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भारतीय मूल के उद्यमी को मिली बड़ी कामयाबी स्टार्टअप में बोइंग का निवेश

टेक एंटरप्रेन्योर भारतीय मूल के एक अमेरिकी उद्यमी ने एविएशन सेक्टर में मौजूद अवसरों को पहचानते हुए इनोवेशन को अंजाम दिया है. हालांकि, यह स्टार्टअप पिछले तीन वर्षों से मिशन में जुटा है, लेकिन हाल ही में यह उस वक्त सुर्खियों में आया, जब इसमें बोइंग और जेटब्लू जैसी बडी कंपनियों ने निवेश किया. छोटे […]

टेक एंटरप्रेन्योर
भारतीय मूल के एक अमेरिकी उद्यमी ने एविएशन सेक्टर में मौजूद अवसरों को पहचानते हुए इनोवेशन को अंजाम दिया है. हालांकि, यह स्टार्टअप पिछले तीन वर्षों से मिशन में जुटा है, लेकिन हाल ही में यह उस वक्त सुर्खियों में आया, जब इसमें बोइंग और जेटब्लू जैसी बडी कंपनियों ने निवेश किया. छोटे किस्म के नये और हाइब्रिड एयरक्राफ्ट को विकसित करते हुए किस तरह यह स्टार्टअप इनोवेशन को अंजाम देने में रहा है कामयाब और इससे संबंधित विविध मसलों पर केंद्रित है आज का स्टार्टअप पेज …
कन्हैया झा
भा रतीय मूल के एक उद्यमी को अमेरिका में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. अाशीष कुमार द्वारा स्थापित स्टार्टअप ‘जुनुम एयरो’ को बोइंग और जेटब्लू जैसी बड़ी एविएशन कंपनियाें से व्यापक निवेश हासिल हुआ है. वॉशिंगटन के किर्कलैंड में पिछले तीन वर्षों से यह स्टार्टअप इलेक्ट्रिकल हाइब्रिड एयरक्राफ्ट को विकसित करने में जुटा है. एयरोस्पेस एप्लीकेशन के क्षेत्र में इस स्टार्टअप ने अब तक अनेक तकनीकों का विकास किया है, जो काफी हद तक सक्षम पाये गये हैं. ‘बोइंग’ और ‘जेटब्लू’ ने इस स्टार्टअप में इसलिए निवेश किया है, क्योंकि वे चाहते हैं कि दुनिया में प्रोपल्शन एयरक्राफ्ट का बेहतर विकल्प तैयार हो सके.
‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक रिपोर्ट में आशीष कुमार कहते हैं, ‘मैं खुद को बहुत भाग्यशाली समझता हूं कि जेटब्लू और बोइंग जैसी कंपनियों से हमें मदद मिली है.’ कुमार कहते हैं, ‘इन दोनों कंपनियों के साथ मिल कर हम पिछले करीब एक वर्ष से काम कर रहे हैं, और दोनों ही ने हमारे काम को समझा और क्षेत्रीय वायु परिवहन में नये मौके तलाशने का अवसर प्रदान किया है.’
इस स्टार्टअप का मकसद है कि 10 से 50 लोगों को एक हजार मील तक की यात्रा कम-से-कम संचालन लागत में करायी जा सके. प्रसिद्ध पत्रिका ‘फॉर्चुन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस जेट को आरंभिक तौर पर बैटरी से संचालित किया जायेगा, लेकिन इसे बैकअप मुहैया कराने के लिए इसमें डीजल या टरबाइन रेंज-एक्सटेंडिंग पावर जेनरेटर भी होगा.
इस स्टार्टअप में निवेश करनेवाली एविएशन कंपनी बोइंग का कहना है कि उसने एक नये समूह के तौर पर वेंचर्स आर्म के रूप में ‘बोइंग होराइजन एक्स’ का गठन किया है. यह एक इनोवेशन सेल है और इसे इसी प्रकार के सक्षम ट्रांसफोर्मेटिव एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी, मैन्यूफैक्चरिंग इनोवेशंस और उभरते हुए कारोबारी मॉडल्स को प्रोत्साहित करने के लिए गठित किया गया है.
जेटब्लू के एक अधिकारी का कहना है, ‘बतौर ऐसी कंपनी जो सस्टेनेबल यानी कम लागत में यात्री परिवहन सेवा मुहैया कराने के लिए इनोवेटिव तरीकों को तलाशने की आेर प्रतिबद्ध है, हमारा मानना है कि जुनुम और इसके द्वारा विकसित की जा रही पर्यावरण अनुकूलित एयरक्राफ्ट से एक नयी उम्मीद पैदा हुई है. इस एयरक्राफ्ट के जरिये मौजूदा समय में इस्तेमाल में नहीं लाये जा रहे एयरपोर्ट्स के नेटवर्क को शुरू किया जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय परिवहन सेवा में नयी क्रांति का सूत्रपात हो सकता है.’
