<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/D96D/production/_109916655_gettyimages-846207104.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मंगलवार सबेरे तक अटकलें लगाई जा रही थीं की बुधवार को बीजेपी विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करेगी. लेकिन कुछ ही घंटों में खेल बदला और बीजेपी का साथ देने वाले एनसीपी नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. </p><p>इसके क़रीब एक घंटे बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर स्पष्ट कर दिया कि वो विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं.</p><p>इसके तुरंत बाद फडणवीस राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया.</p><p>महाराष्ट्र की राजनीति के पल-पल बदलते घटनाक्रम ने कम से कम ये तो साबित कर ही दिया था कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि गोवा, मणिपुर और हरियाणा में सरकार बना लेने वाली बीजेपी से आख़िर चूक कहां हुई.</p><figure> <img alt="अमित शाह और देवेंद्र फडनवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/0366/production/_109907800_05df70ef-72f4-4ba2-a927-2349f84dcc36.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह</strong> ने <strong>बीबीसी संवाददाता मानसी दाश</strong> को बताया कि रणनीतिक तौर पर ये बीजेपी की सबसे बड़ी ग़लती है. </p><h3>पढ़िए उनका नज़रिया- </h3><p>चुनाव के नतीजे आने के बाद ये बात सबको पता थी कि जनादेश बीजेपी और शिवसेना को मिला था. लेकिन जब शिवसेना पीछे हट गई तो बीजेपी ने अपनी तरफ से कोई क़दम नहीं उठाया और उसने सीधा राज्यपाल से जा कर कह दिया कि वो सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1199282822353022976">https://twitter.com/ANI/status/1199282822353022976</a></p><p>इसके बाद बीजेपी को लेकर पूरे देश में और महाराष्ट्र में एक सहानुभूति थी कि पार्टी का व्यवहार सम्मानजनक रहा है, लेकिन अजित पवार के साथ मिलकर जो बीजेपी ने किया उससे उसने वो सहानुभूति और प्रतिष्ठा खो दी है.</p><p>साथ ही अमित शाह की जो छवि बनी थी कि वो बहुत बड़े चाणक्य हैं, रणनीतिकार हैं, कभी फेल नहीं होते है, वो छवि भी टूट गई.</p><p>बीजेपी का हाल कुछ ऐसा है कि "न खुदा ही मिला न विसाले सनम" यानी वो न इधर के रहे न उधर के रहे. उसे हासिल कुछ नहीं हुआ लेकिन नुक़सान काफी कुछ हुआ है. इसकी भरपाई बहुत जल्दी नहीं हो सकेगी.</p><h3>पहली ग़लती – एनसीपी से दूरी बनाई</h3><figure> <img alt="महाराष्ट्र में बीजेपी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DB19/production/_109898065_33724ebd-7051-4b79-9461-272a6311a5db.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>चुनाव के बाद की हलचल को देखते हुए पूरे महाराष्ट्र की बात करें तो बीजेपी से पहली ग़लती वहां हुई, जब विधानसभा चुनाव के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस गया था.</p><p>इस मामले में उस वक्त मुख्यमंत्री <a href="https://twitter.com/CNNnews18/status/1176788847482396672">देवेंद्र फडणवीस </a>को मीडिया के सामने आ कर कहना पड़ा था कि राज्य सरकार बदले की भावना से काम नहीं कर रही है और इसमें सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं है.</p><p>शरद पवार की एनसीपी ऐसी पार्टी थी जो महाराष्ट्र में बफर की तरह काम कर रही थी. जब शिवसेना का दबाव होता था तो एनसीपी, बीजेपी की मदद के लिए आ जाती थी. </p><p>2014 में जब बीजेपी के लिए बहुमत साबित करने की बारी थी तो एनसीपी ने उन्हें <a href="https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/devendra-fadnavis-led-bjp-government-wins-trust-vote-in-maharashtra-assembly-shiv-sena-congress-cry-foul/articleshow/45120649.cms">बाहर से समर्थन </a>दिया था.</p><p>चुनाव के दौरान वो पुल बीजेपी ने जला दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि जब शिवसेना ने साथ छोड़ा तो कोई बीजेपी के साथ नहीं था.</p><h3>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे </h3> <ul> <li>महाराष्ट्र विधानसभा कुल सीटें – 288</li> <li>सरकार बनाने के लिए ज़रूरी – 145 का आंकड़ा</li> <li>भारतीय जनता पार्टी – 105</li> <li>शिवसेना – 56</li> <li>राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) – 54</li> <li>कांग्रेस – 44</li> <li>निर्दलीय – 12</li> <li>अन्य – 17</li> </ul><h3>दूसरी ग़लती – अजित पवार पर भरोसा</h3><figure> <img alt="अजित पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/2E03/production/_109897711_161d046b-99db-4e23-ba3b-2b8c33623f12.jpg" height="549" width="976" /> <footer>NCP @Facebook</footer> </figure><p>बीजेपी ने अजित पवार के रूप में एक ऐसे व्यक्ति पर भरोसा किया जिसको वो पांच साल कर भ्रष्टाचारी बता कर, उसके ख़िलाफ़ जांच शुरू कर के ये बताते रहे कि इनसे बड़ा भ्रष्टाचारी कोई नहीं होगा.