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Narad Jayanti 2022: आज है नारद जयंती, जानें कैसे हुआ था देवर्षि नारद का जन्म, पढ़ें यह कथा

Narada Jayanti 2022: इस साल नारद जयंती आज यानी मंगलवार, 17 मई को मनाई जायेगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में नारद मुनि का जन्म गंधर्व कुल में हुआ था. उनका नाम उपबर्हण था. नारद मुनि को अपने रूप पर बड़ा अभिमान था.

Narada Jayanti 2022: देवर्षि नारद जयंती नारद मुनि के जन्म दिवस के रूप में ज्येष्ठ माह के कृष्ण की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल 2022 में नारद जयंती आज यानी मंगलवार, 17 मई को मनाई जायेगी. हिंदू शास्त्रों के अनुसार देवर्षि नारद मुनि ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक थे और इनका जन्म उनकी गोद में हुआ था.

Narad Jayanti 2022: शुभ मुहूर्त

नारद जयंती का शुभ मुहूर्त कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 16 मई समय सुबह 9 बजकर 43 मिनट से लेकर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 मई सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक होगा.

Narad Jayanti 2022: नारद जयंती का महत्व क्या है?

  • हिन्दू धर्म में नारद जयंती उत्सव के रूप में मनाई जाती है

  • पौराणिक कथा के अनुसार ये ब्रह्माण्ड के संदेशवाहक थे

  • नारद मुनि सरस्वती जी के पुत्र थे

  • ये भगवान विष्णु के परम भक्त थे तभी नारद जी का महत्व अधिक बढ़ जाता है

  • पूर्णिमा में यह जयंती पड़ने के कारण हिन्दू धर्म के लोग नारद जयंती को उत्साह के मनाते हैं

  • कहते हैं कि नारद जी की आराधना से ज्ञान की प्राप्ति होती है

  • नारद जी जगत कल्याण के लिए सदैव तैयार रहते थे

  • नारद जयंती को हम पूर्ण आराधना के साथ देवर्षि नारद जी की पूजा करते हैं

Narad Jayanti 2022: पूजा विधि

  • नारद जयंती की पूजा के लिए पूजा घर को साफ़ कर लेना चाहिए

  • नारद जयंती के दिन सूर्य के उदय होने से पहले स्नान कर लेना चाहिए

  • वस्त्र धारण करके अपने व्रत को पूर्ण करने का संकल्प लेकर नारद जी की पूजा करें

  • नारद जयंती के दिन जरूरतमंदों को दान करें जिससे आपके द्वारा किये गए पाप ख़त्म हो जाते हैं

Narad Jayanti 2022: ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं नारद जी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में नारद मुनि का जन्म गंधर्व कुल में हुआ था. उनका नाम उपबर्हण था. नारद मुनि को अपने रूप पर बड़ा अभिमान था. एक बार कुछ गंधर्व और अप्सराएं गीत और नृत्य के साथ ब्रह्मा जी की उपासना कर रही थीं. इसी दौरान उपबर्हण {नारद जी} स्त्रियों के वेष में श्रृंगार करके उनके बीच में आ गये. यह देख ब्रह्मा जी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उपबर्हण को अगले जन्म में शूर्द के यहां जन्म होने का श्राप दे दिया. ब्रह्मा जी के श्राप से उपबर्हण का जन्म शूद्र दासी के पुत्र के रूप में हुआ. इस बालक ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की पूजा-अर्चना में लगाने का संकल्प लेकर कठोर तपस्या करने लगा. तभी आकाशवाणी हुई कि तुम इस जीवन में ईश्वर के दर्शन नहीं पाओगे. अगले जन्म में आप उन्हें पार्षद के रूप में प्राप्त करोगे.

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