बाेइंग होराइजन एक्स के वाइस प्रेसिडेंट स्टीव नॉर्डलुंड के हवाले से ‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में जुनुम की हाइब्रिड इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी इस सेक्टर मेंअग्रणी भूमिका में हो सकती है.
एयरक्राफ्ट सेक्टर में व्यापक बदलाव ला सकता है जुनुम एयरो
जुनुम एयरो द्वारा इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड किस्म के विकसित किये जा रहे विमानों के जरिये वायु परिवहन और यात्री सेवाअों में व्यापक बदलाव आ सकता है. जुनुम का कॉन्सेप्ट विमानों की ऐसी सीरीज को विकसित करना है, जिन्हें विविध प्रकार के इलेक्ट्रिकल स्रोतों के माध्यम से संचालित किया जा सके. इसके अलावा, यह स्टार्टअप इस दिशा में भी प्रयासरत है कि वायु परिवहन की संचालन लागत को कम-से-कम करते हुए वायु प्रदूषण के लिहाज से अहम कार्बन जनित प्रदूषण में कमी लायी जा सके.
हालांकि, ‘नासा’ और ‘एयरबस’ ने भी इलेक्ट्रिकल एयरक्राफ्ट का कॉन्सेप्ट विकसित किया है, लेकिन वे बेहद छोटे किस्म के हैं और उनमें महज दो से तीन यात्री ही बैठ सकते हैं. माना जा रहा है कि जुनुम एयरो द्वारा विकसित किया जा रहा इलेक्ट्रिकल एयरक्राफ्ट क्षेत्रीय स्तर पर यात्रा करनेवाले लोगों के लिए ज्यादा सुविधाजनक साबित हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि आनेवाले समय में यह एविएशन सेक्टर में व्यापक बदलाव ला सकता है.
अवसरों को पहचानने से बढ़ती है
कामयाबी की उम्मीद
अमेरिका भौगोलिक रूप से एक बड़ा देश है. यहां विविध शहरों में विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं. हालांकि, यहां एयरपोर्ट की भरमार है, लेकिन बहुत कम ही ऐसे एयरपोर्ट हैं, जहां से नियमित उड़ान सेवाओं की सुविधा है. ‘जुनुम एयरो’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में करीब 13,500 एयरपोर्ट हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा माना जाता है. लेकिन, इनमें से महज 140 एयरपोर्ट पर ही कुल वायु यात्री परिवहन का करीब 97 फीसदी भार है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस सेक्टर में व्यापक अवसर उपलब्ध हैं. इसी अवसर को भुनाने की कवायद के तहत जुनुम एयरो ने कम यात्रियों वाले छोटे विमानों के विकास पर जोर दिया है.
साथ ही उन छोटे शहरों में, जहां एयरपोर्ट हैं, लेकिन नियमित उड़ान सेवाएं नहीं हैं, वहां के बाशिंदे भी इससे जुड़ना चाहते हैं. इसका कारण यह है कि बेहतर वायु सेवाओं से वंचित इलाके और समुदाय निवेश के मौके को हासिल नहीं कर पाते. इसका व्यापक असर नौकरी के अवसरों से भी जुड़ा है. यानी बुनियादी ढांचा की कमी और निवेश के अभाव में नौकरी के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं हो पाते हैं. अमेरिका जैसे देश में, जहां उन्नत बुनियादी ढांचा मौजूद हैं, वहां पर अधिकांश लोग यात्री परिवहन सेवाओं का ही इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में इन सेवाओं से वंचित इलाकों में नौकरी के अवसर कम ही सृजित हो पाये हैं. जुनुम एयरो ने इन तथ्यों को समझा है और उसी के मुताबिक अपनी रणनीति बनायी है.
भारतीय इ-कॉमर्स सेक्टर में सबसे ज्यादा ग्रोथ
22 अरब डॉलर से भी ज्यादा है सालाना कारोबार भारत में इ-कॉमर्स इंडस्ट्री का.
100 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है भारत में इ-कॉमर्स इंडस्ट्री का कारोबार वर्ष 2020 तक.
288 डॉलर औसतन खर्च किया भारतीय ऑनलाइन खरीदारों ने वर्ष 2015 में.
68 फीसदी की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है भारत में इ-कॉमर्स इंडस्ट्री में पिछले तीन वर्षों के दौरान.
23 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई है चीन में इ-कॉमर्स की पिछले तीन वर्षों के दौरान, जो भारत के मुकाबले काफी कम रहा है.
12 फीसदी की दर से ही महज हुई है बढोतरी अमेरिका में इ-कॉमर्स इंडस्ट्री में पिछले तीन वर्षों के दौरान, जो भारत के मुकाबले बहुत कम है.