</p><p>उन्होंने एक ऐसी चिट्ठी पर भरोसा किया जो एक तरह से चोरी कर के लाई गई थी.</p><p>शुरु से ही अजित पवार की स्थिति बेहद संदेहास्पद थी कि उनके पास कितने नंबर हैं. बीजेपी ये आकलन करने में नाकाम रही कि अजित पवार के साथ कितने विधायक होंगे.</p><p>अब ऐसा लग रहा है कि बीजेपी ने सिर्फ़ उनकी बात पर भरोसा कर लिया था.</p><p>पार्टी के पास कोई प्लान बी नहीं था. अजित पवार जितने विधायकों को लाने का दावा कर रहे हैं, उन्हें न ला पाए तो उस स्थिति में क्या करेंगे इसकी कोई तैयारी नहीं थी.</p><h3>तीसरी ग़लती – पवार परिवार को समझ नहीं पाई</h3><figure> <img alt="अजित पवार और शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/1629B/production/_109897709_gettyimages-1149150721.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>एक बड़ी ग़लती शरद पवार और अजित पवार के रिश्तों को समझने में भी हुई. ये दोनों एक परिवार के लोग हैं.</p><p>बीजेपी ने ये आकलन कर लिया था कि सत्ता में आने की कोशिश में ये परिवार टूट जाएगा.</p><p>बीजेपी ने ये आकलन नहीं लगाया कि परिवार में एक भावनात्मक जुड़ाव होता है जो परिवार से अलग होने वाले व्यक्ति पर बड़ा मानसिक दबाव डालता है. </p><p>अजित पवार को समझाना परिवार के लोगों के लिए इसलिए भी आसान था क्योंकि उप मुखयमंत्री का पद उन्हें एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन में भी मिल रहा था और बीजेपी के साथ जाने पर भी. इससे ज़्यादा उन्हें कुछ मिल नहीं रहा था.</p><p>अजित पवार के लिए ये कोई लाभ का सौदा नहीं था, शायद उनके परिवार के लोग उन्हें ये समझाने में कामयाब रहे हैं.</p><p><strong>चौथी ग़लती – शरद पवार की </strong><strong>ताक़त </strong><strong>को कम समझ</strong><strong>ना</strong></p><figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/1147B/production/_109897707_d53276f8-9dd7-478a-b6ab-4f5a701753ae.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>एनसीपी प्रमुख शदर पवार की ताक़त को बीजेपी ने कम आंका, ये उनकी बड़ी ग़लती थी.</p><p>विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस आने के बाद जिस तरह उन्होंने पलटवार किया उसके बाद बीजेपी को कम से कम 15-20 सीटों का नुक़सान हुआ.</p><p>महाराष्ट्र में, ख़ास कर मराठा राजनीति में शरद पवार अभी भी बड़े नता हैं. इसमें कोई विवाद नहीं है और ये शरद पवार ने पूरी तरह साबित भी कर दिया. लेकिन बीजेपी ये बात नहीं समझ पाई.</p><p>शरद पवार से बीजेपी का और प्रधानमंत्री मोदी का लंबा नाता रहा है. मोदी ख़ुद मान चुके हैं कि जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वो बीच-बीच में शरद पवार को फ़ोन करते थे और प्रशासनिक और राजनीतिक मसलों पर उनसे सलाह लेते थे.</p><p>लेकिन ये दोस्ती क्यों टूटी, क्या उसका आधार था या उससे क्या मिला अभी ये समझना मुश्किल है.</p><p>शरद पवार एक अलग तरह की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. 1978 में वे अपने राजनीतिक गुरु वसंतदादा पाटिल से बग़ावत कर के कांग्रेस से अलग हुए और मुख्यमंत्री बन गए. उस समय वो केवल 37 साल के थे.</p><p>उसके बाद से वो महाराष्ट्र की राजनीति में एक अलग ध्रुव की तरह स्थापित हो गए. कभी कांग्रेस में आए, कभी गए, तीन बार मुख्यमंत्री भी बने. </p><p><a href="https://twitter.com/shilpakannan/status/1187359514040963072">https://twitter.com/shilpakannan/status/1187359514040963072</a></p><p>जो पार्टी उन्होंने बनाई उसे दो दशक से अधिक समय हो गया है. उनकी पार्टी आज महाराष्ट्र में कांग्रेस से बड़ी पार्टी की शक्ल अख्तियार कर चुकी है. अपने जनाधार को वो बनाए रखने में कामयाब हुए हैं.</p><p>वो राजनीतिक रणनीति को समझने वाले दिग्गजों में शामिल हैं. उन्हें समझ आता है कि क्या कहना है और क्या नहीं.</p><p>विधानसभा चुनाव के दौरान लगभग 80 साल की उम्र के शरद पवार ने अपना जुझारूपन दिखाया है. चुनाव के दौरान बारिश में खड़े हो कर उनके भाषण देने की एक तस्वीर ने चुनाव का रुख़ बदल दिया था.