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पोप फ्रांसिस ने श्रीलंका में मानवाधिकारों के सम्मान और धार्मिक नफरत दूर करने का आह्वान

कोलंबो: श्रीलंका में नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे पोप फ्रांसिस ने आज देश में मानवाधिकारों का सम्मान करने और नस्लीय तथा धार्मिक नफरत दूर करने का आह्वान किया.वह ऐसी पहली विदेशी हस्ती हैं जिनकी द्वीपीय देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने कोलंबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर […]

कोलंबो: श्रीलंका में नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे पोप फ्रांसिस ने आज देश में मानवाधिकारों का सम्मान करने और नस्लीय तथा धार्मिक नफरत दूर करने का आह्वान किया.वह ऐसी पहली विदेशी हस्ती हैं जिनकी द्वीपीय देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने कोलंबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अगवानी की.
78 वर्षीय पोप फ्रांसिस की यह यात्रा एक सप्ताह के उनके एशियाई दौरे का शुरुआती हिस्सा है. अंतर-धार्मिक और अंतर-मूलनिवासी सद्भाव का संदेश देने के उद्देश्य के साथ पोप की यह यात्रा हो रही है.फ्रांसिस ने कहा ‘‘विविधता को अब खतरे की तरह नहीं बल्कि संवर्धन के स्रोत के तौर पर देखा जाता है. न्याय, सुलह सहमति और सामाजिक सद्भाव का रास्ता बिल्कुल साफ है.
जनवरी 1995 के बाद श्रीलंका की यात्रा करने वाले फ्रांसिस पहले पोप हैं.
उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण के महान कार्य में अवसंरचनाओं में सुधार और भौतिक जरुरतों को पूरा करना चाहिए लेकिन मनुष्य के सम्मान को आगे बढाया जाना और ज्यादा महत्वपूर्ण है. मानवाधिकारों का सम्मान और समाज के हर सदस्य का पूर्ण समावेश करें.पूर्ववर्ती राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के प्रशासन में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए हमलों की हालिया समय में वेटिकन आलोचना करता रहा है.
पोप को संबोधित कर रहे सिरीसेना ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य विभिन्न समुदायों में शांति और भाईचारे को बढावा देना है.उन्होंने कहा ‘‘हम धार्मिक सहिष्णुता और सह-अस्तित्व पर भरोसा करते हैं जो हमारी सदियों पुरानी धार्मिक विरासत पर आधारित है.सिरीसेना आज शाम एक आधिकारिक समारोह में पोप का स्वागत करेंगे.
पोप फ्रांसिस का सार्वजनिक मास कल सुबह होगा और फिर वह उत्तर पूर्वी जिले मन्नार के ऐतिहासिक माडु गिरजाघर जाएंगे.
वह तमिल भूभाग भी जाएंगे और उस पवित्र स्थल पर प्रार्थना करेंगे जिसके प्रति सिंहली और तमिल दोनों ही आस्था रखते हैं. पोप को महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका आने का आमंत्रण दिया था.
श्रीलंका में हाल ही में संपन्न चुनावों में सरकार बदलने के बावजूद पोप ने अपना कार्यक्रम परिवर्तित नहीं किया. इस यात्रा के दौरान, समझा जाता है कि पोप विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच व्यापक बातचीत का आह्वान करेंगे.
ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि चुनावों के नतीजों के चलते द्वीपीय देश में पोप की यात्रा शायद न हो लेकिन राजपक्षे ने विनय के साथ हार स्वीकार कर ली जिसका सिरीसेना ने स्वागत किया.
पोप बृहस्पतिवार को अपने दौरे के अंतिम चरण में फिलिपीन के लिए रवाना होंगे. फिलिपीन एशिया का सबसे बडा रोमन कैथोलिक और दुनिया का तीसरा ऐसा बडा देश है.बौद्ध बहुल श्रीलंका की जनसंख्या में करीब छह फीसदी लोग कैथोलिक हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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