<figure> <img alt="Greece Turkey border, ग्रीस तुर्की सीमा" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C91/production/_109652479_greekborder.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>तुर्की से निष्कासित एक व्यक्ति ग्रीस की सीमा पर फंस गया</figcaption> </figure><p>इस्लामिक स्टेट के सदस्य भले ही वापस नहीं जाना चाहते लेकिन तुर्की ने उन्हें उनके अपने देशों में वापस भेजना शुरू कर दिया है.</p><p>बीबीसी की रियलिटी चेक टीम ने इस कहानी के पीछे तथ्यों की पड़ताल की और जानना चाहा कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है उनके साथ क्या हो सकता है.</p><p>तुर्की ने उन कथित विदेशी लोगों को जिनके तार इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े हुए थे, वापस उनके देशों में भेजना शुरू कर दिया है भले ही कुछ यूरोपीय देश अपने नागरिकों को वापस लेने को लेकर अनिच्छुक हैं.</p><p>जर्मनी, डेनमार्क और ब्रिटेन ने इन्हें वापस लौटने से रोकने के लिए अपने उन नागरिकों की नागरिकता समाप्त कर दी है जो कथित तौर पर जिहादी समूह से जुड़े थे.</p><p>लेकिन तुर्की यह कह रहा है कि वो जर्मनी, डेनमार्क, फ़्रांस और आयरलैंड के 20 से अधिक नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया में है.</p><p>तो एक बार तुर्की से निकाले जाने के बाद इन लोगों के साथ आखिर होता क्या है?</p><h3>तुर्की का क्या है कहना?</h3><p>तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने बताया कि अभी सैकड़ों की तादाद में विदेशी लड़ाके तुर्की की जेलों में बंद हैं. </p><p>इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने यह संकेत दिए कि वो इन लड़ाकों को वापस भेजेगी चाहे उनके देशों में उनकी नागरिकता रद्द ही क्यों न कर दी गई हो. </p><p>तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान सोयलू कहते हैं, "दुनिया भर के देशों ने आजकल नागरिकता ख़त्म कर देने का एक नया तरीका अपना रखा है."</p><p>उन्होंने कहा, "वे कहते हैं कि उन्हें वहीं सज़ा मिलनी चाहिए जहां उन्हें पकड़ा गया है. यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून का एक नया रूप है, मुझे लगता है कि इसे स्वीकार किया जाना संभव नहीं है." </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50237531?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कौन हैं जो यूरोप के लिए टाइम बम साबित हो सकते हैं ?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50330453?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मध्यपूर्व में ईरान ऐसे बढ़ा रहा है अपना प्रभुत्व</a></li> </ul><img class="idt-cloud-graphic" src="https://ichef.bbci.co.uk/news/amp/idt2/470/6429405a-8755-4311-a8f7-12ec19228950" alt=""हम इस्लामिक स्टेट के सदस्यों को उनके अपने देशों में वापस भेज देंगे चाहे उनकी नागरिकता रद्द ही क्यों न कर दी गई हो.", Source: सुलेमान सोयलू, Source description: तुर्की के आंतरिक मंत्री, Image: Interior Minister Suleyman Soylu"/><h3>तो विदेशी नागरिकों के साथ निपटने का तरीका क्या है?</h3><p>विदेशों में गिरफ़्तार लोगों को कॉन्सुलर मदद का अधिकार है और आम तौर पर इसमें उस व्यक्ति से सीधे संपर्क किया जाता है.</p><p>इसमें इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी हिरासत में रखे गए व्यक्ति की पहचान करके हर संभव मदद करने का प्रयास करती है.</p><p>सीरिया में जिन कैंप्स में जहां कथित तौर पर आईएस के सदस्यों और उनके परिवारों को रखा गया है, कुछ सरकारों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से उनके अधिकारियों के लिए उन लोगों से संपर्क कर पाना बेहद ख़तरनाक है.</p><p>यह भी स्पष्ट नहीं कि उन्हें तुर्की में गिरफ़्तार किया गया या सीरिया की सीमा के भीतर पकड़ा गया.</p><p>कुछ यूरोपीय देशों ने तो अपने उन नागरिकों को वापस लेने से साफ़ इंकार कर दिया है जो कथित तौर पर आईएस से जुड़े थे. </p><p>लेकिन संयुक्त राष्ट्र इसे लेकर बिल्कुल स्पष्ट है कि इन देशों को अपने नागरिकों की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए.</p><p>संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचेलेट कहती हैं, "अगर अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मानकों के अनुसार मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता तो विदेशी नागरिकों को उनके अपने अपने देशों में वापस भेजा जाना चाहिए."</p><p>वे कहती हैं कि अगर कोई विदेशी नागरिक "किसी अन्य देश में गंभीर अपराध करने का अभियुक्त या किसी अन्य मामले में हिरासत में लिया जाता है" तो उसकी ज़िम्मेदारी लेना उस नागरिक के अपने देश की होगी.</p><p>अंतरारष्ट्रीय क़ानून के तहत, अगर किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे देश की नागरिकता न अपनाई हो, तो उसे उसकी नागरिकता से वंचित करना गैरक़ानूनी है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50217176?