<figure> <img alt="राहुल गांधी, कांग्रेस" src="https://c.files.bbci.co.uk/ABE7/production/_107870044_49195b9c-4cf8-4523-938a-7b7d4d01a10e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>11 सितंबर, 2001 को जब अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर चरमपंथी हमला हुआ तब दुनियाभर को सदमा पहुंचा था. </p><p>उसी शाम, एक यूरोपीय नीति निर्माता भी ख़बरों में थे जिन्होंने यह सलाह दी कि मौजूदा समय किसी भी अलोकप्रिय फ़ैसले को लागू करने का सबसे बेहतरीन समय है, क्योंकि हर किसी का ध्यान चरमपंथी गतिविधियों की ओर होगा. मतलब अलोकप्रिय फ़ैसले पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा. </p><p>दरअसल, यह भी एक तरह की राजनीतिक रणनीति ही है कि आप संकट के समय कुछ वैसा फ़ैसला कर लें जिसे कर पाना शांति के दौर में संभव ही नहीं होगा. इसी सिद्धांत को 2007 में कनाडाई लेखक नेओमी क्लाइन ने अपनी पुस्तक ‘शॉक डॉक्ट्रिन’ में विस्तार से समझाया है.</p><p>कांग्रेस पार्टी के अंदर बीते 23 मई से क्या कुछ चल रहा है, इसे समझने का एक जरिया ‘शॉक डॉक्ट्रिन’ भी है. 2019 के आम चुनावों में मिली करारी हार और उस हार के सदमे ने कांग्रेस पार्टी को बीते सात सप्ताह से नेतृत्व के स्तर पर भी भ्रम में डाल दिया है. इस स्थिति के चलते पार्टी के आलोचकों को, चाहे वो पार्टी के भीतर के हों या फिर बाहरी, पार्टी के अस्तित्व पर हमले करने का मौका मिल गया है. </p><p>हालांकि, इस दौरान आम लोगों की इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है. उनका ध्यान दूसरे मुद्दों की ओर है.</p><p>आप अगर सर्च इंजन में ‘कांग्रेस मेल्टडाउन’ टाइप करें तो महज 0.3 सेकेंड के अंदर तकरीबन 90 हज़ार लिंक दिखाई देने लगते हैं. हर रात टीवी पर कांग्रेस की स्थिति मांस के उस टुकड़े की तरह हो जाती है, जिसे भेड़ियों के आगे फेंका जाना है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48857386?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कांग्रेस को मंझधार में छोड़ गए हैं राहुल गांधी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44124542?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सत्ता के दो दावेदारों के बीच उलझा कर्नाटक </a></li> </ul><h1>बीजेपी का ‘कांग्रेसविहीन भारत’ </h1><p>विभिन्न राज्यों में कांग्रेस के साथ जो कुछ हो रहा है, उन सबमें एक बात समान है- उसकी स्थिति की वजह भारतीय जनता पार्टी है और स्थिति का फ़ायदा भी बीजेपी को ही हो रहा है. </p><p>नरेंद्र मोदी सरकार के पहले पांच साल के शासन के दौरान बीजेपी ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाई, इसलिए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ‘कांग्रेस विहीन भारत’ बनाने की कृत्रिम कोशिश की जा रही है.</p><p>कर्नाटक, गोवा और तेलंगाना में उन कांग्रेसियों को अपने पाले में लाया जा रहा है जिन्हें लग रहा है कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है.</p><p>बहरहाल, कांग्रेस की बढ़ती मुश्किलों के बीच सात चीजें ऐसी हैं जिससे यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस इस हाल तक क्यों पहुंची है, इसमें कुछ अप्रत्याशित नहीं हैं लेकिन ये कांग्रेस की चरमराती स्थिति की तस्वीर को पेश करती है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48395007?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या ये गांधी परिवार की राजनीति का अंत है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48642197?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी परिवार का इतना मोह क्यों है कांग्रेस को</a></li> </ul><figure> <img alt="कांग्रेस, राहुल गांधी, सोनियो गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/14827/production/_107870048_fb2f642d-648d-471f-9352-d2ccd0a50507.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h1>क्या हैं कारण </h1><p>बीजेपी ने हाल के चुनाव में जिस जोरदार अंदाज़ में जीत हासिल की है, उससे उसे दक्षिण हिस्सों में अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए नए सिरे से कोशिश करने का उत्साह मिला है. मौजूदा चुनाव में उत्तर भारत में अपनी कामयाबी के बावजूद बीजेपी कर्नाटक को अपवाद मान ले तो दक्षिण भारत में उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं कर पाई. </p><p>केरल और तमिलनाडु में पार्टी का खाता नहीं खुला. आंध्र प्रदेश में पार्टी अपनी दो सीटें भी नहीं बचा पाई, लेकिन तेलंगाना में उसे चार सीटें ज़रूर मिलीं. अब बीजेपी कांग्रेस खेमे को और भी झटका देने की कोशिश कर रही है- अपने दम पर और अप्रत्यक्ष तौर पर भी.जहां-जहां कांग्रेस की यूनिट मजबूत है, वहां उसमें तोड़-फोड़ कर पाने की आशंका कम है. केरल का उदाहरण सामने है, जहां कांग्रेस नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, 20 लोकसभा सीटों में 19 जीतने में कामयाब रही. ऐसे में केरल कांग्रेस में कोई हलचल नहीं दिख रही है. </p><p>वहीं, दूसरी ओर, कर्नाटक दक्षिण भारत का इकलौता ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर गठबंधन की सरकार है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन 28 में महज दो सीटें जीत पाईं और इसके बाद ही सरकार गिरने की कगार तक पहुंची है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48766960?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नरेंद्र मोदी कांग्रेस को हथियाना चाहते हैं?