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फेक न्यूज पर अवेयरनेस फैलाती महिला आईपीएस

नेशनल कंटेंट सेल हाल के दिनों में फेक न्यूज भारत के लिए एक नई समस्या बनकर उभरी है. सोशल मीडिया पर जानबूझ कर फैलायी गयी इन झूठी खबरों से कई लोगों की जान जा चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो असम, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में वॉट्सएप पर फैली अफवाहों की वजह से सात लोगों […]

नेशनल कंटेंट सेल

हाल के दिनों में फेक न्यूज भारत के लिए एक नई समस्या बनकर उभरी है. सोशल मीडिया पर जानबूझ कर फैलायी गयी इन झूठी खबरों से कई लोगों की जान जा चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो असम, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में वॉट्सएप पर फैली अफवाहों की वजह से सात लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन अब तक सरकार की ओर से इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इन्हीं बेवजह की खबरों से लोगों को जागरूक करने का जिम्मा तेलंगाना की महिला आइपीएस रेमा राजेश्वरी ने उठाया है. रेमा साल 2009 बैच की आइपीएस अधिकारी हैं.

उन्होंने फेक न्यूज से लोगों को जागरूक करने के लिए 500 अधिकारियों को ट्रेंड किया है. वह फिलहाल तेलंगाना के 400 गावों में फेक न्यूज से निबटने का अभियान चला रही हैं. वाट्सअप पर फैलनेवाली इन झूठी खबरों से लड़ने के लिए राजेश्वरी ने वॉट्सएप का ही सहारा लिया है. किसी भी प्रकार की फेक न्यूज वायरल होने की जानकारी मिलने पर वह खुद वॉट्सएप पर मैसेज कर लोगों को अवेयर करती हैं. इसके लिए उन्होंने गांव के लोगों को अपने वॉट्सअप ग्रुप में जोड़ना शुरू किया है. अब जैसे ही कोई वायरल मैसेज गांव के लोगों तक पहुंचता है वह उसे राजेश्वरी तक पहुंचा देते हैं. इसके बाद वह मामले की सटीक जानकारी निकाल कर लोगों को जागरूक करती हैं कि मामला क्या है और ऐसी खबरे क्यों फैली है.

इसके साथ ही वह कई वॉट्सएप ग्रुप पर खुद भी नजर रखती हैं. हाल ही में फेक न्यूज की वजह से भीड़ ने एक शख्स को बाल तस्कर समझ कर पकड़ लिया था. उसे उनकी टीम ने बचाया.

पारंपरिक गीत-संगीत का लिया सहारा
राजेश्वरी फेक न्यूज से निबटने के लिए पारंपरिक गीत व डांस का सहारा ले रहीं हैं. वह गांव-गांव फॉक सिंगर्स को भेज रही हैं. ये सिंगर्स लोक गीत के माध्यम से लोगों को सच्ची घटना की जानकारी देते हैं. ये पारंपरित म्यूजिकल वाद्य यंत्रों के माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते हैं. साथ ही राजेश्वरी भी खुद लोगों तक जाती हैं और उन्हें फेक न्यूज को लेकर ट्रेनिंग देती है. उनकी इस मुहिम से कई गांवों में झड़प व हिंसा के मामलों में कमी देखी गयी है.

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