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अब इस्लामिक स्टेट का नया ‘बग़दादी’ कौन</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50318728?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बग़दादी की पत्नी तुर्की की ‘हिरासत’ में </a></li> </ul><figure> <img alt="तुर्की सेना का दस्ता" src="https://c.files.bbci.co.uk/12E71/production/_109652477_turkey-syria.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h3>तुर्की से निष्कासित लोगों के साथ क्या हो रहा है?</h3><p>तुर्की के अधिकारियों ने बताया कि 12 नवंबर को इस्लामिक स्टेट के तीन जिहादी लड़ाकों को उनके अपने देश जर्मनी, डेनमार्क और अमरीका भेज दिया गया है और जल्द ही कई अन्य लोगों को उनके वतन वापस भेजने की तैयारी चल रही है.</p><p>जिस अमरीकी नागरिक को ग्रीस से सटी सीमा पर पकड़ा गया था, डिपोर्ट किए जाने के बाद वह अमरीका जाने के बजाए वापस ग्रीस की सीमा पार करना चाहता था.</p><p>जहां ग्रीस ने उसे अपने देश में घुसने से मना कर दिया और बताया गया कि वो अब वापस तुर्की की हिरासत में हैं.</p><p>डेनमार्क के नागरिक को राजधानी कोपेनहेगन पहुंचने के साथ ही गिरफ़्तार कर लिया गया.</p><p>जर्मनी ने कहा कि तुर्की ने उसे उसके और भी नागरिकों को निर्वासित किए जाने की योजना के बारे में बताया है.</p><p>पहले भी जर्मनी ने इस्लामिक स्टेट के सदस्यों को वापस लिया था और या तो उन पर मुक़दमा चलाया गया या फिर उन्हें पुनर्वास कार्यक्रमों में रखा गया.</p><p>फ़्रांस ने ज़ोर देकर कहा कि सीरिया या इराक में पकड़े गए उनके नागरिकों को स्थानीय स्तर पर मुक़दमे का सामना करना पड़ेगा.</p><p>इस साल की शुरुआत में चार फ़्रांसीसी लोगों को एक न्यायिक प्रक्रिया के तहत इराक़ में मौत की सज़ा सुनाई गई जिसकी बहुत आलोचना की गई.</p><p>हालांकि, यह भी रिपोर्ट किया गया कि फ़्रांस ने 2014 में तुर्की से चुपचाप कई जिहादियों को वापस लिया था और स्वदेश लौटते ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.</p><p>कुछ विदेशी सरकारों ने नागरिकता ही समाप्त करने का क़दम उठाया ताकि संदिग्ध आईएस सदस्यों को वापस लौटने से रोका जा सके- उदाहरण के लिए ब्रिटेन से शमीमा बेगम का मामला, जिन्हें सीरिया में एक कैंप में कैद रखा गया है.</p><p>ब्रिटेन का फ़ैसला इस विश्वास पर आधारित था कि वह अपनी मां के ज़रिए बांग्लादेशी नागरिकता का दावा कर सकती हैं, हालांकि बांग्लादेश ने इस बात से इनकार किया और कहा कि वह ब्रिटिश सरकार की ज़िम्मेदारी हैं.</p><figure> <img alt="शमीमा बेगम" src="https://c.files.bbci.co.uk/2019/production/_109671280_05eda4fe-9063-4736-b509-7eea4394c099.jpg" height="549" width="976" /> <footer>JAMIE WISEMAN/DAILY MAIL</footer> <figcaption>शमीमा बेगम</figcaption> </figure><h3>क़ानूनी और प्रशासनिक अनिश्चितता</h3><p>यह स्पष्ट है कि कुछ मामलों में तीसरे पक्ष को शामिल किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए, जैसे कि इस मामले में जहां तुर्की उन विदेशियों को निष्कासित करता है जिनका अपना देश उन्हें वापस नहीं लेना चाहता या वो खुद ही अपने देश वापस नहीं जाना चाहते.</p><p>जिहादी लड़ाकों को वापस नहीं लेने पर यूरोपीय देशों की आलोचना करने वाले खुद अमरीका के साथ अपने ऐसे नागरिकों को वापस लेने में कुछ अपनी परेशानियां हैं.</p><p>सीरिया में पकड़े गए एक व्यक्ति को तब क़रीब एक साल तक इराक़ में अमरीका सैन्य सुविधाओं में रखने के बाद बहरीन में उन जगह छोड़ना पड़ा जहां उनका परिवार रहता है, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अमरीकी अधिकारियों ने उसे अमरीका लौटने से रोकने के लिए उसका पासपोर्ट ही रद्द कर दिया था.</p><p>निश्चित ही ऐसे और भी कई मामले हो सकते हैं जहां ठीक ऐसी ही व्यवस्था की गई हो लेकिन प्रचार नहीं किया गया है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> करें. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और</strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi"> ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>
इस्लामिक स्टेट के जिहादी जिन्हें तुर्की निकालना चाहता है, पर वो जाएँगे कहाँ?
<figure> <img alt="Greece Turkey border, ग्रीस तुर्की सीमा" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C91/production/_109652479_greekborder.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>तुर्की से निष्कासित एक व्यक्ति ग्रीस की सीमा पर फंस गया</figcaption> </figure><p>इस्लामिक स्टेट के सदस्य भले ही वापस नहीं जाना चाहते लेकिन तुर्की ने उन्हें उनके अपने देशों में वापस भेजना शुरू कर दिया है.</p><p>बीबीसी की रियलिटी चेक टीम ने इस कहानी […]
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