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वाराणसी के ‘राम रमापति बैंक’ में आस्था के निवेश से भविष्य हो रहा सुरक्षित, शत्रुघ्न सिन्हा का भी है खाता

95 सालों से चल रहे इस बैंक में लाखों खाताधारक हैं लेकिन आज तक इन बैंक में एक भी रुपये नहीं जमा किये गए. रुपये के रूप में यहां जमा होता है पुण्य और कर्ज मिलता है राम नाम का और इसे राम रमापति का बैंक कहा जाता है. ये है वाराणसी के त्रिपुरा भैरवी में बना राम रमापति बैंक जिसे आज पूरे 95 साल हो गए हैं.

Varanasi News: वाराणसी में एक ऐसा बैंक भी है जहां मन के भाव को राम नाम की भक्ति में डुबोकर कागज पर लिखा जाता है औऱ जमा कर दिया जाता है. 95 सालों से चल रहे इस बैंक में लाखों खाताधारक हैं लेकिन आज तक इन बैंक में एक भी रूपये नही जमा किये गए. रुपये के रूप में यहां जमा होता है पुण्य और कर्ज मिलता है राम नाम का और इसे राम रमापति का बैंक कहा जाता है. ये है वाराणसी के त्रिपुरा भैरवी में बना राम रमापति बैंक जिसे आज पूरे 95 साल हो गए हैं.

ऐसे होती है यहां की बैंकिंग प्रक्रिया

सैकड़ों की संख्या में रखे इन पोटलियों में रुपये नहीं बल्कि राम नाम से लिखे कागजात रखे गए हैं. इनकी संख्या अरबों से ऊपर हो गयी है. इस बैंक में बाकायदा कर्मचारी भी नियुक्त हैं. जो उपभोक्ताओं को खाता खोलवाने से लेकर अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करते हैं. बैंक में उपभोक्ताओं के लिए फॉर्म भी भरा जाता है जिससे इस बैंक राम भक्त को प्रवेश मिलती है. फर्म में पूरे नियम लिखे गए हैं, जिसमें रामभक्त के नाम और पता के साथ ही व्यक्ति के राम नाम के कर्ज का कारण भरना पड़ता है और साथ में अपनी मन्नत लिखनी होती है.

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अब तक कितनी राम नामावली आईं?

बैंक में कर्ज के रूप में सवा लाख जय श्रीराम नाम का कर्ज दिया जाता है, जिसे उपभोक्ता यानी राम भक्त को नियम के अनुसार भरना पड़ता है. इसके लिए बैंक भक्त को राम बुक से लेकर कलम तक मुहैया कराता है. इस बुक को ब्रह्म मुहूर्त में बिना मास-मदिरा के सेवन के साथ ही भरना होता है. ऐसा करने से इस राम नाम के कर्ज को पूरा कर इस बैंक में वापस जमा करने से ब्याज के रूप में उसकी मनोकामना पूर्ण मिलती है. बैंक में अब तक लाखों उपभोक्ता रामभक्त के रूप में बन चुके हैं. इस कारण इस बैंक में अब तक 19 अरब 39 करोड़ 59 लाख 25 हजार राम नामावली जमा हो चुकी है. यहां राम भक्त हर वर्ष राम नवमी को अपना खाता खुलवाने आते हैं.

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इन शर्तों का करना होता है पालन…

आशीष मेहरोत्रा ने इस बैंक के बारे में बताया कि जो लोग यहां आते हैं उनकी राशि व नाम से एक शुभ मुहूर्त निकाला जाता है. इसके बाद फॉर्म भराया जाता है. जिसके लिए एक नियम की पुस्तक उन्हें फ़ॉर्म भरने के पहले दी जाती हैं. क्योंकि जो भी भक्त बैंक में जुड़ रहे हैं उनको कुछ नियम का पालन करना होता हैं. जैसे कि प्याज लहसुन नही खाना होता है. मांस-मदिरा का सेवन निषेध होता है. किसी की मृत्यु व बच्चे के जन्म के वक्त का अशुद्ध खाना नहीं खाना है. जूठा खाना नहीं खाना है. एक थाली में दो लोग खाना खाते हैं तो वो खाना जूठा होता है. इन सारी चीजों का परहेज करते हुए आपको राम नाम लिखना होता है. कागज स्याही कलम दवात सबकुछ बैंक की तरफ़ से फ्री ऑफ कॉस्ट मिलती हैं. सबसे पहले सुबह स्नान कर के राम नाम का लेखन करना है. उसके बाद आपकी जैसी नॉर्मल लाइफ रूटीन चलती हो वैसी ही चलती हैं उसमें कोई परिवर्तन नही होता है. जैसे ही 8-10 महीने का अनुष्ठान पूरा हो जाता है. उसे विधिवत पूजा कर राम नाम हमारे बैंक में जमा कर दिया जाता है.

