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20 साल तक पैरों तले रौंदते रहे लोग, अचानक खुला राज; भारत के पड़ोसी देश में मिले इस लुप्त जानवर के पैरों के निशान

Dinosaur Footprints: चीन के एक गांव में, जिन पत्थरों पर लोग 20 सालों से चल रहे थे, वे लाखों साल पुराने डायनासोर के पैरों के निशान निकले. यह राज एक सोशल मीडिया पोस्ट से सामने आया, और वैज्ञानिकों ने इस खोज की पुष्टि की है. इस पूरी हैरान करने वाली कहानी के बारे में जानें.

Dinosaur Footprints: कभी-कभी इतिहास किताबों में नहीं, बल्कि हमारे पैरों के नीचे दबा होता है. चीन के एक छोटे से गांव में भी कुछ ऐसा ही हुआ. जिन पत्थरों को लोग सालों तक मामूली समझकर चलते रहे, उन्हीं में छिपा था करोड़ों साल पुराना रहस्य. ये कहानी है उन पत्थरों की, जो न रास्ता थे, न सजावट बल्कि डायनासोर के पैरों के निशान थे. ये मामला चीन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बसे सिचुआन प्रांत के वुली गांव का है. यही गांव जिगोंग शहर के अंतर्गत आता है. यह इलाका पहले से ही डायनासोर के अवशेषों के लिए जाना जाता है और इसे दक्षिणी सिचुआन बेसिन में “चीन का डायनासोर घर” कहा जाता है.

Dinosaur Footprints in Hindi: जब पत्थरों पर दिखे अजीब निशान

साल 1998 में डिंग परिवार के दो भाई पत्थरों की खुदाई कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें कुछ चपटे पत्थरों पर अजीब से निशान दिखे. ये निशान देखने में मुर्गी के पंजों जैसे लगते थे. दोनों भाइयों को लगा कि ये बस प्राकृतिक बनावट है. उन्होंने इन पत्थरों को अपने घर के आसपास चलने के लिए रख लिया और सालों तक इन्हीं पर आते-जाते रहे. जिगोंग शहर पहले भी सुर्खियों में रह चुका है. 1970 और 1980 के दशक में यहां डाशानपु मिडिल जुरासिक डायनासोर फॉसिल साइट पर 200 से ज्यादा डायनासोर और अन्य जीवों के अवशेष मिले थे. इनमें उड़ने वाले डायनासोर और डायनासोर की खाल तक शामिल थी. इन्हीं खोजों के बाद यहां एक डायनासोर संग्रहालय भी बनाया गया.

बेटी की एक पोस्ट ने बदल दी कहानी

साल 2017 में डिंग भाइयों में से एक की बेटी ने इन पत्थरों की तस्वीरें इंटरनेट पर साझा कर दीं. तस्वीरों में नुकीले पंजों के निशान, गोल आकार के गड्ढे और सीधी रेखाएं साफ दिखाई दे रही थीं. ये तस्वीरें जिगोंग के म्यूजियम से जुड़े शोधकर्ताओं तक पहुंचीं और उन्हें शक हुआ कि ये साधारण पत्थर नहीं हैं.

वैज्ञानिकों ने की जांच

तस्वीरें सामने आने के करीब एक महीने बाद विशेषज्ञों ने इन पत्थरों की जांच की. जांच में साफ हो गया कि ये सच में डायनासोर के पैरों के निशान हैं. इसके बाद डिंग परिवार की सहमति से इन पत्थरों को संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया, ताकि आगे गहराई से अध्ययन किया जा सके. हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने इस खोज पर एक शोध रिपोर्ट ‘जर्नल ऑफ पैलियोग्राफी’ में प्रकाशित की. अध्ययन में वुली गांव से मिले आठ पत्थर के स्लैब की जांच की गई. इनमें कुल 413 पैरों के निशान मिले, जिनकी उम्र करीब 18 से 19 करोड़ साल बताई गई.

किस तरह के डायनासोर थे ये

शोध के अनुसार, ज्यादातर निशान ग्रालेटोरेस और यूब्रोंटेस नाम के डायनासोरों के हैं. ये ऐसे डायनासोर थे जो जमीन पर चलते और दौड़ते थे. इनके चलने का तरीका काफी हद तक आज की चिड़ियों जैसा था. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये डायनासोर करीब 5.8 से 8.6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलते थे. कुछ जगहों पर उनकी पूंछ के घसीटने के निशान भी मिले हैं. चीन यूनिवर्सिटी ऑफ जियोसाइंसेज, बीजिंग के एसोसिएट प्रोफेसर शिंग लीदा के अनुसार, ऐसे निशान तब बनते हैं जब डायनासोर धीरे चलता है, आसपास देखता है या किसी तरह का आक्रामक व्यवहार दिखा रहा होता है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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