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ताकि बुढ़ापे में देख सकें बच्चों का बचपन

अब तो सबके हाथ में मोबाइल है, जिससे सभी लोग फोटो खींच लेते हैं और वीडियो बना लेते हैं. सब कुछ बहुत आसान हो गया है. इसलिए अपने बच्चों का छोटे में तो हर महीने और फिर हर साल वीडियो जरूर बनाना चाहिए, ताकि बड़े होने के बाद भी अपने बच्चों का बचपन देख सकें […]

अब तो सबके हाथ में मोबाइल है, जिससे सभी लोग फोटो खींच लेते हैं और वीडियो बना लेते हैं. सब कुछ बहुत आसान हो गया है. इसलिए अपने बच्चों का छोटे में तो हर महीने और फिर हर साल वीडियो जरूर बनाना चाहिए, ताकि बड़े होने के बाद भी अपने बच्चों का बचपन देख सकें और उनकी प्यारी, तोतली आवाज को सुन सकें.

अरे माधुरी बहू, शाम की तैयारी कर ली क्या? शारदा देवी ने माधुरी को आवाज लगाते हुए कहा. शाम को क्या है दादी मां? पास में बैठी झरना ने पूछा. तुम भूल गयी कि आज 15 तारीख है और आज शाम को दोनों छोटे बच्चों के साथ घर के सभी सदस्यों का वीडियो बनता है, शारदा देवी ने बताया. हां दादी मां, याद आया लेकिन दादी मां हम हर महीने ऐसा क्यूं करते हैं. झरना ने पूछा, तो शारदा देवी ने बताया कि ऐसा इसलिए करते हैं जिससे दोनों छोटे बच्चे इस समय कैसे दिखते हैं, कैसे चलते हैं या कुछ बोलते हैं, उनकी जो भी एक्टविटी हो वो कैमरे में कैद हो जाये और जब वो बड़े हो जायेंगे तो उनको अपना बचपन देखने को मिलेगा और हम भी हमारे बच्चों के बड़े हो जाने के बाद भी उनके बचपन को दोबारा देख सकेंगे कि वो कैसे चलते थे, कैसे बातें करते थे, कैसे हंसते थे या कैसी-कैसी हरकतें करते थे.

जैसे हमने तुम्हारा भी हर साल का वीडियो बनाया है और जब तुम खुद अपने आपको देखती हो नन्ही-मुन्नी झरना के रूप में, तो तुम्हें कितना अच्छा लगता है और तुम आश्चर्य से पूछती हो कि अरे ये मैं हूं! इतनी छोटी-सी! मैं ऐसा करती थी! ऐसे चलती थी! तुमको अपने आपको देखना अच्छा लगता है ना? शारदा देवी ने बड़े प्यार से पूछा तो झरना ने चहकते हुए जवाब दिया, हां, दादी मां, मुङो बड़ा मजा आता है. मैं भी कितनी छोटी-सी थी. मेरे भी छोटे-छोटे हाथ-पैर थे. देखो दादी मां अब मैं बड़ी हो गयी हूं, लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं रोती थी जैसे फलित रोता है.

जब देखो भैं-भैं करता रहता है. नहीं बिटिया, ऐसा नहीं बोलते. वो काफी बीमार रहा ना, इसलिए रोता है. छोटा बच्चा कैसे बतायेगा कि उसे क्या हुआ है? इसलिए वो रोकर ही बताता है कि उसे कुछ तकलीफ है या वो भूखा है. तुम भी ऐसे ही करती थी. समझी ना? शारदा देवी ने उसे समझाते हुए पूछा. नहीं दादी मां, मैं तो गुड गर्ल हूं. मैं नहीं रोती थी. मम्मा कहती हैं कि मैं सबसे प्यारी और वल्र्ड की बेस्ट डॉटर हूं. झरना ने थोड़ा इतराते हुए कहा.

झरना बेटा, हर मां को उसका बच्चा दुनिया में सबसे अच्छा और सबसे सुंदर लगता है, चाहे वो कैसा भी हो. इसीलिए तो मां को भगवान का दर्जा दिया गया है. मां अपनी सारी तकलीफें भूलकर अपने बच्चे को पालती है. अपने बच्चे की हर खुशी पूरी करती है. उसका ध्यान रखती है. उसे कब, क्या चाहिए ये मम्मा पहले ही जान जाती है. शारदा देवी ने कहा तो तुरंत झरना ने प्रश्न किया लेकिन दादी मां भगवान तो हमें दिखाई नहीं देता तो हम भगवान को क्यूं मानते हैं? भगवान दिखाई नहीं देता इसीलिए तो उसने माता-पिता को बनाया. भगवान अपने सभी बच्चों का ध्यान रखते हैं लेकिन सभी के पास वो जा नहीं सकते. इसलिए उन्होंने बच्चों की समस्याओं को दूर करने, बच्चों का ख्याल रखने के लिए मां-पिता को भेज दिया. वो बच्चों को पालते हैं, पढ़ाते हैं, उनको सही-गलत का फर्कसिखाते हैं. हमारी सारी समस्याओं का एक ही हल है-मां. इसलिए मां को कभी नाराज नहीं करना और हमेशा उसका कहना मानना चाहिए, नहीं तो मां नाराज हो जायेगी और मां को नाराज करने का मतलब भगवान को नाराज करना हुआ और भगवान को कभी नाराज नहीं करना चाहिए.

इसलिए सभी बच्चों को अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए, उनसे झूठ नहीं बोलना चाहिए और कुछ छुपाना भी नहीं चाहिए. तुम भी हमेशा मम्मा का कहना मानना. समझ गयी? शारदा देवी ने पूछा तो झरना ने कहा- हां दादी मां, समझ गयी लेकिन ये बताइए कि आप भी तो छोटी बेबी थीं तो आपका वीडियो कहां है? इस पर शारदा देवी ने कहा कि हमारे समय में वीडियो बनानेवाले कैमरे ही नहीं थे और जो थे भी वो बहुत मंहगे थे. उनको हैंडल करना भी आसान नहीं था. फोटो खिंचवाने के लिए स्टूडियो जाना पड़ता था और वो भी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो खिंचती थी.

अब तो सबके हाथ में मोबाइल है और सभी लोग फोटो खींच लेते हैं और वीडियो बना लेते हैं. सब कुछ बहुत आसान हो गया है. इसलिए अपने बच्चों का छोटे में तो हर महीने और फिर हर साल वीडियो जरूर बनाना चाहिए.

साथ ही बच्चे की आवाज, उसकी बातें भी रिकॉर्ड करनी चाहिए, ताकि बड़े होने के बाद भी अपने बच्चों का बचपन देख सकें और उसकी प्यारी, तोतली आवाज को सुन सकें और खुद को भी बूढ़े होते हुए देख सकें. शारदा देवी मुस्कुरा रही थीं.

वीना श्रीवास्तव

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल:veena.rajshiv@gmail.com

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