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बचिए जरा सीजन एलर्जी का

विश्व एलर्जी संगठन (डब्ल्यूएओ) के मुताबिक भारत में एलर्जी संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. इस समय देश की 20 से 30 प्रतिशत जनसंख्या एक या अधिक एलर्जी से होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हैं. यह वही मौसम है जब एलर्जी की तकलीफें परेशान कर देती हैं. आखिर क्या है एलर्जी और इससे बचाव के क्या-क्या हैं […]

विश्व एलर्जी संगठन (डब्ल्यूएओ) के मुताबिक भारत में एलर्जी संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. इस समय देश की 20 से 30 प्रतिशत जनसंख्या एक या अधिक एलर्जी से होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हैं. यह वही मौसम है जब एलर्जी की तकलीफें परेशान कर देती हैं. आखिर क्या है एलर्जी और इससे बचाव के क्या-क्या हैं तरीके, बता रहे हैं देश के प्रमुख सर गंगाराम, हिंदूराव अस्पताल व आइजीआइएमएस के प्रतिष्ठित डॉक्टर्स.

सर्दी के साथ-साथ लोगों की परेशानियां भी बढ़नी शुरू हो गयी हैं. इस मौसम में स्वास्थ्य के साथ थोड़ी-सी लापरवाही महंगी पर सकती है. संवेदी त्वचा वाले लोगों को यह ज्यादा परेशान करती है. इस मौसम में कोहरा और धुंध आम बात है, लेकिन इससे अस्थमा और हार्ट के मरीजों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. साथ ही इस मौसम में एलर्जी बड़ी समस्या है. इसकी वजह से सर्दी, खांसी सहित कई बीमारियां हो सकती हैं. विश्व एलर्जी संगठन (डब्ल्यूएओ) के मुताबिक, भारत में एलर्जी संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. इस समय देश की 20 से 30 प्रतिशत जनसंख्या एक या अधिक एलर्जी से होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हैं. इन बीमारियों में अस्थमा, राइनाइटिस एनाफलैक्सिस, फूड, मेडिसिन संबंधी एलर्जी, कीड़ों-मकोड़ों व पालतू जानवरों से होनेवाली एलर्जी, एक्जिमा और आर्टिकेरिया शामिल हैं.
क्या है एलर्जी

एलर्जी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आपको अहसास नहीं होता कि आप बीमार हैं, लेकिन एक बार यह बीमारी हो जाए, तो आपको परेशानी में डाल सकता है. दरअसल, शरीर की एक क्षमता होती है और उसी के अनुसार वह बाहरी चीजों से मुकाबला करता है. इसे इम्यून सिस्टम कहते हैं. इम्यून सिस्टम की एक सीमित सीमा है जिसके सीमा के बाहर कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं, जिससे बॉडी सामंजस्य नहीं बैठा पाता है. जिन चीजों से बॉडी तालमेल नहीं बैठा पाता है, उन चीजों को हम एलजर्न कहते हैं और यही बाद में एलर्जी का कारण बन सकता है. इंसान को कई चीजों से एलर्जी हो सकती है, जैसे- धूल, प्रदूषण और विभिन्न पौधों के फूलों से उत्पन्न पराग कण, वातावरण में मौजूद फंगस, कॉस्मेटिक्स, पेंट्स, परफ्यूम्स, पालतू जानवर, मूंगफली, बादाम, घोंघा, दूध, अंडे, मछली, सोयाबीन, तिल, आटा आदि.

सर्दी में एलर्जी का खतरा
तापमान गिरने के साथ-साथ लोगों में एलर्जी के कई लक्षण दिखने लग जाते हैं, लेकिन इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी नाक की एलर्जी के कारण होता है. नाक की एलर्जी को नेजल ‘ब्रॉनकियल एलर्जी’ भी कहते हैं. वैसे, सर्दियों में सन एलर्जी भी आम है. इस एलर्जी से पीड़ित लोग जब धूप में बैठते हैं, तो त्वचा जलने लगती है और शरीर पर लाल व काले धब्बों के निशान हो जाते हैं. इसके अलावा, इस मौसम में स्केबिज एलर्जी भी हो सकती है. दरअसल, इस मौसम में त्वचा बहुत कड़ी और रुखी हो जाती है, जिससे खुजली की समस्या होने लगती है. इसे स्केबिज कहते हैं. यदि लंबे समय से एलर्जी की समस्या है, तो उपचार के लिए एंटी एलर्जिक दवा के साथ ही स्टेरायड या स्प्रे का उपयोग भी किया जा सकता है.

हाइपोथर्मिया से बचें
सर्दी के मौसम में जब ठंड की वजह से शरीर का तापमान कम होने लगे, तो इसे हाइपोथर्मिया कहते हैं. आमतौर पर इनसान के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेंटिग्रेड होता है. अगर यह 35 डिग्री से कम हो जाये, तो इससे मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है. इस बीमारी में कंपकंपाहट, कदमों में लड़खड़ाहट, सांस फूलना और ब्लड प्रेशर बढ़ना आदि समस्याएं देखी जाती हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आपका सिर, गला और कान पूरी तरह से ढका हुआ हो. खाना खाकर ही घर से बाहर निकलें. बाहर के खाने को अवॉइड करें. शरीर को गर्म रखने की कोशिश करें.

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