27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

युवा कवि की ‘उड़ान’

कविता संग्रह ‘उड़ान’ एक मध्यवर्गीय संवेदनशील युवा की रचनात्मक उड़ान है, जिसके पंख तो रूमानियत और कल्पना से बने हैं, लेकिन उसकी मंजिल यथार्थ पर टिकी है. सा हित्य की अनेक विधाओं में कविता का स्थान अन्यतम है. रचनाकार की स्वाभाविक अंत: संवेदना जब उनके ज्ञान से अर्जित शब्दों का प्रश्रय पाकर लयात्मक अभिव्यक्ति के […]

कविता संग्रह ‘उड़ान’ एक मध्यवर्गीय संवेदनशील युवा की रचनात्मक उड़ान है, जिसके पंख तो रूमानियत और कल्पना से बने हैं, लेकिन उसकी मंजिल यथार्थ पर टिकी है. सा हित्य की अनेक विधाओं में कविता का स्थान अन्यतम है. रचनाकार की स्वाभाविक अंत: संवेदना जब उनके ज्ञान से अर्जित शब्दों का प्रश्रय पाकर लयात्मक अभिव्यक्ति के रूप में साकार हो उठती है, तो कविता का निर्माण होता है.

इसलिए एक कवि को संवेदनशील, भाषा का पारखी एवं वाक्य-विन्यास में लय की सुध रखनेवाला होना चाहिए. हिंदी साहित्य के समकालीन परिसर में युवा कवि विभाष कुमार ने हाल ही में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. इस साल के उत्तरार्ध में प्रकाशित हुई विभाष कुमार की काव्यकृति ‘उड़ान’ एक पठनीय काव्य संग्रह है.
विभाष का बचपन गांव की सादगी में बीता है, परंतु युवावस्था से ही शहरी जीवन की असीम आकांक्षाओं में छिपी तमाम विडंबनाओं को देखते-समझते बीता है. उनके काव्य संग्रह ‘उड़ान’ की शक्ति का मूल यही है.
जैसे-जैसे समाज को देखने का नजरिया विकसित होता गया, विभाष की कविता के विषय यथार्थ के निकट आते गये. ‘उड़ान’ को पढ़ते हुए हम कवि की कल्पना के विविध रंगों का साक्षात्कार करते हैं.
शहरी जीवन के रोजमर्रा के तनाव को तसदीक करती ‘इड़ा’ का यथार्थरूपी राग है, तो ‘ओस की बूंदें’ से तारतम्यता बिठाता एक बोझिल मन है. इसमें बचपन का ‘खिलौना’ है, तो दादी की ‘दवा’ भी है. यह सवाल भी है कि जिन आंखों में कल तक बेहिसाब प्यार रहता था, उसमें अब सिर्फ ‘सवाल’ ही क्यों रहता है?
कवि ने एक तरफ मानवता को शर्मसार करनेवाले ‘दंगे’ के भयानक स्थिति का चित्रण किया है, तो दूसरी तरफ लोकतंत्र पर लगानेवाले ‘खामोशी’ के ताले पर भी प्रश्न खड़ा किया है. जहां तक भाषा की बात है, तो वह सादगीपूर्ण है. एक साधारण सा पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी सहज ही इसे समझ सकता है. शब्दों का चयन कहीं भदेसपन को लपेटे हुए है, तो कहीं विशुद्ध साहित्यिक स्वरूप को समेटे हुए.
‘उड़ान’ एक मध्यवर्गीय संवेदनशील युवा की रचनात्मक उड़ान है, जिसके पंख तो रूमानियत और कल्पना से बने हैं, लेकिन उसकी मंजिल यथार्थ पर टिकी है. युवा कवि विभाष इस पहली ‘उड़ान’ के लिए बधाई के पात्र हैं. भविष्य में भी वह और भी रचनाओं के साथ उपस्थित हों, इसके लिए पूरे हिंदी पाठक समाज की ओर से उन्हें शुभकामनाएं!
– डॉ कौशलेंद्र कुमार

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें