Afghanistan Islamabad Political Office: अफगानिस्तान के विपक्षी नेताओं और नागरिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में एक स्थायी राजनीतिक दफ्तर स्थापित करने की मांग उठाई है. इसके पीछे उनका उद्देश्य है- इसकी बदौलत तालिबान की अंतरिम सरकार पर दबाव बनाया जा सकेगा. 29-30 सितंबर को राजधानी इस्लामाबाद में एक होटल के बंद कमरे में दो दिन तक चले सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों ने यह तर्क दिया कि तालिबान का इस्लामिक अमीरात अफगान जनता की आवाज नहीं है और वह वास्तविक प्रतिनिधित्व करने में विफल है.
इस सम्मेलन का संचालन साउथ एशियन स्ट्रेटजिक स्टेबलिटी इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (SASSI) ने “एकता और विश्वास की ओर” के शीर्षक से आयोजित किया. इस जिनेवा स्थित वुमेन फॉर अफगानिस्तान (WFA) का सहयोग प्राप्त था. इस मंच पर महिलाओं सहित लगभग 37 अफगान राजनीतिक एवं सामाजिक नेताओं ने शिरकत की. कार्यक्रम में अफगानिस्तान के कई प्रमुख चेहरे मौजूद रहे. इनमें पूर्व सांसद और महिला अधिकार कार्यकर्ता फौजिया कूफी, काबुल के पूर्व गवर्नर अहमद उल्लाह अलीजई, बदख्शां के नेता अमन उल्लाह पैमन और युवा कार्यकर्ता राहील तलाश जैसी हस्तियां शामिल थीं.
तालिबान को किया अस्वीकार
इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महिला, अमेरिका स्थित नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी (NED) और स्विस फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स (FDFA) द्वारा वित्तीय सहयोग दिया गया था. आयोजकों का कहना था कि यह बैठक एक साझा और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की दिशा में सामूहिक दृष्टिकोण तैयार करने का प्रयास है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी प्रतिभागियों ने तालिबान शासन को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि तालिबान समझौते के तहत बलपूर्वक सत्ता में आया है और हम उनकी सरकार को अस्वीकार करते हैं और गैरकानूनी बताते हैं.
लोकतांत्रिक मांगो पर ध्यान दिया जा सकेगा
अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने शुरुआती कदम के रूप में शांतिपूर्ण दबाव रणनीति अपनाने पर जोर दिया. कुछ वक्ताओं ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को औपचारिक रूप से विपक्षी अफगान समूहों के लिए एक राजनीतिक कार्यालय खोल देना चाहिए और यह व्यवस्था तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक कि उनकी लोकतांत्रिक मांगों पर ध्यान न दिया जाए. हालांकि इस चर्चा में किसी भी तालिबान नेतृत्व को आंमंत्रित नहीं किया था, इस पर संस्था ने कहा कि यह फिलहाल प्रारंभिक चरण में है, इसलिए हमने उचित नहीं समझा.
एक समूह पूरे अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता
फौजिया कूफी ने इस मौके पर पाकिस्तान की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि पाकिस्तान सबसे बड़ा क्षेत्रीय शक्ति केंद्र है और उसकी नीतियों का असर सीधे पड़ोसी देशों पर पड़ता है. उन्होंने बताया कि इसी कारण सम्मेलन का पहला चरण इस्लामाबाद में रखा गया और भविष्य में भी इसी तरह की बैठकों का आयोजन किया जाएगा. कूफी ने कहा कि अफगानिस्तान की 1.8 करोड़ महिलाएं तालिबान शासन में पूरी तरह उपेक्षित हैं. उनके अनुसार, “एक सीमित समूह पूरे देश के 90 प्रतिशत लोगों के भाग्य का निर्णय नहीं कर सकता.”
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