4K Smart TV: हम सभी को लगता है कि ज्यादा रेजोल्यूशन और एडवांस पैनल वाला 4K टीवी बेहतर पिक्चर क्वालिटी देगा, लेकिन असल इस्तेमाल में कई बार ऐसा नहीं दिखता. इसकी वजह अक्सर टीवी का पैनल नहीं, बल्कि उसकी गलत सेटिंग्स होती हैं. 4K टीवी को इंस्टॉल और सेट करते वक्त थोड़ी ज्यादा समझदारी की जरूरत होती है.
सेटअप के दौरान की गई छोटी-छोटी गलतियां चुपचाप पिक्चर क्वालिटी बिगाड़ देती हैं, जिससे टीवी पुरानी स्क्रीन जैसा ही लगने लगता है. इन आम गलतियों को समझ लेने से आप अपने टीवी की असली क्लैरिटी और शार्पनेस का पूरा फायदा उठा सकते हैं. तो आइए आपको उन छोटी-छोटी गलतियां के बारे में बताते हैं.
गलत पिक्चर मोड और फैक्ट्री प्रीसेट्स
ज्यादातर 4K टीवी ऐसे पिक्चर मोड के साथ आते हैं, जो शोरूम में दिखाने के लिए बनाए जाते हैं. इनमें ब्राइटनेस, कॉन्ट्रास्ट और कलर्स को जरूरत से ज्यादा बढ़ा दिया जाता है, ताकि तेज रोशनी में टीवी ज्यादा आकर्षक लगे. लेकिन घर पर ये सेटिंग्स अक्सर आंखों को चुभने वाली और बनावटी लगती हैं.
ऐसे प्रीसेट इस्तेमाल करने से कई बार काले रंग दब जाते हैं, तेज हिस्से जरूरत से ज्यादा चमकने लगते हैं और रंग भी हद से ज्यादा चटख दिखते हैं. मूवमेंट ठीक से स्मूद नहीं लगता और डिटेल्स भी नेचुरल नहीं दिखतीं. अगर आप बैलेंस्ड पिक्चर मोड चुन लें, तो इमेज क्वालिटी में तुरंत फर्क नजर आता है.
खराब सोर्स क्वालिटी और सिग्नल की सीमाएं
4K टीवी वही दिखा सकता है जो उसे मिलता है. जब कम रेजोल्यूशन वाला कंटेंट बड़ी स्क्रीन पर फैलाया जाता है, तो उसकी कमियां साफ नजर आने लगती हैं. साधारण केबल चैनल या लो-क्वालिटी स्ट्रीमिंग अक्सर धुंधली और नॉइजी दिखती है.
HDMI केबल की क्वालिटी भी मायने रखती है. पुराने केबल कई बार 4K HDR के लिए जरूरी हाई बैंडविड्थ सपोर्ट नहीं करते, जिससे रंग फीके दिख सकते हैं या रेजोल्यूशन अपने आप कम हो जाता है, बिना किसी साफ चेतावनी के. एक और आम गलती गलत HDMI पोर्ट का इस्तेमाल है. कई टीवी में सिर्फ कुछ पोर्ट ही फुल बैंडविड्थ सपोर्ट करते हैं. अगर डिवाइस ऐसे पोर्ट में लगाएं जो लिमिटेड हों, तो परफॉर्मेंस चुपचाप कम हो जाती है.
प्लेसमेंट और आसपास के माहौल से जुड़ी गलतियां
टीवी स्क्रीन कहां और कैसे लगाई गई है, इसका असर उसकी तस्वीर की क्वालिटी पर बहुत ज्यादा पड़ता है. टीवी को बहुत ऊंचाई पर लगाने से देखने का एंगल बिगड़ जाता है, जिससे रंग और कॉन्ट्रास्ट ठीक से नजर नहीं आते. बहुत पास बैठने पर पिक्सल साफ दिखने लगते हैं, वहीं ज्यादा दूर बैठने से 4K रिजॉल्यूशन का फायदा ही खत्म हो जाता है.
कमरे की लाइटिंग भी अहम भूमिका निभाती है. ज्यादा तेज रोशनी या रिफ्लेक्शन से तस्वीर की डिटेल धुंधली लगने लगती है, और अगर लाइट का रंग सही न हो तो स्क्रीन का टोन भी बदल जाता है.
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