</p><h3>पांचवीं ग़लती – धैर्य खो दिया</h3><p><a href="https://twitter.com/CMOMaharashtra/status/1198086847026458624">https://twitter.com/CMOMaharashtra/status/1198086847026458624</a></p><p>राज्य में सरकार गठन के मामले में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को शामिल करना बड़ी ग़लती थी.</p><p>अगर ये काम सामान्य तरीक़े से होता- कैबिनेट की बैठक होती, उसमें राष्ट्रपति शासन वापस लेने का फ़ैसला होता और और फिर शपथ ग्रहण होता तो शायद पार्टी की उतनी बदनामी न होती.</p><p>फिलहाल यही बातें हो रही हैं कि ऐसी क्या जल्दी थी कि सारे काम आधी रात को हुए. प्रधानमंत्री को इमरजेंसी प्रोविज़न्स का इस्तेमाल करना पड़ा और ये फ़ैसला लिया गया.</p><p>लेकिन फिर बाद में पता चला कि पार्टी की कोई तैयारी नहीं थी.</p><p>शायद सामान्य तरीक़े से सब कुछ होता को मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी नहीं जाता. कोर्ट में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का यही कहना था सरकार को ग़लत तरीके से शपथ दिलाई गई है, इसे बर्ख़ास्त कया जाए.</p><p>उनका सवाल था कि "ऐसी कौन सी आपात स्थिति आ गई थी कि देवेंद्र फडणवीस को सुबह आठ बजे शपथ दिलवाई गई. जब ये बहुमत का दावा कर रहे हैं तो इसे साबित करने से क्यों बच रहे हैं."</p><h3>छठी ग़लती – कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी को ख़ुद पास ले कर आई</h3><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/C65B/production/_109897705_72e81bf9-a38f-458d-bd64-a2e42eb5ca14.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी</figcaption> </figure><p>बीजेपी ने इन तीनों पार्टियों को भरपूर मौक़ा दिया कि वो अपने आपसी मतभेद मिटा कर साथ आएं और उनसे लड़ें.</p><p>उनके पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था कि वो अपने सारे मतभेद भुला दें और एक हो जाएं, क्योंकि उनसे अस्तित्व पर ही अब सवाल खड़ा हो गया था.</p><p>बीजेपी के पास एक मौक़ा था कि अगर एनसीपी के साथ ही गठबंधन करना था तो उन्हें सीधे शरद पवार के साथ बात करनी चाहिए थी.</p><p>उनकी शर्तों को मान कर अगर बीजेपी ने गठबंधन किया होता तो सरकार भी चलती और शिवसेना को भी उनकी जगह दिखा सकते थे.</p><p><strong>ग़लती फड</strong><strong>ण</strong><strong>वीस की या पार्टी की</strong></p><figure> <img alt="देवेंद्र फडनवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/A699/production/_109894624_5f375921-a0ba-4291-8cb5-64a4a4646215.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ जो कुछ हुआ उसके लिए देवेंद्र फडणवीस अकेले ज़िम्मेदार नहीं ठहराए जा सकते. जो हुआ उसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व भी ज़िम्मेदार है.</p><p>पहला तो ये कि महाराष्ट्र कोई छोटा राज्य नहीं है और दूसरी ये कि कर्नाटक में बीजेपी यही ग़लती कर चुकी है.</p><p>अगर आप शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार को बनने देते तो ये सरकार अपने अंदरूनी मतभेदों के कारण गिर जाती और बीजेपी के लिए बेहतर स्थिति होती. दोबारा चुनाव होते तब भी भाजपा के लिए बेहतर होता और अगर चुनाव न भी होते तो भी बीजेपी को लाभ होता.</p><p>लेकिन अभी जो कुछ हुआ उससे बीजेपी को केवल नुक़सान ही नुक़सान है.</p><p>देवेंद्र फडणवीस की छवि को इसमें बहुत बड़ा नुक़सान है क्योंकि वो एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे थे जिन्हें महाराष्ट्र से भविष्य के संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा था. </p><p>बीजेपी के सभी मुख्यमंत्रियों में उन्हें सबसे बेहतर और दिल्ली के अधिक क़रीब भी माना जा रहा था. उन्हें पार्टी हाईकमान से जैसा समर्थन मिल रहा था उतना किसी और मुख्यमंत्री को कम ही मिला है.</p><p>लेकिन जो कुछ हुआ उससे उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक समझ को बहुत बड़ा धक्का लगा है. इस पूरे घटनाक्रम में वो किसी भी क़ीमत पर और किसी से भी गठबंधन कर सत्ता हासिल करने वाले नेता के रूप में सामने आए हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
BREAKING NEWS
महाराष्ट्र: वो 6 ग़लतियां जिस कारण पीछे हटी बीजेपी
<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/D96D/production/_109916655_gettyimages-846207104.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मंगलवार सबेरे तक अटकलें लगाई जा रही थीं की बुधवार को बीजेपी विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करेगी. लेकिन कुछ ही घंटों में खेल बदला और बीजेपी का साथ देने वाले एनसीपी नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement