Canada officer sues Indian govt for 9 million dollar: एक वरिष्ठ कनाडाई अधिकारी ने भारतीय सरकार पर मुकदमा दायर किया है. उसने यह आरोप लगाया है कि एक दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान ने उनकी जिंदगी और करियर को तहस-नहस कर दिया. संदीप ‘सनी’ सिंह सिद्धू नाम के इस अधिकारी ने भारत सरकार के खिलाफ 90 लाख डॉलर (कनाडाई डॉलर) यानी लगभग 58 करोड़ रुपये से ज्यादा का हर्जाना मांगा है. उसने इस मुकदमे में कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) को भी लापरवाही के आरोप में सह-प्रतिवादी बनाया है. उसका आरोप है कि भारत के अभियान की वजह से वह पिछले साल अक्टूबर में पहली बार निगरानी में आया. इसके बाद मीडिया रिपोर्टों ने उन्हें कनाडाई सरकार की पेरोल पर मौजूद एक खतरनाक आतंकवादी बताया.
संदीप ‘सनी’ सिंह सिद्धू लंबे समय से CBSA में सुपरिटेंडेंट था. लेकिन मीडिया में जानकारी सामने आने के बाद ब्रिटिश कोलंबिया निवासी सिद्धू की CBSA ने जांच शुरू कर दी. इसकी वजह से उसे फ्रंटलाइन नौकरी से हटा दिया गया था. अब उन्होंने भारतीय सरकार के खिलाफ 9 मिलियन डॉलर का मुकदमा दायर किया है. ये आरोप मंगलवार को ओंटारियो सुपीरियर कोर्ट में दर्ज किए गए. इस केस की पहली सुनवाई 2026 की में होगी. वहीं भारतीय अधिकारियों ने कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाने वाले किसी भी दुष्प्रचार अभियान में शामिल होने से लगातार इनकार किया है.
क्या हैं आरोप?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुकदमे में भारतीय अधिकारियों पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सनी को लापरवाही से एक भगोड़े आतंकवादी के रूप में पेश किया, ताकि तनाव और अविश्वास पैदा किया जा सके. दावा यह भी है कि 20 साल पुराने CBSA कर्मचारी को उनके आम सिख उपनाम और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सार्वजनिक पद पर काम करने के कारण निशाना बनाया गया. मुकदमे में उनके नियोक्ताओं को भी दोषी ठहराया गया है कि उन्होंने पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही सनी की रक्षा की. वहीं भारत की एनआईए का मानना है कि संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो पंजाब में 2020 में ‘शौर्य चक्र’ पुरस्कार विजेता बलविंदर सिंह संधू की हत्या के पीछे था.

धमकियों का CBSA ने उड़ाया मजाक
इसमें कहा गया है कि CBSA ने धमकियों को काम से असंबंधित मामला बताकर नजरअंदाज कर दिया और उन पर दखल देने वाली पृष्ठभूमि जांचें थोपीं. इनमें प्राइवेसी अधिकारों को छोड़ने के लिए दबाव भी शामिल था. जांच के दौरान उन्हें निलंबित भी किया गया, हालांकि बाद में क्लीन चिट मिलने पर उन्हें वापस बहाल कर दिया गया. सनी ने बदनामी, वेतन हानि और मानसिक उत्पीड़न के लिए हर्जाना मांगा है. उसके वकील ने कहा कि CBSA ने उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि उनके खिलाफ आई मौत की धमकियों का मजाक उड़ाया.
अवसाद की वजह से शराब पर बढ़ गई निर्भरता
मुकदमे में कहा गया है कि उनका संकट अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ, जब भारतीय समाचार आउटलेट्स ने सिद्धू को आतंकवादी बताने वाले दावे साझा किए. उन्हें एक भगोड़ा बताया गया, जिसे भारत में कथित आतंकवाद संबंधी गतिविधियों के लिए वांछित बताया गया. उसके मुकदमे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे आक्रामक दुष्प्रचार की सुनामी ने उसे शराब पर निर्भरता की ओर धकेल दिया. इसकी वजह से उसे वैंकूवर के सेंट पॉल्स हॉस्पिटल में पुनर्वास कार्यक्रम में भर्ती होना पड़ा. अचानक पड़ी इस निगरानी ने उन्हें छिपने पर मजबूर कर दिया और गंभीर मेंटल ट्रॉमा पैदा किया. हालांकि उसकी नौकरी अब बहाल कर दी गई है.
पिछले साल सनी के साथ क्या हुआ था?
सिद्धू कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में पैदा हुआ था और वहीं पला बढ़ा है. कथित तौर पर वह सिख नहीं हैं. वह पहले लो-प्रोफाइल रखता था और सिर्फ Border Security: Canada’s Front Line नामक रियलिटी शो में कुछ समय के लिए दिखाई दिया था. उसका कहना है कि भारतीय सरकार ने उसके ऊपर आरोप लगाया गया कि वह प्रतिबंधित समूहों को बढ़ावा दे रहा था साथ ही वह हिंसक कृत्यों में भी शामिल था. वायरल पोस्टों ने गुस्से को और बढ़ाया, जिसमें उनके प्रत्यर्पण और कड़ी कार्रवाई की मांग की गई. मुकदमें कहा गया है कि ऑनलाइन गुमनामी के माहौल में उसे मौत की धमकियां भी मिलने लगीं और अंततः उसकी निजी जानकारी उजागर कर दी गई.

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