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एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा से भी जुड़ा है ‘कनेक्शन’

सुप्रसिद्ध अभिनेता एवं राजनीतिज्ञ शत्रुघ्न सिन्हा की माताजी को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी तो घाट पर एक बाबाजी मिले, उन्होंने कहा कि अंदर गली में राम नाम बैंक है वहां चली जाओ और राम नाम लिखो तो तुम्हारी मनोरथ जरूर पूरी होगी. यहां उन्होंने सन्तान प्राप्ति की मनोकामना के लिए राम नाम लोन लिया. पहला जब राम नाम उन्होंने जमा किया तो उन्होंने एक सन्तान को जन्म दिया ऐसा करते हुवे उन्होंने 4 राम नाम जमा किया और उन्हें 4 पुत्रों की प्राप्ति हुई. जिसका नाम राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न रखा गया. शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार की आस्था इस राम नाम बैंक से बहुत जुड़ी हुई है. शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा जब बहुत छोटी थी तो वे लोग यहां आये थे. शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने घर का नाम रामायण रखा है. उनके दोनों बेटों का नाम लव-कुश है. यह सब प्रभु राम की ही कृपा है.

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राम कुमार मेहरोत्रा ने इस बैंक की स्थापना को लेकर बताया कि रमापति बैंक की स्थापना हमारे परदादा छन्नू लाल द्वारा की गई. वे साधु- संगत के आदमी थे नित्य स्नान ध्यान करने जाते हैं. उनको हिमालय के एक बाबा सतनाम जी ने कहा कि तुम्हारे चेहरे के तेज को देखकर लगता है कि जगत का कल्याण तुम्हारे हाथ से लिखा है. उन्होंने ही प्रेरणा दी. उन्होंने कहा इसके बारे में किसी प्रचार की जरूरत नहीं है. इसका प्रचार भक्तों से ही भक्तों द्वारा होगा. आजतक भी आप देख सकते हैं कि राम रमावती बैंक का कोई भी बोर्ड अभी तक बाहर नहीं लगा है. रामनवमी के उत्सव के वक्त ही भक्तों को मार्गदर्शन के लिए बोर्ड लगाया जाता है ताकि वे आसानी से यहां पहुंच सके.

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जुड़ी हैं कई कहानियां…

विश्व के हर कोने से लाखों लोग इस बैंक से जुड़े हुए हैं. लोग 70-70 साल से यहाँ आ रहे हैं. ऐसी ऐसी आश्चर्यजनक घटनाएं यहाँ घटती है कि पूछिये मत एक बार की एक घटना है मुंबई की वहाँ एक लड़का बाइक से जा रहा था रास्ते में एक ट्रक में लगे चेन से उसकी बाइक फसी और उसे घसीटते हुवे क़ई किलोमीटर तक ले गयी जब ट्रक ड्राइवर को यह ध्यान आया कि कुछ घसीटते हुवे आ रहा तब तक उस लड़के की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी हॉस्पिटल पहुचने पर डॉक्टर ने परिजनों को कह दिया कि कुछ नहीं हो सकता है सिर्फ प्राण अटके हुए हैं इसके भगवान से प्रार्थना कीजिए. उस वक्त उनके परिजनों के पास यहां की सवा लाख मंत्रों से अभिमंत्रित की हुई रोली थी जिसे उन्होंने पानी में घोलकर उसे पिला दिया और प्रभु राम की कृपा से वह लड़का ठीक हो गया. मेडिकल साइंस भी इस चमत्कार के आगे फेल हो गया. यह बैंक 95 सालों से चला आ रहा है.

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स्पेशल रिपोर्ट : विपिन सिंह

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