3 सेकेंड में एक नया ग्राहक जुड़ता है भारत में इ-कॉमर्स इंडस्ट्री के साथ.
(स्रोत : इंक42 डॉट कॉम)
स्टार्टअप की कामयाबी में टीमवर्क की अहम भूमिका
किसी भी स्टार्टअप को कामयाबी के मुकाम पर पहुंचाने के लिए एक अच्छी टीम का होना जरूरी है. इसके अलावा कारोबार की जिम्मेवारियों को संभालना अहम होता है. यदि आपकी टीम के सदस्यों के बीच में तालमेल बेहतर होगा, तो इसका टीम की उत्पादकता पर काफी सकारात्मक असर पड़ेगा.
ऐसे में एक अच्छे उद्यमी की यह जिम्मेवारी है कि वह अपनी टीम के बीच अच्छा कॉर्डिनेशन विकसित करे. आइए जानते हैं कैसे आप अपनी टीम के बीच तालमेल को बेहतर बना सकते हैं.
सभी सदस्यों को जागरूक रखना : टीम के सभी सदस्यों को इस बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि उसकी टीम में क्या भूमिका है और वह किस तरह से टीम के टारगेट पूरा करने में मदद कर सकता है. अगर टीम मेंबर्स को पता होगा कि एक साथ काम करने से टीम को कितना फायदा होगा, तो वे आगे बढ़ कर एक-दूसरे की मदद करेंगे.
एक्शंस पर करें फोकस : आपके लिए बेहतर होगा कि आप लोगों के बजाय एक्शंस पर फोकस करें. इससे आप स्टार्टअप के काम में किसी भी तरह की गलती होने से पहले ही अलर्ट होकर उसे रोक सकते हैं.
अगर आपके टीम मेंबर्स से किसी तरह की गलती हो भी जाती है तो उन्हें डांटने या उन पर एक्शन लेने की बजाय आप उन्हें क्षमा भी कर सकते हैं. आपके दूसरों के प्रति संवेदनशील होने से पूरी टीम को एक पॉजिटिव संदेश मिलेगा और वे खुद-ब-खुद की गलतियां दोहराने से बचेंगे.
तैयार करें काम की रणनीति : आपकी टीम के हर मेंबर को पता होना चाहिए कि उन्हें क्या काम करना है. अगर टीम मेंबर्स जान जायेंगे कि उनके कार्यों का प्रोजेक्ट, प्रोग्राम, फंक्शन और कंपनी पर क्या असर पड़ेगा तो पूरी लगन से काम करेंगे. आपको अपनी टीम के सदस्यों को सृजनात्मक कार्यों के लिए मौका देना चाहिए.
मिल कर काम करने का मौका : आपको अपने टीम मेंबर्स को मिल कर काम करने का मौका देना चाहिए.इससे उनमें जुड़ाव पैदा होगा और इससे आपकी टीम मजबूत बनेगी. जब अलग-अलग सोच वाले दो सदस्य मिल कर किसी प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे, तो वे अपने आइडियाज भी शेयर करेंगे. इससे भविष्य के लिए अच्छे परिणाम भी मिलना शुरू हो जायेंगे.
सिखाएं संसाधनों का सही इस्तेमाल करना : टीम के हर सदस्य को अपने कार्य को महत्वपूर्ण समझना चाहिए और इसके बारे में सबके साथ चर्चा भी करनी चाहिए. टीम के सभी सदस्यों को संसाधनों का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए. ताकि वे अपने काम को बेहतरी से खत्म कर सकें.
जुनुम एयरो के संस्थापक आशीष कुमार
आशीष कुमार जुनुम एयरो के सीइओ हैं. इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट की व्यापक क्षमताओं से प्रेरित होकर उन्होंने जुनुम एयरो की स्थापना की है. वे अब तक माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, डेल और मैकेंजी जैसी कंपनी में कॉमर्शियल लीडरशिप की भूमिका में रह चुके हैं. उनके स्टार्टअप के अनुभव ने एयरोएक्सचेंज को लॉन्च करने में मदद की है, जो अब एविएशन इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस बन चुका है. कॉरनेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी हासिल कर चुके आशीष अपने कैरियर के शुरुआती दौर में ब्राउन यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और सेंडिया नेशनल लैबोरेटरीज के रिसर्च फेलो रह चुके हैं.
फ्लाइट साइंस इंजीनियर पेटेक साराकोलू
पेटेक साराकोलू जुनुम एयरो में फ्लाइट साइंस इंजीनियर हैं. वे एमआइटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीएस और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिक्स में एमएस हैं. एविएशन सेक्टर में उनकी गहन रुचि है, जिसे परखते हुए उन्हें इस स्टार्टअप में फ्लाइट साइंस इंजीनियर की भूमिका सौंपी गयी है.
(स्रोत : जुनुम डॉट एयरो)

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