सेंट्रल डेस्क
सेना कमांडरों की बैठक के बाद ही मालूम होगा कि शरीफ सरकार का भविष्य क्या होगा. इससे पहले चर्चा थी कि शरीफ को जबरन एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया जायेगा. कोई वरिष्ठ मंत्री सरकार चलायेंगे और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गत वर्ष संपन्न हुए चुनावों में धांधली के आरोपों की जांच करायी जायेगी.
यदि आरोप सही साबित हुए, तो नेशनल असेंबली को भंग कर फिर से चुनाव कराये जायेंगे. सूत्रों की मानें, तो यह खबर प्रदर्शनकारियों को मिल गयी और उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि शरीफ का सरकार पर नियंत्रण नहीं रह गया है. उन्हें इस्तीफा देना ही होगा. इसके बाद ही शनिवार की रात इमरान और कादरी ने समर्थकों को संसद भवन और पीएम आवास कूच करने का आदेश दे दिया. इसके पीछे कादरी और इमरान के अलावा किसी और शक्ति का हाथ बताया जा रहा है.
जियो न्यूज पर हमला
इसलामाबाद. प्रधानमंत्री आवास मार्च कर रहे आक्रोशित प्रदर्शनकारियों का एक समूह ‘जियो न्यूज’ के दफ्तर के बाहर जमा हो गया और दफ्तर पर पत्थरबाजी की. ‘जियो न्यूज’ के मुताबिक, चैनल के कर्मियों को दफ्तर में सुरक्षित ठिकाने तलाशने में दिक्कतें आ रही थीं और वह किसी तरह वहां से निकलने में कामयाब रहे. दफ्तर को काफी नुकसान पहुंचा है.
इमरान की पार्टी में दरार, चार निष्कासित
इसलामाबाद. इमरान खान को उस समय बड़ा झटका लगा, जब पार्टी अध्यक्ष जावेद हाशमी ने पीएम आवास कूच करने के खान के फैसले की आलोचना की. खान ने हाशमी और तीन सांसद (पेशावर से गुलजार खान, खटक से नसीर खान, स्वात से मुस्सर्रत अहमदजाद) को पार्टी से निष्कासित कर दिया. इन्होंने संसद से इस्तीफा देने से मना किया था. हाशमी ने कहा कि संसद मार्च का निर्णय खान का था, पार्टी का नहीं. ऐसा व्यवहार विश्व के किसी भी देश में देखने को नहीं मिलता, जहां लोग लाठियां लेकर पीएम आवास के बाहर प्रदर्शन करते हैं. इस निर्णय से देश में मार्शल कानून लागू हो जायेगा.
शरीफ : असफल या शहीद
पाकिस्तान में जारी गतिरोध यदि खत्म नहीं हुआ और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान और कनाडा निवासी पाकिस्तानी मूल के धर्म गुरु मौलाना ताहिर उल कादरी की मांगों के समक्ष सरेंडर कर दिया या सेना ने तख्तापलट कर दिया, तो शरीफ को मुल्क किस रूप में याद करेगा? विफल नेता या शहीद? हाल के घटनाक्रमों के आधार पर तो नवाज शरीफ मुल्क के विफल नेता ही नजर आते हैं. और मुल्क उन्हें भविष्य में इसी रूप में याद रखेगा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शरीफ ने इस गंभीर संकट से उबरने में बुद्धिमत्ता का परिचय नहीं दिया. राजनीतिक परिपक्वता का उनमें अभाव दिखा. उनके अति आत्मविश्वास और अहंकार की वजह से ही यह नौबत आयी है. हालांकि, पाकिस्तान के समाचार पत्र और राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वर्ष 2008 से 2013 के बीच वह राजनीतिक रूप से बहुत परिपक्व नजर आये. इस दौरान उनकी राय अहम मानी जाती थी.