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बढ़ेगी ताकत, भारत को एफ-16, एफ-18 जेट बेचेगा अमेरिका

वाशिंगटन : ट्रंप प्रशासन भारत को एफ-16, एफ-18 जेट की बिक्री का मन बना रहा है. ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस को बताया कि वह लडाकू विमानों एफ-18 और एफ-16 की भारत को बिक्री का मजबूती से समर्थन करता है, साथ ही जोर देकर कहा कि इन प्रस्तावों में भारत-अमेरिकी रक्षा संबंधों को अगले स्तर पर […]

वाशिंगटन : ट्रंप प्रशासन भारत को एफ-16, एफ-18 जेट की बिक्री का मन बना रहा है. ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस को बताया कि वह लडाकू विमानों एफ-18 और एफ-16 की भारत को बिक्री का मजबूती से समर्थन करता है, साथ ही जोर देकर कहा कि इन प्रस्तावों में भारत-अमेरिकी रक्षा संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने की क्षमता है.

दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री ऐलिस वेल्स ने लिखित बयान में कांग्रेस की उपसमिति को बताया, कि भारत के साथ रक्षा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ साबित होगा, और अमेरिका चाहता है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बने. ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस को बताया कि वह बोइंग और लॉकहीड माटर्नि के लडाकू विमानों क्रमश: एफ-18 और एफ-16 की बिक्री के प्रस्ताव का ‘ ‘जोरदार समर्थन करता है. अधिकारी ने कहा कि इन प्रस्तावों में भारत-अमेरिकी रक्षा संबंधों को और आगे के स्तर पर ले जाने की क्षमता है.

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वेल्स ने कहा, कि भारत के साथ रक्षा सहयोग अमेरिकी हितों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम चाहते हैं कि भारत, भारत-प्रशांत क्षेत्र में वास्तविक सुरक्षा प्रदाता बने. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख बिंदू है जहां विश्वभर के 90,000 वाणिज्यिक जहाजों में से करीब आधे गुजरते हैं और इनमें से कई अमेरिका से हैं. तेल की वैश्विक खरीद-बिक्री के मालवहन का दो-तिहाई हिस्सा इस क्षेत्र से गुजरता है. वेल्स गुरुवार को (दक्षिण एशिया पर अमेरिकी प्रभाव बनाये रखना) वित्त वर्ष 2018 बजट ‘ विषय पर एशिया-प्रशांत पर हाउस फॉरेन अफेयर्स सबकमेटी के समक्ष अपनी बात रखेंगी.

उन्होंने कहा कि भारत-एशिया प्रशांत क्षेत्र में धरती की आधी आबादी रहती है और यहां दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से कुछ हैं. उन्होंने कहा, कि भारत जैसे समान सोच वाले साझेदारों के साथ काम करना, जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की रणनीतिक और आथर्कि क्षमता है हमारे लिये लाभकारी है, इस व्यवस्था ने बीते सात दशक में मानवता की काफी सेवा की है. अपनी सुरक्षा साझेदारी में हम अब जो निवेश करेंगे उसका लाभ हमें आने वाले दशकों में मिलेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत और अमेरिका दोनों की अहम प्राथमिकता आतंकवाद से मुकाबला करना है.

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एलिस वेल्स ने बताया कि विदेश विभाग के आतंकरोधी सहायता कार्यक्रम (एटीए) के तहत वर्ष 2009 से 1,100 से अधिक भारतीय सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा, कि भारत खतरनाक पडोसियों के बीच है जहां आतंकी हमलों में भारतीय और अमेरिकी दोनों ही मारे जा रहे हैं. अपने आतंकरोधी सहयोग के विस्तार के लिए संयुक्त प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण आवश्यक हैं. वेल्स ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक है.

उन्होंने अपने बयान में कहा, कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शब्दों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध कभी भी इतने मजबूत और इससे बेहतर नहीं रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जून माह में राष्ट्रपति की पहली मुलाकात ने सकारात्मक माहौल तैयार किया और रक्षा, उर्जा और व्यापार के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वाकांक्षी एजेंडा तय किया. अपने लिखित बयान में अमेरिका तथा भारत के बीच व्यापार के बारे में वेल्स ने कहा कि आथर्कि संबंध मौटे तौर पर सही और सकारात्मक राह पर हैं हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को संतुलित करने के लिए अमेरिका को और प्रयास करने की जरुरत है. पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच कुल व्यापार घाटा लगभग 30 अरब डॉलर था.

उन्होंने बताया, ‘ ‘ हमारे बीच द्विपक्षीय व्यापार बीते एक दशक में दोगुना हो गया है. यह वर्ष 2006 में 45 अरब डॉलर था जो वर्ष 2016 में 114 अरब डॉलर से अधिक हो गया. भारत को अमेरिकी निर्यात के बल पर सभी 50 राज्यों में 2,60,000 से ज्यादा अमेरिकियों का रोजगार चल रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भारतीय कंपनियों की ओर से किये गये निवेश से अमेरिका में 52,000 से अधिक रोजगार पैदा हुए. वेल्स ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए ट्रंप प्रशासन का संकल्प दृढ है कि भारत के साथ कारेाबारी संबंध निष्पक्ष तथा पारस्परिक हो। प्रशासन भारत पर अपने बाजार और खोलने का दबाव भी बनाये रखेगा.

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