कोलंबो : श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के कदम को मंगलवार को पलट दिया और पांच जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर विराम लगाने का आदेश दिया. वहां मौजूद पार्टी पदाधिकारियों ने यह बताया.
प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में तीन सदस्योंवाली एक पीठ ने सिरीसेना के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर तकरीबन 13 और पक्ष में दायर पांच याचिाकाओं पर दो दिन की अदालती कार्यवाही के बाद यह व्यवस्था दी. शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी कि सिरीसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसंबर को सुनवाई होगी. याचिकाकर्ताओं में विभिन्न पार्टियों के साथ स्वतंत्र चुनाव आयोग के एक सदस्य रत्नाजीवन हुले भी शामिल हैं. सिरीसेना ने संसद भंग कर दी थी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव करने के आदेश जारी किये थे. इससे देश अभूतपूर्व संकट में फंस गया.
सिरिसेना ने देश की संसद को भंग करने संबंधी गजट अधिसूचना पर हस्ताक्षर किया था. यह संवैधानिक संकट के बीच सिरिसेना का अचंभित करनेवाला कदम है. गजट नोटिस के अनुसार, 19 से 26 नवंबर के बीच चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरे जाने थे. चुनाव पांच जनवरी को होना था और नये संसद की बैठक 17 जनवरी को बुलायीजानी थी. विश्लेषकों का मानना था कि राष्ट्रपति का फैसला 19वें संशोधन के हिसाब से असंवैधानिक था. 19 वें संशोधन के अनुसार, राष्ट्रपति साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले प्रधानमंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकते या संसद को भंग नहीं कर सकते.
बर्खास्त प्रधामंत्री विक्रमसिंघे के नेतृत्ववाली यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने एक बयान में कहा था कि हम जोरदार तरीके से संसद को भंग करने के फैसले का विरोध करेंगे. उन्होंने लोगों से उनके अधिकार छीन लियेथे. गौरतलब है कि सिरिसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी महिंदा राजपक्षे को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था.

