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Digital Arrest: वीडियो कॉल पर उतरवाए महिला के सारे कपड़े, झांसा देकर ट्रांसफर कराए 16 लाख, आप रहें ALERT

Digital Arrest: आगरा पुलिस ने डिजिटल ठगी के एक चौंकाने वाले मामले में एक युवक को राजस्थान से गिरफ्तार किया है. आरोपी ने खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर एक युवती को टैटू की जांच के नाम पर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया और बाद में उससे 16.20 लाख रुपये की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर करवा ली.

Digital Arrest: उत्तर प्रदेश के आगरा में डिजिटल अरेस्ट का एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. एक युवती को नारकोटिक्स ब्यूरो का डर दिखाकर वीडियो कॉल पर निर्वस्त्र किया गया और उसका वीडियो बना लिया गया. इसके बाद आरोपियों ने ब्लैकमेल कर उससे 16.20 लाख रुपये ठग लिए.

ठगों ने युवती को टैटू जांच के बहाने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था. पीड़िता शाहगंज क्षेत्र की रहने वाली है और उसने 9 फरवरी 2025 को आगरा के साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज कराया था.

क्या था पूरा मामला 

पीड़िता ने बताया कि यह घटना 24 दिसंबर 2024 को शुरू हुई थी और 29 जनवरी तक साइबर ठग उसे लगातार धमकाते रहे. कई दिनों तक उसे स्काइप पर वीडियो कॉल के जरिए ऑनलाइन रहने के लिए मजबूर किया करते थे.

पीड़िता ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें पहला फोन एक महिला की ओर से आया था, जिसने खुद को ब्लू डॉट कोरियर कंपनी की प्रतिनिधि बताया. उसने दावा किया कि युवती के कोरियर में नशीली दवाएं मिली हैं और कॉल को मुंबई पुलिस से जोड़ दिया. इसके बाद साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट, ईडी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का अधिकारी बताकर युवती को धमकाना शुरू किया. उनके पास युवती का केवल आधार नंबर था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने फर्जी दस्तावेजों और नोटिस में किया.

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इस डर और धोखे के जरिए युवती से बार-बार अलग तरीके से कुल 16.20 लाख रुपये ठग लिए. नारकोटिक्स जांच से “बरी” करने के बहाने उससे बॉडी स्कैन कराने को कहा गया. आरोप लगाया गया कि उसके शरीर पर टैटू है, जिसे उसने साफ नकार दिया. युवती ने बताया कि उसके शरीर पर कोई टैटू नहीं है. इसके बावजूद, ऑनलाइन स्कैन के नाम पर उसे निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया गया. जब रकम कम रह गई, तो उस पर तुरंत लोन लेने का दबाव भी बनाया गया.

सीकर से पकड़ा गया रविंद्र प्रसाद वर्मा 

साइबर क्राइम थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सीकर में दबिश डालकर रविंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया. जांच के दौरान पता चला कि जिन बैंक खातों में धोखाधड़ी की रकम ट्रांसफर हुई थी, उन्हें एटीएम और बैंक के माध्यम से निकाला गया था. बैंक से पैसे निकालने वाला व्यक्ति रविंद्र प्रसाद वर्मा ही था, जो सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था.

पुलिस पूछताछ में रविंद्र ने बताया कि वह बीए पास है और कमीशन पर काम करने वाला एजेंट है. वह विजय मीणा के लिए कार्य करता है और उसी के कहने पर खाते से पैसे निकालने गया था. इसके बदले उसे कमीशन मिला. उसने यह भी कहा कि डिजिटल फ्रॉड में शामिल असली लोग कौन हैं, यह विजय ही बता सकता है. सीसीटीवी फुटेज में विजय और उसके दो सहयोगी भी नजर आए हैं, जिनकी पुलिस अब तलाश कर रही है.

Digital Arrest से खुद को कैसे रखें सेफ 

अनजान कॉल आते ही रिपोर्ट करें: अगर आपको किसी संदिग्ध कॉल से संपर्क किया जाए तो तुरंत इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को दें। ऐसे कॉल करने वालों से बातचीत न करें.

पहचान की पुष्टि करें: अगर कोई व्यक्ति खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी का बताता है, तो उसकी पहचान की पुष्टि केवल आधिकारिक वेबसाइट्स या सरकारी नंबरों से करें. गूगल सर्च या कॉल करने वाले द्वारा दी गई जानकारी पर भरोसा न करें.

पैसे मांगने पर सतर्क हो जाएं: किसी भी वैध जांच प्रक्रिया में गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसों की मांग नहीं की जाती. अगर कोई आपसे पैसे ट्रांसफर करने को कहे, तो यह एक बड़ा संकेत है कि आप ठगी का शिकार हो सकते हैं.

अगर ठगी का शिकार हो जाएं: यदि आपको बाद में समझ में आए कि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है, तो तुरंत 15-20 मिनट के भीतर साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें, ताकि लेन-देन को रोका जा सके. इसके अलावा, अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराएं.

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