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SCS विवाद को एकतरफा तरीके से हल करने की कोशिश नहीं करे चीन :अमेरिका

बीजिंग : अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आज चीन को दक्षिण चीन सागर विवाद का हल ‘एकपक्षीय कार्रवाइयों’ के जरिए किए जाने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी जबकि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों को संबंधों में बडी खलल को दूर करने के लिए अपने मतभेदों को अवश्य दूर करना […]

बीजिंग : अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आज चीन को दक्षिण चीन सागर विवाद का हल ‘एकपक्षीय कार्रवाइयों’ के जरिए किए जाने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी जबकि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों को संबंधों में बडी खलल को दूर करने के लिए अपने मतभेदों को अवश्य दूर करना चाहिए. केरी ने कहा, ‘अमेरिका यह स्पष्ट करेगा कि हम विवाद के एक शांतिपूर्ण हल की उम्मीद करते हैं. दक्षिण चीन सागर (एसएसीएस) विवाद.’ उन्होंने दुनिया की दो बडी अर्थव्यवस्थाओं के बीच यहां दो दिवसीय रणनीतिक और आर्थिक वार्ता के उद्घाटन समारोह में यह कहा.

उन्होंने कहा, ‘हम दावेदार नहीं है. हमने किसी दावेदार के दावों पर कोई रुख नहीं लिया है. हमने सिर्फ यही रुख अख्तियार किया है कि इसे एकपक्षीय कार्रवाई से हल नहीं करें, बल्कि इसे कानून का शासन, कूटनीति, वार्ता के जरिए हल किया जाए.’ उन्होंने एससीएस विवाद में अमेरिकी हस्तक्षेप की चीनी आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि सभी राष्ट्रों से राजनयिक हल तलाशने का अनुरोध किया जो अंतरराष्ट्रीय मानदंडो और कानून का शासन के मुताबिक हो.

एससीएस विवाद दोनों देशों के बीच तकरार का विषय बन गया है क्योंकि अमेरिका ने लगभग समूचे एससीएस पर चीन के दावे के जवाब में फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई और ताईवान का समर्थन किया है. चीन ने अंतरराष्ट्रीय अधिकरण में भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है जो फिलहाल यूएन कंवेंशन ऑन लॉ ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) के तहत फिलीपीन की याचिका की सुनवाई कर रहा है.

बीजिंग ने वाशिंगटन पर एससीएस विवाद का फायदा उठाते हुए क्षेत्र में अपना प्रभाव फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. वार्ता की शुरुआत करते हुए शी ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच मतभेद सामान्य हैं. शी ने कहा कि इतने लंबे समय से दोनों देश मतभेदों और संवेदनशील मुद्दों को पारस्परिक हित में निपटाते रहे हैं और द्विपक्षीय संबंध बडी परेशानियों को टाल सकता है. एससीएस विवाद के दो दिनों की वार्ता में अन्य मुद्दों के साथ छाये रहने की संभावना है.

अन्य मुद्दों में ताईवान, तिब्बत और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत को शामिल किया जाना शामिल है. एनएसजी में भारत को शामिल किए जाने का अमेरिका पुरजोर समर्थन कर रहा जबकि चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को शामिल किए जाने के बारे में सदस्य देशों के बीच आमराय होनी चाहिए. इसबीच, ताईपे से प्राप्त एएफपी की खबर के मुताबिक ताईवान के नये रक्षा मंत्री ने आज कहा कि उनकी सरकार ऐसे किसी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) को मान्यता नहीं देगी जिसका बीजिंग विवादित सागर में घोषणा कर सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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