वाशिंगटन : ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर दुनिया की शीर्ष ताकतों के साथ हुए उसके समझौते से भारत जैसे देशों को तेल आयात के मोर्चे पर किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी.भारत व अन्य देशों को ईरान से तेल आयात घटाना होगा. व्हाइट हाउस ने कहा कि छह महीने के लिए आज हस्ताक्षरित परमाणु समझौते के तहत अमेरिका और इसके सहयोगी ईरान को 7 अरब डॉलर की राहत प्रदान करेंगे. अमेरिकी प्रशासन ने एक बयान में कहा कि यदि ईरान समझौते का पालन करता है तो उस पर छह महीने तक कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा.
व्हाइट हाउस ने कहा कि करीब 100 अरब डॉलर की ईरान की विदेशी विनिमय संपत्ति का अधिकांश हिस्सा प्रतिबंधों के तहत पहुंच से परे या प्रतिबंधित है. उसने कहा, अगले छह महीनों में ईरान के कच्चे तेल की बिक्री नहीं बढ़ सकती. अकेले तेल प्रतिबंधों से ही ईरान को करीब 30 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान होगा. लेकिन व्हाइट हाउस ने वादा किया कि यदि ईरान इस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करता है तो अमेरिका और इसके सहयोगी अगले छह महीने तक परमाणु संबंधित कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाएंगे.
इसने कहा कि प्रतिबंधों में राहत से ऑटोमोटिव और पेट्रो रसायन क्षेत्रों में तथा बहु मूल्य धातुओं के व्यापार में ईरान पर दबाव कम होगा. भारत ने ईरान से अपना कच्चा तेल आयात 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 26.5 फीसद से अधिक घटाया है. यूरोपीय प्रतिबंधों की वजह से भारत के लिए ईरान से तेल आयात करना मुश्किल हो रहा है. वित्त वर्ष 2012-13 में भारत ने ईरान से 1.33 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 1.81 करोड़ टन था.
कभी ईरान भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश हुआ करता था, लेकिन अब वह खिसककर पांचवें या छठे स्थान पर पहुंच गया है. अमेरिका ने कहा है कि प्रतिबंधों के तहत ईरान को होने वाले कुल नुकसान में से 7 अरब डालर की राहत एक मामूली हिस्सा होगा. अगले छह माह तक ईरान की कच्चे तेल की बिक्री नहीं बढ़ सकती है. जहां ईरान को अपनी तेल बिक्री का 4.2 अरब डालर तक हासिल करने की अनुमति होगी, वहीं उसका करीब 15 अरब डालर का राजस्व प्रतिबंधित खातों में रहेगा.