विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पश्चिमी अफ़्रीका में इबोला बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ‘बड़े पैमाने पर कार्रवाई’ करने की मांग की है.
इस बीमारी से अब तक 400 लोग मारे जा चुके हैं.
बीमारों की संख्या, मौतों और भौगोलिक प्रसार के लिहाज से यह दुनिया में सबसे बड़ा प्रकोप बन गई है.
गिनी में अब तक इसके 600 से ज़्यादा मामले आ चुके हैं.
यहीं ग्वैकेडू में चार महीने पहले इस बीमारी का पता चला था.
लाइलाज बीमारी
यहां काम कर रही समाजसेवी संस्था मेडिसिंस सेन फ़्रंटियर्स (एमएसएफ़) पहले ही चेतावनी दे चुका है कि इबोला का प्रकोप नियंत्रण से बाहर हो चुका है.
इस संस्था के क़रीब 300 स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी गिनी के अलावा सिएरा लियोन और लाइबेरिया में काम कर रहे हैं, जहां यह वायरस फैल चुका है. इसके और फैलने की आशंका को लेकर दूसरे देश भी सतर्क हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इबोला एक वायरल इंफ़ेक्शन है. इसके शुरुआती लक्षण अचानक बुखार, बहुत ज़्यादा कमज़ोरी, मांसपेशियों में दर्द और गला खराब होना है. इसका अगला चरण उल्टी, दस्त और कुछ मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव भी होता है.
इसका वायरस बहुत ज़्यादा संक्रामक है और अभी तक इसका कोई ज्ञात उपचार मौजूद नहीं है. इसकी चपेट में आने वाले करीब 90 फ़ीसदी लोगों की मौत हो जाती है.
सोमवार को लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलीन जॉनसन सरलीफ़ ने चेतावनी दी कि इबोला के मरीज़ों को छुपाकर रखने वालों पर मुक़दमा चलेगा.
उन्होंने सरकारी रेडियो के ज़रिए कहा कि लोग बीमारों को डॉक्टरी सहायता दिलाने के बजाय अपने घरों या चर्चों में रखे हुए हैं.
पिछले हफ़्ते सिएरा लियोन ने भी ऐसी ही चेतावनी जारी की थी. वहां मरीज़ अस्पताल से निकलकर घर चले गए थे.
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