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Research: ऐसा डायनासोर, जिसके हर दो महीने बाद आ जाते थे सारे नये दांत
न्यूयॉर्क : हिंद महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित द्वीपीय देश मैडागास्कर में करीब सात करोड़ साल पहले ऐसे मांसाहारी डायनासोर रहते थे, जिनके हर दो महीने बाद नये दांत आ जाते थे. ‘प्लोस वन’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, मजुनगासौरस नाम के डायनासोर के हर दो महीने बाद नये दांत […]
न्यूयॉर्क : हिंद महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित द्वीपीय देश मैडागास्कर में करीब सात करोड़ साल पहले ऐसे मांसाहारी डायनासोर रहते थे, जिनके हर दो महीने बाद नये दांत आ जाते थे.
‘प्लोस वन’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, मजुनगासौरस नाम के डायनासोर के हर दो महीने बाद नये दांत उग आते थे. अन्य मांसाहारी डायनासोरों की तुलना में इस प्रजाति के डायनासोर में यह दर दो से 13 गुना ज्यादा है.
अध्ययन में बताया गया है कि इस प्रजाति के डयानसोरों के पुराने दांत जल्द गिर जाते थे. ऐसा शायद इसलिए होता था क्योंकि वे हड्डियां भी खा जाते थे. शोधार्थियों में अमेरिका की एडेल्फी विश्वविद्यालय के शोधार्थी भी शामिल थे.
यह अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों ने डायनासोर के दांतों के जीवाश्म के जरिये दांत की सूक्ष्म वृद्धि की पड़ताल की. उन्होंने बताया कि दांतों पर वृद्धि रेखाएं पेड़ के वलय के समान हैं और यह साल में एक बार जमा होने के बजाय रोज जमा होती थी.
शोध के सह लेखक और विश्वविद्यालय के माइकल डी डीइमिक ने बताया कि हड्डियों को खाने के लिए मजबूत दांतों की जरूरत होती है लेकिन मजुनगासौरस के दांत मजबूत नहीं थे. इसलिए जल्द ही उनके दांत गिर जाते थे और नये दांत आ जाते थे.
अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों ने बताया कि जल्द आने वाले दांतों ने मजुनगासौरस डायनासोर को शार्क और बड़े तथा शाकाहारी डायनासोर की श्रेणी में ला दिया.
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