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बाबा मंदिर में आज से स्पर्श पूजा बंद, अरघा से होगा जलार्पण, कांवरियों के लिए की गयी है खास व्यवस्था

बाबनगरी देवघर में आज से श्रावणी मेले की शुरूआत हो गयी. इस बार कांवरियों के लिए जलाअर्पण करने की व्यवस्था बदल गयी है. भक्तों के लिए अब पूरे माह स्पर्श पूजा बंद है.

देवघर : बाबा नगरी में आज से श्रावणी मेले की शुरुआत हो गयी और बाबाधाम बोलबम के जयकारे से गूंज उठा. हर तरफ गुरुआ वस्त्रधारियों से पटा है. मेले में कांवर लेकर देश भर से ही नहीं बल्कि नेपाल सहित दूसरे देश से भी भक्त बाबाधाम पहुंचें हैं. सावन शुरू होते ही बाबा मंदिर में जलार्पण करने आये कांवरियों के लिए व्यवस्था पूरी तरह से बदल गयी है.

भक्तों के लिए अब पूरे माह स्पर्श पूजा बंद है. कांवरियों को जलार्पण कराने के लिए सुबह से ही अरघा लगा दिया गया तथा कांवरिये मंझलाखंड में अरघा के माध्यम से जलार्पण करेंगे. वहीं मंदिर का पट अब सुबह चार बजे के बजाय 3:05 बजे सुबह ही खुल गया. पट खुलने के बाद कांचा जल पूजा हुई, उसके बाद अरघा लगा दिया गया.

कांचा जल में शामिल पुरोहित समाज के लोग भी अरघा के माध्यम से ही जलार्पण करेंगे. शीघ्र दर्शनम काउंटर खुलने का समय सुबह आठ बजे होगा. साथ ही श्रावणी मेले में शीघ्रदर्शनम कूपन का दर भी पूरे माह पांच सौ रुपये होगा. भीड़ से बचने के लिए मंदिर परिसर में निकास द्वार के पास तीन बाह्य अरघा लगाया गया है. इसमें भी जलार्पण करने की व्यवस्था है, जो सीधे पाइप के माध्यम से बाबा पर गिरेगा.

कांवरियों को जलार्पण कराने की तीन तरह की व्यवस्था :

श्रावणी मेले में बाबाधाम आने वाले कांवरियों को सुलभ जलार्पण कराने के लिए प्रशासन ने तीन तरह की व्यवस्था की है. पहली व्यवस्था के तहत सामान्य कतार है. इसके लिए बाबा मंदिर से लेकर रूट लाइन में कुमैठा स्टेडियम तक कतार में लगने की व्यवस्था की गयी है. सामान्य कतार के माध्यम से पूजा करने वाले कांवरियों को जल का संकल्प कराने के बाद मानसरोवर की ओर से जलसार चिल्ड्रेन पार्क होते हुए कतार के अंतिम छोर तक जाना होगा.

दूसरी व्यवस्था शीघ्रदर्शनम की है. इसमें प्रति व्यक्ति 500 रुपये देना होगा. इस कूपन को लेने वाले भक्तों को प्रशासनिक भवन के रास्ते से 20 मिनट से लेकर आधे घंटे में जलार्पण की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा तीसरा व्यवस्था बाह्य अरघा से जलार्पण की होगी. यह मंदिर परिसर स्थित निकास द्वार से सटा हुआ होगा. इसमें पाइपलाइन को बाबा के शिवलिंग तक जोड़ा गया है. यहां पर जलार्पण करने के बाद कांवरियों का जल सीधे बाबा पर अर्पित होगा. जिसे बाबा मंदिर के ठीक ऊपर लगे बड़े स्क्रीन में भक्त देख सकते हैं.

निकास द्वार से किसी की इंट्री नहीं :

श्रावणी मेले के दौरान निकास द्वार से किसी को इंट्री की अनुमति नहीं है. पुरोहित समाज के लोग भी इस रास्ते का उपयोग सिर्फ कांचा जल पूजा के समय ही करेंगे. सरदारी पूजा के बाद इस रास्ते से इंट्री पर पूरी तरह राेक है. पुरोहित समाज के लोगों को बाद में प्रशासनिक भवन के ऊपरी तल्ले के रास्ते से प्रवेश कराने की व्यवस्था है.

Posted By: Sameer Oraon

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