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रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा-नस्ली सफाये का सटीक उदाहरण

जिनेवा/केप टाउन : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने सोमवार को कहा कि म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा और अन्याय नस्ली सफाये की मिसाल मालूम पड़ती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए जैद राद अल हुसैन ने पहले 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले की […]

जिनेवा/केप टाउन : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने सोमवार को कहा कि म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा और अन्याय नस्ली सफाये की मिसाल मालूम पड़ती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए जैद राद अल हुसैन ने पहले 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले की बरसी का उल्लेख किया और फिर म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की. उन्होंने बुरुंडी, वेनेजुएला, यमन, लीबिया और अमेरिका में मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं के बारे में बात की.

जैद ने कहा कि हिंसा की वजह से म्यांमार से 270,000 लोग भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंचे हैं और उन्होंने सुरक्षा बलों और स्थानीय मिलीशिया द्वारा रोहिंग्या लोगों के गांवों को जलाये जाने और न्याय से इतर हत्याएं किये जाने की खबरों और तस्वीरों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, चूंकि म्यांमार ने मानवाधिकार जांचकर्ताओं को जाने की इजाजत नहीं दी है, मौजूदा स्थिति का पूरी तरह से आकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन यह स्थति नस्ली सफाये का उदाहरण प्रतीत हो रही है.

जैद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश की निंदा भी की. उन्होंने कहा कि केवल राष्ट्रीयता के नाम पर लोगों के साथ भेदभाव मानवाधिकार कानून के तहत निषिद्ध है. जैद के ट्वीट के हवाले से उनके कार्यालय ने बताया, अमेरिकी प्रतिबंध गलत और आतंकवाद का उचित तरीके से मुकाबला करने के लिए बेकार है.

उधर, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में ताजा हिंसा की वजह से 25 अगस्त से अब तक 3,13,000 रोहिंग्या बांग्लादेश की सीमा में दाखिल हो चुके हैं. म्यांमार के मध्य हिस्से में एक मुस्लिम परिवार के मकान पर पथराव करनेवाली भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां चलायीं. भीड़ ने मागवे क्षेत्र में रविवार रात हमला किया.

इस बीच, नोबल पुरस्कार विजेता और मानद आर्कबिशप डेसमंड टूटू ने नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को पत्र लिखकर उनसे देश में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने को कहा है. रिपोर्ट के अनुसार टूटू (85) ने सुश्री सू की से म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ सैन्य अभियान बंद करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि राखिन प्रांत में डर के बढ़ते माहौल और जातीय संहार ने उन्हें ऐसी महिला के खिलाफ बोलने पर मजबूर कर दिया जिसकी प्रशंसा करते हुए उन्होंने उसे अपनी बहन माना था.

इस बीच, रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न पर ऑनलाइन याचिका के जरिये मांग की जा रही है कि आंग सान सू की से नोबेल शांति पुरस्कार वापस ले लिया जाये.सू की पर आरोप है कि उनकी सरकार म्यांमार में सेना द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले करवा रही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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