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48759643?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी ने कहा कांग्रेस इतनी ऊंची चली गई है कि उसे ज़मीन दिखती ही नहीं</a></li> </ul><figure> <img alt="कर्नाटक" src="https://c.files.bbci.co.uk/1137/production/_107870440_48be8813-929b-4f2e-8e5f-59a4f2aab8a6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कांग्रेसियों में निश्चित तौर पर पार्टी के भविष्य और अपने भविष्य को लेकर चिंताएं हैं. लेकिन यह भी देखना होगा कि पार्टी में अवसरवाद और निजी महत्वाकांक्षा भी चरम पर है. </p><p>कर्नाटक में जिन कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफ़ा दिया है और मुंबई में ठहरे हुए हैं उनमें कई की निष्ठा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्रति रही है, जो राहुल गांधी के इस्तीफ़े से बिना किसी नेतृत्व के एक बार फिर पार्टी में अपना दबदबा बढ़ाना चाहते हैं.</p><p>इसके अलावा कांग्रेस आर्थिक मोर्चे पर भी बीजेपी के सामने पिछड़ती जा रही है. साल 2016 से 2018 के बीच, बीजेपी को 985 करोड़ रुपये का चंदा कॉरपोरेट जगत से मिला है. यह कुल कॉरपोरेट चंदे का 93 प्रतिशत है. जबकि कांग्रेस को 5.8 प्रतिशत यानी महज 55 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. </p><p>बेनामी इलेक्ट्रॉल बॉन्ड से भी बीजेपी को ही फ़ायदा पहुंचा. इसके चलते भी बीजेपी वह सब कर पा रही है जो कांग्रेस नहीं कर सकती. </p><p>गोवा कांग्रेस के प्रभारी के चेलाकुमार ने ऑन रिकॉर्ड यह कहा कि कांग्रेस विधायकों ने उन्हें बताया कि उन्हें बीजेपी कितना पैसा ऑफ़र कर रही है. </p><h1>क़ानून से खिलवाड़ </h1><p>इस लड़ाई में कांग्रेस इसलिए भी हार रही है क्योंकि क़ानून के जानकार कानून का ठेंगा दिखाने के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं. </p><p>उदाहरण के लिए तेलंगाना में, कांग्रेस के 18 में से 12 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति में शामिल हो गए, जिसके चलते उन पर दल-बदल क़ानून लागू नहीं हो पाया. गोवा में भी कांग्रेस के 15 विधायकों में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं, यहां भी दो-तिहाई सदस्य होने के कारण क़ानून लागू नहीं हो सकता. </p><p>कर्नाटक में कांग्रेसी विधायकों ने केवल विधायकी से इस्तीफ़ा दिया है, पार्टी से इस्तीफ़ा नहीं दिया है, ताकि उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सके.बीजेपी खुद के लिए ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ दावा भले करती रही हो, लेकिन वह कांग्रेसियों को अपने पाले में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. </p><p>सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि मौजूदा स्थिति में, सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल भी कांग्रेस विधायकों पर किया जा रहा है ताकि वे पाला बदल सकें.</p><p>गोवा में बीजेपी ने एक कांग्रेसी विधायक पर रेपिस्ट होने का आरोप लगाया था, लेकिन उस विधायक को अपनी पार्टी में शामिल करने से पहले पार्टी ने इस आरोप पर विचार करना तक जरूरी नहीं समझा. </p><figure> <img alt="राहुल गांधी, कांग्रेस" src="https://c.files.bbci.co.uk/AD77/production/_107870444_64d3ba0f-de1e-4367-892c-f4be33b9efa6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हालांकि, बीते दो साल के दौरान कांग्रेस ने गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रभावी प्रदर्शन किया है. बावजूद इसके, पार्टी गुजरात के अल्पेश ठाकोर जैसे महत्वाकांक्षी विधायकों पर अंकुश नहीं रख पाई या फिर राजस्थान में समय-समय पर उभर आने वाले असंतोष पर काबू नहीं कर पाई. </p><p>कर्नाटक का मौजूदा नाटक जारी है, ऐसे में निश्चित तौर पर, जीतने वालों पर भरोसा करके उन्हें उम्मीदवार बनाने की बड़ी कीमत कांग्रेस चुका रही है.</p><p>वहीं दूसरी ओर, आम चुनावों में जोरदार जीत हासिल करने के बाद, बीजेपी सत्ता की ठसक में सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है और इसके लिए किसी राजनीतिक नैतिकता की परवाह भी नहीं कर रही है. ऐसे में तय है कि वह कांग्रेस को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी. </p><p>लेकिन जब मौजूदा उठापठक का दौर थमेगा, स्थिरता का दौर आएगा तब यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि बीजेपी के इस खेल के लिए भारतीय लोकतंत्र को क्या कीमत चुकानी पड़ी.<strong><em>(कृष्णा प्रसाद आउटलुक सप्ताहिक के पूर्व एडिटर इन चीफ हैं.</em></strong><strong><em> ये लेखक के निजी विचार हैं</em></strong><strong><em>)</em></strong></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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राहुल गांधी की कांग्रेस इन वजहों से चरमरा रही है: नज़रिया
<figure> <img alt="राहुल गांधी, कांग्रेस" src="https://c.files.bbci.co.uk/ABE7/production/_107870044_49195b9c-4cf8-4523-938a-7b7d4d01a10e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>11 सितंबर, 2001 को जब अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर चरमपंथी हमला हुआ तब दुनियाभर को सदमा पहुंचा था. </p><p>उसी शाम, एक यूरोपीय नीति निर्माता भी ख़बरों में थे जिन्होंने यह सलाह दी कि मौजूदा समय किसी भी अलोकप्रिय फ़ैसले को लागू करने का […]
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