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जब बप्पी दा के गाने के बिना अधूरी मानी जाती थी फिल्में, जानें कैसा रहा उनका संगीतमय सफर

गले में सोने की चमकती चेन, आंखों में काले चश्मे और चमचमाती ड्रेस के साथ आवाज को वो जादूगर जिसने म्यूजिक इंडस्ट्री को नयी धून, नये संगीत और डिस्को से इस तरह परिचय कराया कि आज भी हर उम्र के लोगों पर बप्पी दा का जादू बरकरार है.

गले में सोने की चमकती चेन, आंखों में काले चश्मे और चमचमाती ड्रेस के साथ आवाज को वो जादूगर जिसने म्यूजिक इंडस्ट्री को नयी धून, नये संगीत और डिस्को से इस तरह परिचय कराया कि आज भी हर उम्र के लोगों पर बप्पी दा का जादू बरकरार है. लंबी बीमारी के बाद बप्पी दा का निधन हो गया लेकिन उनकी आत्मा उनके संगीत के रूप में हम सभी की रूह में जिंदा रहेगी.

संगीत में बनायी अलग पहचान

बप्पी दा की पहचान हमारे जेहन में सिर्फ डिस्को डांसर वाले गाने से नहीं बनी है. ऐसे कई गाने है जिन्होंने हमारे दिलों में जगह बनायी है. आज जब भी वक्त मिले बप्पी दा के वो गाने सुनिये और उनकी संगीत को अपने नजरिये से समझने की कोशिश कीजिए. आज बप्पी लहर हमारे बीच नहीं है, संगीत की दुनिया में बप्पी लहरी उन सितारों में शामिल हैं जिसने हमेशा कुछ अलग, एक नयी धून और एक नये तरीके के संगीत से दुनिया का परिचय कराया.

70 से 80 के दशक में उनके संगीत के बगैर फिल्में अधूरी

70 से 80 के दशक के बीच हिंदी फिल्मों में जोश भरे संगीत का दूसरा नाम बप्पी लहरी था. फिल्म रिलीज हो और उसमें बप्पी दा का गाना ना हो तो फिल्म अधूरी मानी जाती थी. कहते हैं ना पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं. बप्पी दा का संगीत के प्रति प्रेम भी 3 साल की उम्र में ही दिखने लगा था. महज 3 से 4 साल की उम्र में उन्होंने तबला बजाने में अपनी दिलचस्पी दिखाई.

17 साल में करियर की शुरुआत 

बप्पी लहरी के पिता अपरेश ने भी उनके इस हूनर को पहचान और संगीत की दुनिया को एक अलग मुकाम पर पहुंचाने के लिए छोड़ दिया. 17 साल की उम्र में करियर के तौर पर उनके सफर की शुरुआत हुई. वो कहते हैं ना कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती. संगीत अपने आप में एक भाषा है जो सीधे दिल तक पहुंचती है.

किसी एक भाषा को नहीं, सभी भाषाओं में दिया संगीत 

आज के कई ऐसे गाने हैं जो दूसरी भाषाओं में है लेकिन आपतक पहुंच रहे हैं चाहे वो काचा बदाम हो या श्रीलंकाई सिंगर और रैपर योहानी ‘मानिके मगे हिते गाना. बप्पी दा यह पहले से समझते थे यही कारण है कि उन्होंने किसी एक भाषा को नहीं चुना हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, गुजराती, मराठी, पंजाबी और भोजपुरी के साथ अंग्रेजी और बांग्लादेशी गानों को भी बप्पी लहरी ने कंपोज किया. 48 साल के संगीत के करियर में बप्पी लहरी ने 5000 से अधिक गाने कंपोज किए. 500 से अधिक फिल्मों में संगीत दिया. बप्पी दा के नाम ऐसे कई रिकार्ड है.

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