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शौचालय नहीं बना तो दे दिया तलाक

विवाह के चार साल बाद भी जब ससुराल में शौचालय नहीं बना, तो महनार की सुनीता ने पति से तलाक ले लिया. यह स्वच्छता और सम्मान की लड़ाई लड़नेवालों के लिए एक नजीर है. लेकिन, सुनीता के तलाक ने सरकारी व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. उसका ससुराल पहाड़पुर को निर्मल ग्राम […]

विवाह के चार साल बाद भी जब ससुराल में शौचालय नहीं बना, तो महनार की सुनीता ने पति से तलाक ले लिया. यह स्वच्छता और सम्मान की लड़ाई लड़नेवालों के लिए एक नजीर है. लेकिन, सुनीता के तलाक ने सरकारी व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. उसका ससुराल पहाड़पुर को निर्मल ग्राम का पुरस्कार मिल चुका है और जिससे उसकी शादी हुई थी, वह बीपीएल की कोटि में है.

महनार: घर में शौचालय बनाने की गुजारिश जब नहीं सुनी गयी, तो सुनीता ने सोमवार को अंतत: अपने पति धीरज कुमार से तलाक ले ली. दोनों बगैर किसी हील-हुज्जत के कानूनी रूप से अलग हो गये. दोनों के रिश्तेदारों व पारिवारिक मित्रों ने भले ही शौचालय बनाने में उनकी कोई मदद नहीं की, लेकिन तलाक की कार्रवाई में गवाह के रूप में जरूर मौजूद रहे.

जंदाहा के डीह बुचौली गांव निवासी शिवा चौधरी की पुत्री सुनीता की शादी करीब चार साल पहले महनार थाने के पहाड़पुर गांव निवासी अच्छे लाल चौधरी के पुत्र धीरज कुमार चौधरी के साथ हुई थी. सुनीता ने पति से बार-बार घर में शौचालय बनवाने को कहा. लेकिन, उसकी नहीं सुनी गयी. ससुराल के लोगों का तर्क था कि उनकी आर्थिक हैसियत शौचालय बनाने की नहीं है.

बीपीएल सूची में है परिवार : धीरज कुमार के परिवार का नाम बीपीएल सूची में दर्ज है, लेकिन सरकारी योजना के तहत भी उसके घर में शौचालय नहीं बन पाया.

निर्मल ग्राम पुरस्कृत है गांव : आश्चर्य की बात है कि महनार के पहाड़पुर गांव को राष्ट्रपति से निर्मल ग्राम का पुरस्कार मिल चुका है. निर्मल ग्राम पुरस्कार की पात्रता के लिए जरूरी है कि गांव के सभी घरों में शौचालय हो और साफ-सफाई हो. सुनीता के तलाक के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर पहाड़पुर को निर्मल ग्राम पुरस्कार कैसे मिला.

तलाक के प्रस्ताव पर पति भी राजी

शौचालय नहीं बनाये जाने पर जब सुनीता ने तलाक का प्रस्ताव अपने पति के समक्ष रखा, तो उसने किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं जतायी. पति व पत्नी स्वेच्छा से अलग होने को राजी हो गये. सोमवार को अनुमंडल कोर्ट में सुनीता एवं धीरज ने अलग-अलग रहने की शपथ ली. शिवा चौधरी ने अपनी पुत्री को शादी के वक्त उपहार स्वरूप कई सामान दिये थे, जिन्हें धीरज ने लौटा दिया.

मित्र व रिश्तेदार बने गवाह : सुनीता एवं धीरज के बीच जब तलाक लेने की कार्रवाई हो रही थी, तो उस वक्त दोनों के मित्र एवं रिश्तेदार गवाह के तौर पर मौजूद थे, जिसमें विनोद चौधरी, दिलीप चौधरी, संतोष चौधरी, प्रमोद चौधरी, अरविंद कुमार रजक, राजीव कुमार सिंह,चंदेश्वर सिंह, जितेंद्र चौधरी एवं राजेश चौधरी आदि शामिल हैं.

जहां शौचालय नहीं, वहां शादी न करो : सुनीता

सुनीता कुमारी ने कहा कि बगैर शौचालय के ससुराल में रहना ठीक नहीं लग रहा था. रोज-रोज के घर से बाहर जाने में परेशानी और कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता था. मैं हर युवती एवं महिलाओं से कहना चाहती हूं कि जिस घर में शौचालय नहीं हो, वहां शादी मत करना.

पति ने कहा, मैं लाचार

पति धीरज कुमार ने कहा कि मैं और मेरा परिवार बेहद गरीब है. आय के हिसाब से महंगा शौचालय बनाने की औकात मेरी नहीं है. सरकार से कोई लाभ अब तक नहीं मिला. सुनीता के फैसले को मैं बदल नहीं सकता हूं.

77 फीसदी घर शौचालय विहीन

बिहार के करीब 77% घरों में शौचालय नहीं हैं. महिलाओं को खुले में शौच जाना मजबूरी है. हालांकि राज्य सरकार ने चरणबद्ध ढंग से सभी घरों में निजी शौचालय के लिए लोहिया स्वच्छता योजना चलाया है. बीपीएल परिवार को 12 हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है.

स्वच्छता के अंतर्गत एपीएल एवं बीपीएल परिवार में कोई अन्तर नहीं है. है. पंचायती राज संस्थाओं में उम्मीदवार होने की शर्त यह है कि उनके घर में शौचालय होने चाहिए.

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