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आतंकवादियों को बचाने के लिए वीटो के इस्तेमाल पर भड़का भारत, सुनायी खरी-खरी

संयुक्त राष्ट्र : चीन के वीटो पावर के इस्तेमाल से संयुक्त राष्ट्र में आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध नहीं लग पाया. भारत ने चीन के इस रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र में नाराजगी जताते हुए कई अहम सवाल खड़े किये. उन्होंने पूछा, आखिर ऐसा क्यों होता […]

संयुक्त राष्ट्र : चीन के वीटो पावर के इस्तेमाल से संयुक्त राष्ट्र में आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध नहीं लग पाया. भारत ने चीन के इस रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र में नाराजगी जताते हुए कई अहम सवाल खड़े किये. उन्होंने पूछा, आखिर ऐसा क्यों होता है कि आतंकवादी के प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को स्वीकार ना करने के बाद इसके कारणों को नहीं बताया जाता.

अकबरुद्दीन ने यह यह सवाल खुली बहस में उठाया. संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादियों की गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा विषय में चल रही बहस में उठाया. उन्‍होंने कहा, अलकायदा, तालिबान और इस्‍लामिक स्‍टेट पर प्रतिबंध लगाने संबंधी समिति की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. पठानकोट वायु सैनिक अड्डे पर जनवरी में हुए हमले के बाद भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र से फरवरी में संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रतिबंध समिति के तहत मसूद अजहर पर तत्‍काल कार्रवाई के लिए उसे सूचीबद्ध करने का आहवान किया था.
सभी सदस्‍य देशों को बताया गया था कि अगर किसी को आपत्ति नहीं है तो समय सीमा खत्‍म होने के बाद फैसले की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन समय सीमा खत्‍म होने से कुछ समय पहले चीन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र समिति को अपना फैसला स्‍थगित करने का अनुरोध किया. चीन ने कहा था कि किसी को सूचीबद्ध करने के लिए जरूरी मानकों को पूरा करना होता है. चीन ने कहा था कि मानदंडों का पालन सुनिश्चित कराना परिषद के सदस्‍यों की जिम्‍मेदारी है .
गौरतलब है कि पिछले महीने चीन ने दोबारा संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में जैश ए मोहम्मद के प्रमुख और पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने की भारत की कोशिश को बाधित कर दिया था.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा एवं तालिबान से जुडी प्रतिबंध समितियों के कामकाज को लेकर अपनायी जाने वाली ‘गोपनीयता’ की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य आतंकियों को प्रतिबंधित करने के अनुरोधों पर कैसे फैसला लेते हैं, संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों को इसे लेकर अंधेरे में रखा जाता है.

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