13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बंगाल चुनाव से पहले नंदीग्राम में लौटा हिंसा का दौर, ममता-शुभेंदु समर्थकों में बढ़ी तकरार

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नंदीग्राम में एक बार फिर युद्ध की घोषणा का बिगुल सुनाई दे रहा है. भूमि अधिग्रहण रोधी आंदोलन की काली यादें ताजा हो गयीं हैं. उस वक्त धान के खेतों में गुंडे-बदमाश लोगों को आतंकित करते हुए घूमा करते थे. west bengal election 2021, tmc, bjp, all india trinamool congress, bharatiya janata party, cpm, west bengal assembly election 2021, political violence

नंदीग्राम : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नंदीग्राम में एक बार फिर युद्ध की घोषणा का बिगुल सुनाई दे रहा है. भूमि अधिग्रहण रोधी आंदोलन की काली यादें ताजा हो गयीं हैं. उस वक्त धान के खेतों में गुंडे-बदमाश लोगों को आतंकित करते हुए घूमा करते थे.

पूर्वी मेदिनीपुर जिले के इस छोटे से शहर की शांति को बंदूक की गोलियों की आवाज एक बार फिर भंग करने लगी है, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं के बीच आये दिन हिंसक झड़प होती रहती है.

श्यामल मन्ना (62) का कहना है, ‘पिछली तीन रातों से हम सो नहीं पाये हैं.’ नंदीग्राम में 2007-08 में हुए भूमि अधिग्रहण रोधी आंदोलन के दौरान मन्ना ने अपनी एक रिश्तेदार को खो दिया था. जब से शुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हुए हैं, तब से मन्ना जैसे कई लोग परेशान हैं.

Also Read: तृणमूल का भाजपा और अमित शाह पर हमला, मतुआ समुदाय से किया झूठा वादा, जल्द लागू नहीं होगा सीएए

मन्ना ने कहा, ‘पिछले दो सप्ताह से प्रतिदिन झड़प हो रही है. पहले हम केवल राजनीतिक हिंसा देखते थे, लेकिन अब यह सांप्रदायिक भी हो गयी है. धमाकों और बंदूक की गोलियों की आवाज ने हमारी नींद उड़ा दी है. यह सब नंदीग्राम आंदोलन की याद दिलाता है.’

मन्ना के भतीजे गोकुल ने कहा कि उसने, उसकी पत्नी और बच्चों ने साथ बाहर निकलना छोड़ दिया है. राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2007 में चर्चा में आये नंदीग्राम में तत्कालीन विपक्षी नेता ममता बनर्जी ने भूमि अधिग्रहण रोधी आंदोलन का आगे बढ़कर नेतृत्व किया था, जिससे वाम मोर्चा सरकार की चूलें हिल गयीं और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का उभार देखने को मिला था.

Also Read: हल्दिया में प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा में नहीं जायेंगे तृणमूल सांसद देव, भाजपा नेता सौमित्र खान से कही यह बात
10 महीने चली थी राजनीतिक हिंसा

दस महीने चली राजनीतिक हिंसा में कई महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था और कई लोगों की हत्या हुई थी, जिसमें 14 लोग पुलिस की गोली से मारे गये थे. ममता बनर्जी द्वारा इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा करने के बाद वर्तमान नंदीग्राम में भी उसी प्रकार के युद्ध की घोषणा का बिगुल सुनाई दे रहा है.

शांति की आस में बैठे लोग हिंसा से हैं परेशान

इसके साथ ही शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री को ‘कम से कम 50 हजार’ मतों से पराजित करने का एलान किया है. गोकुलपुर गांव की निवासी कविता मल का घर वर्ष 2007 में जला दिया गया था. उन्हें आज नंदीग्राम में वैसे ही काले दिनों की आहट सुनाई दे रही है.

Also Read: West Bengal Election: रथ यात्रा के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लें, भाजपा को मुख्य सचिव का जवाब

उन्होंने कहा, ‘मुझे उस समय पांच गोलियां लगीं थीं. भगवान की दया से मैं किसी प्रकार बच गयी. वर्ष 2011 में तृणमूल के सत्ता में आने के बाद, हमने सोचा था कि शांति कायम रहेगी. लेकिन अब लगता है कि हिंसा का दौर फिर से वापस आ गया है.’

नंदीग्राम में फिर घूमने लगे नकाबपोश

तत्कालीन वाम मोर्चा की सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किये गये आंदोलन के दौरान 14 साल पहले, सोमा प्रधान (नाम परिवर्तित) के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. प्रधान ने कहा कि आज वह और उनका परिवार शाम होने के बाद घर से बाहर नहीं निकलता.

Also Read: भ्रष्ट वन मंत्री राजीव बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई करने वाली थी तृणमूल, अलीपुरदुआर में बोलीं ममता बनर्जी

उन्होंने कहा, ‘हालात ठीक नहीं हैं. हमारे पड़ोसियों ने रात में नकाबपोश लोगों को घूमते हुए देखा है.’ पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ सप्ताह से दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की घटनाएं बढ़ गयीं हैं और तृणमूल तथा भाजपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की जा रही है. दोनों दलों के सूत्रों का कहना है कि अधिकारी और उनके भाई के भाजपा में शामिल होने के बाद स्थिति तेजी से बदली है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें