे एरिजोना में बन रही है, एक विशाल कंप्यूटर चिप फैक्ट्री खोलकर ये नहीं सोच सकते कि आप बेरोजगारों की लाइन से लोगों को उठाकर उसे चलवा लेंगे. उन्हें अपने देश से हजारों लोग लाने होंगे और मैं उनका स्वागत करूँगा. यही MAGA है.”
अमेरिका को H-1B की जरूरत- ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया कि उनके समर्थकों का एक हिस्सा उच्च-कुशल विदेशी कर्मचारियों की जरूरत को लेकर अत्यधिक कठोर रुख रख रहा है. उन्होंने शिकायत की, “वे बस समझते नहीं हैं. लोगों को वो चीजें सिखानी पड़ती हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं की हैं. लेकिन हम सफल नहीं हो सकते, अगर हम उन लोगों को अनुमति नहीं देंगे जो अरबों डॉलर का निवेश प्लांट और उपकरणों में करते हैं, कि वे अपने देश से बहुत से लोगों को लाकर उस प्लांट को शुरू करें, चलाएँ और उसे कामयाब बनाएं. मुझे खेद है.”
फोरम में H-1B वीजा के समर्थन में बोलते हुए ट्रंप ने एक बार फिर वही बातें दोहराईं, जो उन्होंने फॉक्स टीवी के इंटरव्यू में कहीं थीं. देखें वीडियो-
H-1B से MAGA को क्या है समस्या?
MAGA आंदोलन मानता है कि H-1B वीजा कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को सस्ते विदेशी मजदूरों से अमेरिकी कर्मचारियों को बदलने की अनुमति देता है. कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर H-1B कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने को कहा गया, जिससे यह नाराजगी और बढ़ी. इस गुस्से का बड़ा हिस्सा भारतीय आईटी कंपनियों पर निशाना बनाकर किया गया है, जो H-1B आवेदन में दबदबा रखती हैं. कुल H-1B वीजा का लगभग 70 प्रतिशत भारत से आता है. MAGA समर्थकों का मानना है कि ये कंपनियां अक्सर अंदर से ऑफशोरिंग करती हैं, यानी, कम लागत वाले टेक कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनियों के लिए उपलब्ध कराती हैं.
अब बोतल से निकले जिन्न को वापस भेजने में लगे ट्रंप
आंदोलन का यह भी तर्क है कि H-1B भर्ती अमेरिकी इंजीनियरों और प्रोग्रामरों की तनख्वाह दबाती है और कंपनियों को वेतन बढ़ाने से बचने का रास्ता देती है. ट्रंप ने भी अपने अभियानों में कई बार H-1B को चीप लेबर सिस्टम कहा था. ट्रंप प्रशासन के द्वारा सितंबर 2025 में विदेशी कर्मचारियों के लिए दायर प्रत्येक नए H-1B वीजा आवेदन पर एक बार का 1,00,000 डॉलर शुल्क लगाया गया, जिससे उनके समर्थकों के बीच यह धारणा और मजबूत हुई थी, यानी उन्होंने ही एक तरह से बोतल से जिन्न निकाला था. भाषा को लेकर पैदा हुई भ्रम की स्थिति के बाद व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क मौजूदा H-1B धारकों, नवीनीकरण या वीजा री-एंट्री पर लागू नहीं होगा. यह शुल्क केवल 21 सितंबर से दायर किए गए नए आवेदनों पर लागू है. अब इंटरव्यू और तमाम फोरम पर इस तरह के बयान के साथ ट्रंप उसी जिन्न को वापस भेजने की कोशिश कर रहे हैं.
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