कोलंबो : लिट्टे के खिलाफ श्रीलंका की जंग में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को राष्ट्रमंडल के देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक(चोगम )में चर्चा में लाने की ब्रिटेन और कनाडा जैसे कुछ देशों की कोशिशों के बीच मेजबान श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आज कहा कि वे राष्ट्रमंडल को ‘‘सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले’’ निकाय में नहीं बदलें और द्विपक्षीय एजेंडा से परहेज करें.
बाइसवीं चोगम शिखर बैठक में शासनाध्यक्षों और विदेश मंत्रियों का स्वागत करते हए राजपक्षे ने ‘‘30 वर्ष के आतंक’’ के खिलाफ जंग में अपने देश की जीत और द्वीप में ‘‘शांति’’ की वापसी पर एक आक्रामक भाषण देते हुए आर्थिक विकास और गरीबी के खात्मे जैसे मुद्दों पर राष्ट्रमंडल के साथ रचनात्मक सहयोग की अपील की.
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने 53 देशों के समूह की शिखर बैठक में अपनी शुरुआती टिप्पणियों में कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल को आदेशात्मक एवं विभाजनकारी तौर-तरीकों में संलग्न होने के बजाय सहयोगात्मक एकता में शिरकत का एक सच्चा और अनूठा संगठन बनाएं.’’